राजगीर में आयुर्वेदाचार्यों का लगा जमघट, 26 सौ साल बाद कर रहे ज्ञान का आदान-प्रदान
राजगीर में आयुर्वेदाचार्यों का लगा जमघट, 26 सौ साल बाद कर रहे ज्ञान का आदान-प्रदानराजगीर में आयुर्वेदाचार्यों का लगा जमघट, 26 सौ साल बाद कर रहे ज्ञान का आदान-प्रदानराजगीर में आयुर्वेदाचार्यों का लगा...
राजगीर में आयुर्वेदाचार्यों का लगा जमघट, 26 सौ साल बाद कर रहे ज्ञान का आदान-प्रदान सर्जन वैद्य जीवक के नाम पर राजगीर में अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद शोध संस्थान खोलने की उठायी आवाज कहा-यूनिवर्सिटी ऑफ नालंदा में हो आयुर्वेद की पढ़ाई व शोध प्राचीन नालंदा महाविहार के पहले प्राचार्य नागार्जुन थे रसायन व आयुर्वेद के प्रखंड विद्वान फोटो : आयुर्वेद : राजगीर के जंगल में शनिवार को जड़ेी-बूटियों का अध्ययन करते आयुर्वेदाचार्य। राजगीर, कार्यालय संवाददाता। विश्व प्रसिद्ध सर्जन व आयुर्वेद के ज्ञाता वैद्य जीवक की याद में 26 सौ साल बाद फिर से राजगीर में आयुर्वेद पर मंथन किया जा रहा है। शुक्रवार से वीरायतन में शुरू आयुर्वेद चिकित्सा सम्मेलन में देशभर के 50 से अधिक आयुर्वेदाचार्य शामिल हो रहे हैं। शनिवार को चिकित्सकों ने राजगीर के जंगल में पायी जाने वाली जड़ी-बूटियों का अध्ययन व कई पर्यटक स्थलों की सैर की। आयुर्वेद को आम-अवाम की चिकित्सा पद्धति बताते हुए लोगों ने राजगीर में सर्जन वैद्य जीवक के नाम पर अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद शोध संस्थान खोलने की आवाज उठायी। कहा कि यूनिवर्सिटी ऑफ नालंदा में आयुर्वेद की पढ़ाई व शोध का इंतजाम होना चाहिए। क्योंकि, इसका निर्माण प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की तर्ज पर किया गया है। प्राचीन नालंदा महाविहार के पहले प्राचार्य नागार्जुन रसायन व आयुर्वेद के प्रखंड विद्वान थे। उन्होंने इस पद्धति को काफी आगे बढ़ाया। इतना ही नहीं, वे पारस पत्थर से सोना बनाने की कला भी जानते थे। सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए पटना आयुर्वेद संस्थान के पूर्व प्राचार्य डॉ. बिन्देश्वर प्रसाद ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार में राजगीर में विकास के काफी काम हुए हैं। कभी अपने जमाने के सर्जन कहे जाने वाले वैद्य जीवक यहां वास करते थे। उन्हें अपने समय का धनवंतरी कहा जाता था। उन्होंने राजा बिम्बिसार को असाध्य माना जाने वाला भगन्दर (खूनी बवासीर) का इलाज किया था। इसी तरह कई ऐसे किस्से हैं, जो उनके महान सर्जन व फिजिसियन होने का प्रमाण देते हैं। जीवक ने आम्र वाटिका में भगवान बुद्ध का इलाज किया था। ऐसे में उनके नाम पर शोध संस्थान खोला जाना चाहिए। आयुर्वेद से होता है रोग का जड़ से उपचार: पटना आयुर्वेद संस्थान के अध्यापक डॉ. रमन रंजन ने कहा कि आयुर्वेद से मूल रोग का उपचार होता है। इससे रोग जड़ से भागता है। आयुर्वेद हर घर में उपयोग होता है। हल्दी, अदरख, काढ़ा हर जगह पर उपयोग किया जाता है। आयुर्वेद पर लोगों का काफी विश्वास है। आयुर्वेद की दवा बनाते समय कच्ची सामग्री की पहचान सबसे अहम है। किसानों से खरीदें। ये दवाइयां राज्य के नागरिकों को मानक स्तर पर उपलब्ध कराना हम सबों का दायित्व है। सबसे पुरानी पद्धति : डॉ. संतोष विश्वकर्मा ने कहा कि आयुर्वेद सबसे पुरानी पद्धति है। यह हर आम तक पहुंच रखती है। बस लोगों को जगाने की जरूरत है। आयुर्वेद पर सबों का विश्वास है। यह लोगों के लिए काफी सुलभ व सहज है। जीवन को सपोर्ट करने वाली पद्धति है। यह स्वास्थ्य रक्षक है। जीने में मदद करती है। बिहार व राजगीर की धरती काफी सुंदर है। राजगीर के जंगलों में जड़ी-बूटियों की है भरमार : यहां की पंच पहाड़ियों व जंगलों में कई तरह की जड़ी-बूटियों की भरमार है। इसी जड़ी-बूटी से राजा बिम्बिसार के समय कभी भगवान बुद्ध के घाव को जीवक वैद्य ने ठीक किया था। यहां के जंगलों में गुलमार, अश्वगंधा, सतावरी, गिलोय, सरपोका, गोरखमुंडी, कालमेग, बहेड़ा, आंवला, हरीतकी (हरे), कटिला, खैर, अनंत मूल, नीम छाल, अर्जुन छाल(कहुआ), काउजबीज(कुकुअत), ब्राह्मी बूटी, शंखपुष्पी, मरोरफली, करंज बीज, सफेद मसूली सहित सैकड़ों तरह की जड़ी-बूटियां पायी जाती हैं। यहां पर आयुर्वेद कॉलेज खोलकर यदि इन पर शोध किया जाय तो इनसे दवाएं बनायी जाएंगी और असाध्य से असाध्य रोगों का इलाज हो सकेगा। वहीं बिहार के छात्रों को आयुर्वेद पढ़ने और अपनी प्रकृति को जानने का मौका मिलेगा। सम्मेलन में डॉ. गणेश प्रसाद गुप्ता, डॉ. एसबी पांडेय, डॉ. इंदिरा अग्रवाल, डॉ. अंकिता नायक, डॉ. मानस रंजन होता, डॉ. विवेक दुबे, डॉ. प्रदीप चौधरी, डॉ. बिनोद दांतेना, डॉ. शोभी खान, डॉ. आराधना शर्मा, डॉ. हितेन वाजा समेत अन्य मौजूद थे। इन रोगों में करते हैं ये काम : गुड़मार : सुगर अश्वगंधा : इम्यूनिटी बढ़ाना, ब्रेन टॉनिक सतावरी : पौष्टिक गिलोय : इम्यूनिटी बढ़ाना सरपोका व गोरखमुंडी - लीवर कालमेग : मलेरिया बुखार अनंत मूल : खून साफ अर्जुन छाल( कहुआ) : हृदय रोग, ब्लड प्रेशर काउज बीज (कुकुअत) : वीर्यवर्द्धक ब्राह्मबूटी : स्मरण शक्ति बर्द्धक शंखपुष्पी : अनिद्रा नाशक मरोर फली : स्त्री रोग नाशक करंजी बीज : फलेरिया में सफेद मूसली : धातु पौष्टिक
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