मानसून की मार: बिन पानी हांफ रही जिले की पहली नदी जोड़ योजना
मानसून की मार: बिन पानी हांफ रही जिले की पहली नदी जोड़ योजनामानसून की मार: बिन पानी हांफ रही जिले की पहली नदी जोड़ योजनामानसून की मार: बिन पानी हांफ रही जिले की पहली नदी जोड़ योजनामानसून की मार: बिन पानी...
हिन्दुस्तान एक्सक्लूसिव: मानसून की मार: बिन पानी हांफ रही जिले की पहली नदी जोड़ योजना दो कैनाल के सहारे जोड़ी गयी हैं मुहाने और चिरैंया नदियों को तीसरे कैनाल से खेतों की सिंचाई के लिए मिलता है पानी ठंड में भी बराज व कैनाल में पानी की जगह उड़ रही धूल फोटो नदी : चंडी के माधोपुर के पास चिरैंया नदी में बनाया गया बराज। बिहारशरीफ, कार्यालय प्रतिनिधि। जिले की पहली नदी जोड़ योजना तीन साल पहले धरातल पर उतरी थी। दो कैनालों के सहारे मुहाने और चिरैंया नदियों को जोड़ा गया है। चंडी के माधोपुर के पास बराज का निर्माण कराया गया है। दयालपुर गांव के बगल से पक्का कैनाल बनाया गया है। विडंबना यह कि नदियों में पर्याप्त पानी न आने के कारण नदी जोड़ योजना हांफ रही है। हाल यह कि ठंड के मौसम में ही दोनों नदियों में पानी खत्म हो चुका है। कैनाल की सतह पर दरारें फटी हैं। दावा किया गया था कि दोनों नदियों के जुड़ जाने पर चंडी और हरनौत प्रखंडों के हजारों हेक्टेयर खेतों की सिंचाई करना सहज हो जाएगा। दोनों नदियों के पानी का इस्तेमाल बेहतर तरीके से हो सकेगा। 2020 में बाराज और कैनाल बनाने का काम पूरा हुआ था। योजना पर करीब 17 करोड़ 49 लाख रुपये खर्च किये गये थे। दयालपुर, जैतीपुर व आसपास के किसानों का कहना है कि जिस उद्देश्य से नदी जोड़ योजना को धरातल पर उतारा गया है, वह अबतक पूरा नहीं हुआ है। वजह है, बरसात के दिनों में मानसून का साथ मिलना। 1.44 किमी मुख्य कैनाल की है लम्बाई: नदियों को जोड़ने के लिए 1.44 किमी मुख्य कैनाल और 1.5 किमी सप्लीमेंट्री कैनाल बनाये गये हैं। चिरैंया नदी पर छह गेट का बराज भी बनाया गया है। योजना के तहत बराज के सहारे चिरैंया के पानी को रोका जाना है। जरूरत पड़ने पर पानी को कैनाल के माध्यम से मुहाने नदी में लाया जाना है। मुहाने नदी के किनारे पर कैनाल में रेगुलेटरी गेट लगाया गया है। ताकि, दोनों नदियों के पानी का आदान-प्रदान आसानी से हो सके। मुख्य कैनाल दयालपुर (प्राणचक) के बगल से गुजरा है। इसकी चौड़ाई छह मीटर और गहराई 2.25 मीटर है। जबकि, दूसरा कैनाल भी दयालपुर के पास से बना है। बाढ़-सुखाड़ से भी राहत : नदियों को जोड़ने वाले दोनों कैनाल से लिंक कर चार किमी लम्बा तीसरा कैनाल (प्राणचक कैनाल) भी है। इससे दयालपुर, प्राणचक, मोसेपुर, मनियारी, खरजम्मा आदि गांवों के किसानों को सहज तरीके से सिंचाई के लिए पानी का इंतजाम करना है। पहले बारिश के दिनों में चिरैंया में ज्यादा तो मुहाने में काफी कम पानी रहता है। इसके कारण एक तरफ बाढ़ की तबाही से किसान सहमे रहते हैं। वहीं, दूसरी तरफ जरूरत से कम पानी रहने के कारण किसानों को सिंचाई के लिए परेशान होना पड़ता है। किसानों को बाढ़ और सुखाड़ से पूरी तरह निजात दिलाने के लिए दोनों नदियों को जोड़ा गया है। कहते हैं अधिकारी: नदी जोड़ योजना किसानों के हित में बनायी गयी है। चिरैंया और मुहाने में पानी आने पर आसपास के गांवों के किसानों को पटवन में काफी सहूलियत मिलती है। हालांकि, पिछले कुछ सालों से उम्मीद से कम पानी दोनों नदियों में आ रहा है। इससे किसानों जरूर परेशानी उठानी पड़ रही है। सुशील कुमार, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, सिंचाई प्रमंडल, बिहारशरीफ बॉक्स किसानों ने कहा, योजना फायदेमंद पर नदियों में नहीं बहती धार दयालपुर के किसान ओपी सिंह, रामवृक्ष सिंह, सिदेश्वर सिंह, रामाकांत सिंह, जैतीपुर के अशोक प्रसाद व अन्य कहते हैं कि नदी जोड़ योजना निश्चित तौर पर किसानों के लिए काफी फायदेमंद है। परंतु, हाल के सालों में मुहाने के साथ ही चिरैया नदी में पानी की तेज धार नहीं बह रही है। बरसात का पानी नदियों की सतह पर जरूर जमा होता है। लेकिन, पर्याप्त पानी न आने की वजह से कैनाल के सहारे खेतों की सिंचाई संभव नहीं हो पा रही है। इस साल कुछ दिन के लिए नदियों का पानी कैनाल में आया था। उससे धान की खेती करने में काफी सुविधा मिली थी। वर्तमान हालात ऐसे हैं कि दोनों नदियां सूखी पड़ी हैं। कैनाल में एक बुंद पानी नहीं बना है। कुल मिलाकर आसपास के किसान निजी बोरिंग के बूते रबी की खेती कर रहे हैं।
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