BRA बिहार यूनिवर्सिटी में पीएचडी का बदला नियम; यूजी का अंक दिलाएगा मौका, क्या है शर्त जानें
बीआरएबीयू ने नई शोध नीति में नई शिक्षा नीति के सभी अनुमोदनों को शामिल किया है। विदेशी छात्रों के लिए भी 55 प्रतिशत अंक अनिवार्य किया गया है। अंगीभूत कॉलेजों में पढ़ाने वाले सहायक प्राध्यापक, सह प्राध्यापक और प्राध्यापकों को कोर्स वर्क के दौरान छुट्टी मिल सकेगी।
BRABU News: बीआरए बिहार यूनिवर्सिटी मुजफ्फरपुर की ओर से पीएचडी में दाखिले के लिए शोध नीति 2024 जारी कर दी। इस नीति के तहत अगर चार वर्षीय स्नातक में छात्र को 75 प्रतिशत या उससे अधिक अंक आते हैं तो वे पीएचड प्रवेश परीक्षा (पैट) दे सकते हैं। वहीं, तीन वर्षीय स्नातक वाले छात्रों को पीजी में कम से कम 55 प्रतिशत अंक रहने चाहिए। पीएचडी करके बेहतर करियर बनाने की चाह रखने वालों के लिए यह बहुत अच्छा मौका है।
बीआरएबीयू ने नई शोध नीति में नई शिक्षा नीति के सभी अनुमोदनों को शामिल किया है। विदेशी छात्रों के लिए भी 55 प्रतिशत अंक अनिवार्य किया गया है। अंगीभूत कॉलेजों में पढ़ाने वाले सहायक प्राध्यापक, सह प्राध्यापक और प्राध्यापकों को कोर्स वर्क के दौरान छुट्टी मिल सकेगी। छात्रों को दाखिले के लिए आवेदन फॉर्म जमा करना होगा। पीएचडी की 50 प्रतिशत सीटें पैट पास छात्रों के लिए तो बाकी सीटें नेट और जेआरएफ छात्रों के लिए आरक्षित रहेंगी। लिखित परीक्षा में पास छात्र ही साक्षात्कार में भाग लेने के लिए योग्य होंगे। साक्षात्कार में 30 प्रतिशत अंक कम से कम छात्रों को पास करने के लिए आना चाहिए। साक्षात्कार में छात्र से उनकी शोध की रुचि के बारे में पूछा जाएगा।
पीएचडी में दाखिले के लिए एक कमेटी बनेगी। इसे पीएचडी नामांकन समिति कहा जाएगा। पीएचडी में नामांकन के लिए फाइनल रिजल्ट छात्र के एकेडमिक स्कोर और इंटरव्यू में प्राप्त अंक को जोड़कर तैयार किया जाएगा। पीएचडी नामांकन समिति में संकाय अध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, विभाग के दो वरीय प्राध्यापक, एक विषय विशेषज्ञ और एक बाह्य परीक्षक रहेंगे। बाह्य परीक्षक दूसरे विवि के होंगे।
तीन वर्ष का समय दिया जाएगा
छात्र को पीएचडी करने के लिए तीन वर्ष का समय दिया जाएगा। छात्र को थीसिस जमा करने के लिए अधिक से अधिक छह साल का समय दिया जाएगा। छात्र को थीसिस जमा करने के लिए दो एक्सटेंशन दिया जाएगा। यह एक्सटेंशन डिपार्टमेंट रिसर्च कमेटी और वीसी के आदेश के बाद ही दिया जाएगा। महिला और दिव्यांग शोधार्थियों को इसमें छूट दी जाएगी। अगर शोधार्थी ने छह साल में भी थीसिस जमा नहीं किया तो उसे दो साल का और समय दिया जाएगा। आठ साल से अधिक का समय किसी भी शोधार्थी को पीएचडी के लिए नहीं दिया जाएगा। पीएचडी में दाखिले के बाद छात्र कोर्स वर्क की परीक्षा पास करनी होगी। इसमें छात्र को कंप्यूटर भी सीखना होगा। पीएचडी के लिए विभाग में अब अलग से पीचएडी कोऑर्डिनेटर नहीं होगा। पीएचडी में छात्र को कम से कम 12 और अधिक से अधिक 16 क्रेडिट लाने होंगे। पीएचडी छात्र को कोर्स वर्क में 55 प्रतिशत अंक लाने होंगे।
विभागाध्यक्ष गाइड बनाने को छात्र को देंगे तीन नाम
पीएचडी में गाइड बनाने के लिए छात्र को विभागाध्यक्ष तीन प्राध्यापकों के नाम देंगे। अब छात्रों कोर्स वर्क के एक महीने के अंदर एक शोध निदेशक दिया जाएगा जो कोर्स वर्क में छात्र की मदद करेगा। गाइड बनने के लिए प्राध्यापकों के पांच रिसर्च पेपर प्रकाशित होने चाहिए। यह यूजीसी केयर में प्रकाशित होने चाहिए। सहायक प्राध्यापकों का गाइड बनने को उनका प्रोबेशन समय पूरा होना चाहिए व दो रिसर्च पेपर यूजीसी केयर जर्नल में प्रकाशित होना चाहिए।
आवेदन फीस में भी किया गया बदलाव
पीएचडी में आवेदन के लिए फीस में भी बदलाव किया गया है। सामान्य श्रेणी के छात्रों के लिए तीन हजार, महिला सहित अन्य श्रेणी के लिए दो हजार रुपये तय किए गए हैं। एडमिशन में छात्रों को 2000, पीएचडी रजिस्ट्रेशन में 4000, प्लेगरिज्म जांच के लिए 1000, थीसिस जमा करने के लिए 8000, लेट फाइन के लिए दो हजार वार्षिक और डिग्री के लिए 400 रुपये जमा करने होंगे। नीति में शोधिार्थियों के शोध पत्र का प्रकाशन अपने शोध निदेशक से कराना होगा।