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टेकाबिगहा के लोगों ने स्कूल का नया भवन बनाने को घेरा डीईओ कार्यालय

टेकाबिगहा के लोगों ने स्कूल का नया भवन बनाने को घेरा डीईओ कार्यालयटेकाबिगहा के लोगों ने स्कूल का नया भवन बनाने को घेरा डीईओ कार्यालयटेकाबिगहा के लोगों ने स्कूल का नया भवन बनाने को घेरा डीईओ...

Newswrap हिन्दुस्तान, बिहारशरीफThu, 19 Sep 2024 04:37 PM
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टेकाबिगहा के लोगों ने स्कूल का नया भवन बनाने को घेरा डीईओ कार्यालय ग्रामीणों ने कहा-जब से भवन बना है तब से एक बार भी नहीं हुई मरम्मत व रंगरोगन लोगों ने समग्र शिक्षा डीपीओ को सौंपा आवेदन, डीपीओ ने भवन बनवाने का दिया आश्वासन दर्जनों ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा-नहीं बना स्कूल भवन तो होगा चरणबद्ध आंदोलन घेराव करने वालों में बच्च, वृद्ध, युवा के साथ ही गोद में लिए कई महिलाएं भी थीं शामिल कुछ दिन पहले ही टेकाबिगहा स्कूल को अमरौरा स्कूल में किया गया है शिफ्ट गांव से दो किलोमीटर दूर नदिया के पार स्कूल में शिफ्ट करने पर अभिभावकों में नाराजगी फोटो : टेकाबिगहा डीईओ : जिला शिक्षा कार्यालय का गुरुवार को घेराव करते टेकाबिगहा गांव के लोग। बिहारशरीफ/चंडी, हिन्दुस्तान संवाददाता। चंडी प्रखंड के टेकाबिगहा गांव के सैकड़ों लोग स्कूल का जर्जर भवन की जगह नया भवन बनाने की मांग के लिए गुरुवार को डीईओ कार्यालय का घेराव किया। कुछ दिन पहले ही टेकाबिगहा मध्य विद्यालय के बच्चों की पढ़ाई के लिए अमरौरा मध्य विद्यालय में शिफ्ट किया गया है। नदी के पार दूसरे गांव के स्कूल में विद्यालय शिफ्ट होने से अभिभावकों में काफी नाराजगी है। गुस्साये ग्रामीणों ने अधिकारियों को खूब खरी-खोटी सुनयी। ग्रामीण बीरेन्द्र कुमार, नीतीश कुमार, कुमारी प्रभा सिन्हा, निर्मला देवी व अन्य ने बताया कि जब से भवन बनाया गया है, इसके बाद कभी भी स्कूल की मरम्मत व रंगरोगन नहीं कराया गया है। इस वजह से स्कूल भवन का काफी जर्जर हालत में है। यदि, भवन की समय-समय पर मरम्मत करायी जाती तो आज गांव के बच्चों को दूसरे गांव में पढ़ाई करने जाने की नौबत नहीं आती। कुछ दिन में भवन बनाने की कार्रवाई नहीं शुरू की गयी तो चरणबद्ध तरीके से आंदोलन किया जाएगा। चिंतिंत दिखीं महिलाएं : टेकाबिगहा गांव की महिलाएं छोटे-छोटे बच्चों को गोद में लेकर जिगर के टुकड़े का भविष्य की चिंता के साथ डीईओ कार्यालय पहुंची थीं। उन्हें यह चिंता सता रहा है कि स्कूल नहीं रहेगा तो उनके बच्चे कैसे पढ़ पाएंगे। कई महिलाओं ने कहा कि निजी विद्यालय में बच्चों को पढ़ाने की उनकी हैसियत नहीं है। पूरी तरह से सरकारी स्कूल पर ही बच्चों की पढ़ाई निर्भर है। गांव में स्कूल नहीं रहने से उनके बच्चों का भविष्य क्या होगा। डीपीओ ने दिया आश्वासन : डीईओ राजकुमार की अनुपस्थिति की वजह से समग्र शिक्षा डीपीओ कविता कुमारी ने लोगों की समस्याएं सुनीं। लोगों ने एक स्वर में कहा कि जब तक स्कूल का भवन नहीं बनाएंगे, तब तक बच्चों को दूसरे गांव के स्कूल नहीं भेजेंगे। ग्रामीणों ने गांव के पास ही कोई सरकारी भवन में स्कूल शिफ्ट करने की मांग की। डीपीओ ने ग्रामीणों की बात को काफी गंभीरता से सुना। सहायक अभियंता को तत्काल जांच करने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि प्राथमिकता के तौर पर नया भवन बनाने का प्रयास किया जाएगा। इसके बाद भी लोग कुछ सुनने को तैयार नहीं हुए। लोगों को स्पष्ट रूप से कहना था कि कब तक भवन बनेगा संभावित तिथि बतायी जाए। नदी पार कर जाते हैं स्कूल: ग्रामीणों ने बताया कि गांव से दो किलोमीटर दूर के स्कूल में नौनिहालों को भेजने में काफी परेशानी हो रही है। तीसरी कक्षा तक के बच्चों को स्कूल भेजने में डर लग रहा है। रास्ते में ही नदी है। नदी उफान पर है। ऐसे में बच्चों को स्कूल कैसे भेजा जा सकता है। स्थानीय अधिकारी बिना कुछ सोचे-समझे दूर के स्कूल में शिफ्ट कर दिया है। स्कूल जाने का एक और रास्ता चंडी से होकर जाने का है। ऐसे में टेकाबिगहा से अमरौरा स्कूल की दूरी छह से सात किलोमीटर हो जाएगी। विकास की राशि पर उठा सवाल : ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल की छोटी-मोटी मरम्मत व अन्य कार्य के लिए विभाग से विकास मद की राशि दी जाती है। लेकिन, यह राशि स्कूल को मिली या नहीं, इसकी जांच होनी चाहिए। यदि राशि मिली तो स्कूल का रंगरोगन व मरम्मत क्यों नहीं करायी गयी। दो साल से रोजाना स्कूल की जांच भी की जा रही है। ऐसे में सवाल यह भी कि जांच कर्मियों ने जर्जर भवन की जानकारी वरीय अधिकारियों को क्यों नहीं दी। यदि जानकारी दी तो भवन निर्माण कराने की पहल क्यों नहीं की गयी। ऐसे अनगिनत सवालों से ग्रामीणों ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को घेरा। अधिकारी कहिन: टेकाबिगहा गांव के दर्जनों लोगों ने लिखित आवेदन देकर नया भवन निर्माण कराने की मांग की है। सहायक अभियंता को जांच करने का आदेश दिया गया है। प्राथमिकता के साथ भवन बनवाने का प्रयास किया जाएगा। ताकि, बच्चों को किसी तरह की परेशानी नहीं झेलनी पड़े। कविता कुमारी, डीपीओ, समग्र शिक्षा

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