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कई व्यंजनों के साथ चावल खाकर मांओं ने तोड़ा जिउतिया व्रत

कई व्यंजनों के साथ चावल खाकर मांओं ने तोड़ा जिउतिया व्रतकई व्यंजनों के साथ चावल खाकर मांओं ने तोड़ा जिउतिया व्रतकई व्यंजनों के साथ चावल खाकर मांओं ने तोड़ा जिउतिया व्रतकई व्यंजनों के साथ चावल खाकर...

Newswrap हिन्दुस्तान, बिहारशरीफThu, 26 Sep 2024 08:58 PM
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कई व्यंजनों के साथ चावल खाकर मांओं ने तोड़ा जिउतिया व्रत संतान की लंबी आयु और स्वस्थ जीवन के लिए महिलाओं ने किया कठिन व्रत बिहारशरीफ/शेखपुरा, हिन्दुस्तान टीम। पारंपरिक जीउतिया व्रत गुरुवार को विधिवत संपन्न हुआ। पूरे बिहार और पूर्वांचल के विभिन्न इलाकों में माताओं ने विशेष श्रद्धा और आस्था के साथ इस व्रत को किया। श्रद्धालु महिलाओं ने उपवास तोड़ने के लिए कुशी केराय (हरी सब्जी) के साथ कंदा की सब्जी, नेनुआ की साग और चावल का भोजन ग्रहण किया। ज्योतिषियों की मानें तो इस व्रत का महत्व संतान की लंबी आयु और स्वास्थ्य के लिए होता है। इसे विशेष उत्साह के साथ माताओं ने श्रद्धा से किया। जीउतिया व्रत को जितिया के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत तीन दिनों तक चला। महिलाओं ने पहले दिन नहाय-खाय की रस्म पूरी की, दूसरे दिन निराहार रहकर उपवास रखा और तीसरे दिन कुशी केराय और चावल से व्रत का पारण किया। व्रती महिलाओं ने सुबह स्नान कर पूजा-अर्चना की और मंदिर में जाकर अपने पुत्रों की दीर्घायु की कामना की। गुरुवार की सुबह व्रत का पारण करते हुए महिलाओं के चेहरों पर विशेष उत्साह और संतोष दिखी। मनोरमा देवी, छाया देवी, बबली व अन्य व्रतियों ने कहा कि जीउतिया व्रत मातृत्व और संतान के प्रति हमारे समर्पण और आस्था का प्रतीक है। यह व्रत हर वर्ष हमें हमारी पारंपरिक धरोहर से जोड़े रखता है। हमारी भावनात्मक तथा सांस्कृतिक पहचान को सुदृढ़ करता है। समापन के साथ ही व्रती महिलाओं ने एक दूसरे को शुभकामनाएं दीं और सामूहिक रूप से व्रत समाप्ति का जश्न मनाया। संतान की रक्षा और दीर्घायु के लिए प्रार्थना की।

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