माताओं ने किया जीवित्पुत्रिका व्रत, गंगा किनारे उमड़ी भीड़
बक्सर में माताओं ने पुत्रों की दीर्घायु के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत रखा। रामरेखाघाट पर महिलाओं की भीड़ उमड़ी, जिन्होंने गंगा में स्नान कर पूजा-अर्चना की। यह व्रत 36 घंटे का निर्जल उपवास है, जो संतान को...
बक्सर, हिन्दुस्तान संवाददाता। पुत्र की दीर्घायु के लिए माताओं ने बुधवार को जीवित्पुत्रिका व्रत किया। इस मौके पर स्नान के लिए शहर के रामरेखाघाट पर व्रती महिलाओं का सैलाब उमड़ पड़ा। मंदिरों में भी काफी भीड़ रही। कर्मकांड केसरी आचार्य पंडित सुनील मिश्र ने बताया कि संतान की दीर्घायु की कामना से माताएं जीवित्पुत्रिका व्रत करती हैं। यह व्रत आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की सप्तमी वृद्धा अष्टमी से शुरु होकर नवमी तिथि को समाप्त होता है। इस बीच माताएं तकरीबन 36 घंटे बिना अन्न-जल के व्रत करती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत से संतान को रोग, शोक और शत्रुओं से छुटकारा मिलता है। उसके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। बुधवार की सुबह से ही उत्तरायण गंगा किनारे स्थित रामरेखाघाट पर व्रती महिलाओं की भीड़ जुटने लगी। दिन चढ़ने तक भीड़ काफी ज्यादा हो गई। जिउतिया नहान के लिए इस जिले के अलावा पड़ोसी जिलों से भी महिलाएं रामरेखाघाट पहुंची थीं। सभी ने गंगा में डुबकी लगाई और पूजा-अर्चना की। विभिन्न मंदिरों में पहुंचकर दर्शन-पूजन किया। पूरे दिन शहर की सड़कों पर झोला-बोरा लिए महिलाओं की भीड़ दिखी। बाहर से आए वाहनों और भीड़ के चलते ट्रैफिक की व्यवस्था भी खासी प्रभावित हुई। इधर, घरों में भी महिलाओं ने जीवित्पुत्रिका व्रत को लेकर करीब 36 घंटे का निर्जल उपवास किया। अपनी संतान को ओठगन खिलाया। शाम में व्रत की कथा सुनी। भगवान जीमूतवाहन की विधिवत पूजा-अर्चना की गई। गुरुवार को सूर्योदय के बाद खर करते हुए व्रती महिलाएं जिउतिया का पारण करेंगी।
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