बिहार में फिर अटक गया है यूनिवर्सिटी और कॉलेज में वेतन और पेंशन, आंदोलन की धमकी
- बिहार सरकार के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षक, कर्मचारी और पेंशनर्स को जून के बाद वेतन या पेंशन नहीं मिला है। शिक्षा विभाग ने कहा है कि जब तक पिछले अनुदान की उपयोगिता का डेटा विभागीय पोर्टल पर अपलोड नहीं होगा, अनुदान जारी नहीं हो पाएगा।
बिहार में चार-पांच महीने लंबे इंतजार के बाद 20 जून को यूनिवर्सिटी और कॉलेज के शिक्षक और कर्मचारियों को वेतन और रिटायर लोगों को पेंशन मिला था लेकिन उसके बाद फिर से वेतन रुका हुआ है। शिक्षा विभाग ने जुलाई महीने का अनुदान जारी नहीं किया है जिसकी वजह से बिना वेतन के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में टीचिंग, नॉन टीचिंग स्टाफ और पेंशनर्स का दूसरा महीना बीत गया है। शिक्षा विभाग के सीनियर अधिकारी कह रहे हैं कि जुलाई या आगे का वेतन तभी जारी हो पाएगा जब पेरोल मैनेजमेंट पोर्टल पर यूनिवर्सिटी-कॉलेज पिछले अनुदान की उपयोगिता का डेटा भर देंगे। इस बात को लेकर शिक्षक संगठन आंदोलन की धमकी देने लगे हैं।
शिक्षा मंत्री के द्वारा बुलाई गई बैठक के बाद विभाग ने 20 जून को ही सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेज से पेरोल मैनेजमेंट पोर्टल पर डेटा अपलोड करने कहा था। इसको लेकर विभाग के सचिव बैधनाथ यादव ने सोमवाकर को दोबारा चिट्ठी लिखी है लेकिन डेटा आने की रफ्तार बहुत धीमी है। इसकी वजह से अगस्त महीने का वेतन भी अटक सकता है। राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच केके पाठक के कार्यकाल के दौरान टकराव के कारण इनका वेतन कई महीने लटक गया था। जून में सरकार ने वित्त विर्ष 2024-25 के लिए फंड को मंजूरी दी थी।
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फेडरेशन ऑफ यूनिवर्सिटीज टीचर्स एसोसिएशन ऑफ बिहार के कार्यकारी अध्यक्ष कन्हैया बहादुर सिन्हा और महासचिव व विधान पार्षद संजय कुमार सिंह ने कहा है कि दुर्भाग्य है कि पूर्व अपर मुख्य सचिव केके पाठक के तबादले के बाद भी शिक्षा विभाग अडंगा लगाने की नीति पर चल रहा है। इन लोगों ने कहा कि नए एसीएस सिद्धार्थ सकारात्मक काम कर रहे हैं लेकिन उनके नीचे के लोगों का रवैया नहीं बदला है जो शिक्षक, कर्मचारी और पेंशनर के हित में नहीं है। अगर पोर्टल पर डेटा अपलोड करने में समय लग रहा है तो इसके लिए सैलरी या पेंशन रोकने को उचित नहीं ठहराया जा सकता। शिक्षक नेताओं ने पूछा कि इतने साल से सरकार कैसे वेतन दे रही थी।
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शिक्षक नेताओं ने कहा कि विभाग बार-बार गोलपोस्ट बदलकर शिक्षकों और कर्मचारियों को परेशान कर रहा है जिसे राज्य में उच्च शिक्षा को ऐसा नुकसान हो रहा है जिसकी भरपाई नहीं हो पाएगी। उन्होंने कहा कि नवंबर से अगले साल का बजट बनाने की तैयारी शुरू होगी और उसमें कुछ नई शर्तें डाल दी जाएंगी जिससे वेतन और लेट हो जाए। उन्होंने कहा कि शिक्षक और स्टाफ पर डेटा अपलोड करने की जवाबदेही डालने के बदले यूनिवर्सिटी के अधिकारियों को यह काम देना चाहिए। शिक्षक नेताओं ने कहा है कि अगर हालात नहीं बदले तो राज्य स्तर पर आंदोलन की शुरुआत कर दी जाएगी।