Hindi Newsबिहार न्यूज़Bihar Writer Rithwik Aryan spends 18 months in Ranchi Agra Asylums to write a novel book on mental health

मानसिक रोग पर किताब लिखने को 18 महीने रांची, आगरा के पागलखाने में रहा उपन्यासकार

  • बिहार के 24 साल के नौजवान लेखक ने अपने पहले उपन्यास को लिखने के लिए रांची और आगरा के पागलखाने में 18 महीने बिताए।

Ritesh Verma हिन्दुस्तान टाइम्स, अरुण कुमार, पटनाMon, 11 Nov 2024 07:50 PM
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बिहार के एक नौजवान लेखक ने मानसिक रोग पर किताब लिखने के लिए 18 महीने आगरा और रांची के पागलखाने में बिताए। 24 साल के ऋत्विक आर्यन ने पागलखानों में मानसिक मरीजों के साथ साक्षात अनुभव जुटाकर अपना पहला उपन्यास, आउट ऑफ मैडनेस, लिखा है जिसका विमोचन 24 नवंबर को होगा। ब्लूवन इंक कंपनी ने इस उपन्यास को छापा है जिसे ब्लूम्सबरी इंडिया के संस्थापक सदस्य प्रवीण तिवारी ने शुरू किया है। बुक रिलीज से पहले इसकी चर्चा होने लगी है।

आर्यन ने किताब में मानसिक मसलों को झेल रहे पुरुष और औरतों के विभिन्न आयाम को कवर किया है। हर मरीज की परिस्थिति अलग होती है जिसे वो अलग तरीके से हैंडल करता है। किताब मानिसक रोग की कड़वी सच्चाई को सामने लाती है और समाज में इसको लेकर लापरवाहियों को भी उठाती है। आर्यन बताते हैं कि उन्होंने इस दुनिया को नजदीक से देखने और समझने के लिए 18 महीने देश के दो प्रमुख पागलखाने में बिताए।

ऋत्विक के उपन्यास का मुख्य किरदार 24 साल का एक अस्सिटैंट प्रोफेसर है जो मनोविज्ञान का शिक्षक है। धोखा और हार से भरी अपनी जिंदगी से आजिज ये टीचर अपनी मौत की झूठी कहानी रचता है ताकि इस जिंदगी से भाग सके। अगले छह साल में वो क्राइम, मानव तस्करी की दुनिया में घुस जाता है और आखिर में एक पागखाने में पहुंच जाता है। वहां वो टीचर एक पूर्व अभिनेत्री के प्यार में पड़ जाता है जो ड्रग्स की लत से जूझ रही है। उपन्यास चाहत, पतन और छुटकारा की परतों को उधेड़ती है जिसकी पृष्ठभूमि एक पागलखाने की है। आर्यन के पिता अरुण कुमार एक रिटायर्ड नौकरशाह हैं जबकि मां रितु जायसवाल एक राजनेता हैं।

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