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बिहार में बनेगा दूसरा टाइगर रिजर्व, कैमूर वन्यजीव अभ्यारण को केंद्र सरकार की हरी झंडी

दक्षिण बिहार के कैमूर वन्यजीव अभ्यारण को बिहार के दूसरे टाइगर रिजर्व के रूप में विकसित किया जाएगा। केंद्र सरकार ने इस पर सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है।

पीटीआई पटनाMon, 7 Oct 2024 08:36 PM
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बिहार में वीटीआर के बाद एक और टाइगर रिजर्व बनाया जाएगा। बिहार सरकार कैमूर वन्यजीव अभ्यारण को राज्य के दूसरे टाइगर रिजर्व के रूप में विकसित करेगी। केंद्र सरकार ने इसके लिए हरी झंडी दे दी है। सूबे के पर्यावरण एवं वन मंत्री प्रेम कुमार ने सोमवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि केंद्र ने कैमूर अभ्यारण को टाइगर रिजर्व के रूप में विकसित करने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। बिहार सरकार अब इसके विकास एवं बाघों को ट्रांसफर करने की योजना तैयार कर रही है।

कैमूर वन्यजीव अभ्यारण 1504.96 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। पर्यावरण एवं वन विभाग की सचिव वंदना प्रेयशी ने कहा कि वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) में पिछले कुछ सालों से बाघों की आबादी बढ़ी है। वीटीआर में बाघों की संख्या 54 हो गई है। बिहार के लिए यह बड़ी उपलब्धि है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने अपनी 12वीं टेक्निकल कमिटी की बैठक में कैमूर वन्यजीव अभ्यारण को बिहार के दूसरे टाइगर रिजर्व के रूप में विकसित करने के रूप में स्वीकृति दी।

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बता दें कि वीटीआर पश्चिम चंपारण जिले के वाल्मीकि अभ्यारण का हिस्सा है, जो लगभग 909 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। 1990 में इसे देश के 18वें टाइगर रिजर्व के रूप में विकसित किया गया था। बाघों की आबादी और घनत्व के मामले में इसका देश में चौथा स्थान है। इस अभ्यारण के अंदर से गंडक और मसान नदी गुजरती हैं, जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देती हैं।

वहीं, कैमूर वन्यजीव अभ्यारण उत्तर में भोजपुर, बक्सर और उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के कुछ हिस्सों तक फैला हुआ है। दक्षिण में झारखंड के पलामू और गढ़वा जिले के कुछ इलाके इसमें आते हैं। पश्चिम में यूपी के वाराणसी और सोनभद्र, तो पूर्व में बिहार के औरंगाबाद और जहानाबाद जिले इसका हिस्सा हैं। इस वन्यजीव अभ्यारण में तेंदुए, चितल, सांभर, भालू, जंगली सुअर, नीलगाय, चौसिंगा के अलावा पक्षियों की 70 प्रजातियों के पशु-पक्षी हैं।

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