लहसुन, प्याज के बाद अब सरसों तेल की झांस रुला रही खरीदारों को
लहसुन, प्याज के बाद अब सरसों तेल की झांस रुला रही खरीदारों कोलहसुन, प्याज के बाद अब सरसों तेल की झांस रुला रही खरीदारों कोलहसुन, प्याज के बाद अब सरसों तेल की झांस रुला रही खरीदारों कोलहसुन, प्याज के...
लहसुन, प्याज के बाद अब सरसों तेल की झांस रूला रही खरीदारों को एक सप्ताह में आटा भी हो गया किलो पर 3 रुपया महंगा हरी सब्जियों के दाम घटने के नहीं ले रहे नाम, ग्राहक बेचैन फोटो लहसुन : लहसुन का ढेर। बिहारशरीफ, कार्यालय प्रतिनिधि। लहसुन के बाद प्याज की आसमान छूती कीमतों से बेहाल खरीदारों को अब सरसों तेल की झांस रूलाने लगी है। हद तो यह कि एक सप्ताह में गेहूं आटा की कीमत भी किलो पर तीन रुपए चढ़ गयी है। त्योहारी माह में खाद्य पदार्थों के बढ़े दाम से खरीदारों को महंगाई का जोरदार झटका लग रहा है। शहर की मंडियों का हाल यह कि अच्छी क्वालिटी का लहसुन 80 रुपए पाव (250 ग्राम) तो किलो 320 रुपए बिक रहा है। जबकि, निम्न गुणवत्ता वाला 60 रुपए पाव है। प्याज की कीमत पिछले 15 से 20 दिनों में खूब चढ़ा है। 40-45 से बढ़कर प्रति किलो 60 से 62 रुपए तक पहुंच गया है। पिछले साल गेहूं की जिले में बंपर उपज होने के बाद भी आटा के दाम में एक सप्ताह में प्रति 32 से चढ़कर 35 रुपए तक पहुंच गया है। सरसों तेल भी महंगाई की गर्मी दिखने लगी है। दस दिनों में 160-165 से बढ़कर किलो पर 180 से 185 रुपए तक हो गया है। ब्रांडेड कंपनियों के बोतल व टीना बंद तेल के दाम भी चढ़ गया है। कालाबाजारियों की चांदी, दुकानदार दे रहे सफाई: तेल के दाम में अचानक हुई वृद्धि से कालाबाजारियों की चांदी कट रही है। जबकि, दुकानदार सफाई दे रहे हैं। कोई मौसम के कारण फसलों को नुकसान होने को बजह बता रहा है तो कोई मांग से कम सरसों की आपूर्ति की बात कर रहा है। इन सबके बीच ग्राहकों की जेब कट रही है। तेल मिल संचालकों का कहना है कि लोकल सरसों बाजार में नहीं है। पूर्णिया और पश्चिम बंगाल से मंगाना पड़ रहा है। वहां के कारोबारी पहले 6900 रुपए क्विंटल तो अब 7500 रुपए एक क्विंटल के मांगते हैं। महंगा सरसों खरीदेंगे तो महंगा तेल बेचना मजबूरी है। मांग अधिक,आपूर्ति कम दुकानदारों का कहना है कि लोकल मंडियों में लहसुन, प्याज और सरसों की आपूर्ति कम है। जबकि, मांग अधिक है। बाहर के व्यापारी कहते हैं कि हार्वेस्टिंग के समय में बारिश होने के कारण उपज कम हुई है। दाम अधिक देना होगा, तभी माल देंगे। दूसरी तरफ उपज और बाजार के मिजाज को भांप बड़े पैपमाने पर कालाबाजारी करने वाले माल को किसानों से खरीदकर स्टॉक कर लिये हैं। हरी सब्जियां भी तरेर रहीं आखें: मंडियों में ग्राहकों को देखते ही हरी सब्जियां भी आंखें तरेरने लगती हैं। भिण्डी और नेनुआ भले ही 20 रुपए किलो है। लेकिन, अन्य हरी सब्जियां 40 रुपए किलो से कम में खरीदारों के थैले में आने को तैयार नहीं है। सब्जी मंडियों में महंगाई का असर एक-दो दिन से नहीं, बल्कि कई माह से दिख रहा है। सच्चाई यह भी कि नालंदा जिले में सब्जी की खेती बड़े पैमाने पर होती है। बावजूद, मंडियों में महंगाई गर्मी कम होने का नाम नहीं ले रही है।
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