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सारनाथ से 'चरथ भिक्खवे' यात्रा दल बोधगया, राजगीर होते हुए नालंदा पहुंचा है। यह यात्रा लोक कल्याण और विश्व शांति के उद्देश्य से की जा रही है। इसमें साहित्यकार, लेखक, और कलाकार शामिल हैं। संगोष्ठी में...
सारनाथ से 'चरथ भिक्खवे' यात्रा दल पहुंचा राजगीर लोक कल्याण और विश्व शांति के लिए यात्रा पर निकला है दल आचार्य ने संगोष्ठी में पढ़े शोध पत्र फोटो : सारनाथ : नव नालंदा महाविहार में चरथ भिक्खवे कार्यक्रम में शामिल अतिथि। राजगीर निज संवाददाता। सारनाथ से चलकर 'चरथ भिक्खवे' यात्रा बुधवार को बोधगया, राजगीर होते हुए नालंदा पहुंचा। भगवान बुद्ध ने अपने शिष्यों को कहा था कि लोगों के हितों के लिए, लोगों के सुख के लिए तथा लोक कल्याण के लिए चारिका करो। इसे ही 'चरथ भिक्खवे' कहा जाता है। इसी उद्देश्य से साहित्यिक एवं सांस्कृतिक यात्रियों का एक दल सारनाथ से रवाना हुआ था। यह दल वैशाली, केसरिया, कुशीनगर, लुंबिनी, कपिलवस्तु, श्रावस्ती, कौशांबी होते हुए पुन: सारनाथ को लौटेगा। यात्रा में देश के कई साहित्यकार, लेखक, कवि, चिन्तक, कलाकार शामिल हैं। यात्रा के दौरान नव नालंदा महाविहार में बुद्ध के विचारों पर साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संगोष्ठी तथा विचार विमर्श हुई। हिंदी के प्रो. रवींद्र नाथ श्रीवास्तव 'परिचय दास' द्वारा इसका संयोजन किया गया। प्रो. हरे कृष्ण तिवारी तथा डॉ. अनुराग शर्मा के अलावा महाविहार के आचार्यों तथा शोध छात्रों ने संगोष्ठी में भाग लिया। उन्होंने अपने विचार व्यक्त किए। इसके पहले राजगीर राजकीय डिग्री महाविद्यालय में भी संगोष्ठी हुई। बहुजन सुखाय बहुजन हिताय को आधार मानकर विश्व शांति, विश्व प्रेम, विश्व मैत्री, करुणा एवं सद्भावना को कायम रखने के लिए यह कार्यक्रम हुआ। मौके पर प्रो. राम सुधार सिंह, कवयित्री गगन गिल, अध्यक्ष साहित्यकार रंजना अरगडे, डॉ. सदानंद शाही, काशी विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष कथाकार राणेंद्र, प्रो. रमाशंकर, प्राचार्य डॉ. मुसर्रत जहां व अन्य शामिल थीं।
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