उफान पर बिहार की नदियां; 13 जिलों पर आई आफत, सैकड़ों गांव बाढ़ में डूबे, हाई अलर्ट पर प्रशासन
नेपाल से छोड़े गए पानी की वजह से कोसी क्षेत्र बाढ़ में डूब गया है। सुपौल जिले में सैकड़ों गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। कटिहार और खगड़िया में विशेष अलर्ट घोषित किया गया है। नदियों के जलस्तर बढ़ने से 13 जिले प्रभावित हुए हैं। और 1.4 लाख आबादी बाढ़ की चपेट में आ गई है।
नेपाल से आए पानी ने कोसी क्षेत्र को बाढ़ की चपेट में ले लिया है। वीरपुर बराज से शनिवार शाम छह बजे तक 5.67 लाख क्यूसेक पानी डिस्चार्ज हुआ। नतीजा यह हुआ कि सुपौल जिले के पांच प्रखंड की 27 पंचायतों के सौ गांव में बाढ़ का पानी फैल चुका है। सहरसा जिले के महिला, सिमरी बख्तियारपुर और सलखुआ प्रखंड की 22 पंचायतों में देर रात बाढ़ का पानी आ गया।
जल संसाधन विभाग और संबंधित जिलों का प्रशासन पूरी तरह अलर्ट मोड में है। कोसी के अलावा सहायक नदियां भी लगातार बारिश की वजह से उफान पर है। इस वजह से सीमांचल भी बाढ़ की जद में आ गया। अररिया, किशनगंज पूर्णिया व कटिहार में बकरा, महानंदा, परमान के साथ कनकई नदी में पानी बढ़ गया। वीरपुर के चीफ इंजीनियर वरुण कुमार ने बताया कि बराज के सभी 56 फाटक खोल दिए गए गए हैं। राहत की बात है कि नेपाल के बराह क्षेत्र में पानी स्थिर हो गया है। देर रात से कोसी के जलस्तर में कमी आ सकती है।
कोसी नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी से तटंबध के अंदर के गांवों में पानी फैल गया है। कोसी तटबंध के अंदर स्कूल और आंगनबाड़ी केन्द्रों को अगले आदेश तक के लिए बंद कर दिया गया है। डीएम कौशल कुमार ने बताया कि तटबंध के अंदर रह रहे लोगों को बाहर निकलने के लिए कहा गया है। लगभग तीन लाख लोग तटबंध के अंदर बसे हैं। उधर, एडीएम राशिद कलीम अंसारी ने बताया कि पांच प्रखंड के 27 पंचायत के लगभग 100 गांव पानी में है। सरकारी नाव से लोगों को बाहर निकालने की व्यवस्था की गई है। फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है।
कोसी तटबंध के 16.98, 10, 26.44 और नेपाल प्रभाग के 34 किमी स्पर पानी का दवाब है, वहां बाढ़ संघर्षात्मक कार्य कराए जा रहे हैं। स्थिति नियंत्रण में है। उधर, सहरसा में अधिकारियों ने तटबंध की सुरक्षा लिया। हालात पर नजर है। मधेपुरा में आलमनगर और चौसा प्रखंड में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। मधेपुरा शहर से सटे पूर्वी और पश्चिमी गुमटी नदी के जलस्तर में तेजी से वृद्धि हो रही है। शहर के निचले इलाके में पानी का दबाव बढ़ने लगा है। डीएम तरनजोत सिंह ने बताया कि जलस्तर पर नजर रखी जा रही है।
कटिहार-खगड़िया में विशेष अलर्ट
कटिहार में महानंदा नदी का जलस्तर पिछले 18 घंटे में करीब 60 सेंटीमीटर से अधिक बढ़ा है। हानंदा नदी का पानी निचले इलाके में फैलने लगा है कई बिंदुओं पर खतरे के निशान को पार कर गया है। खगड़िया में कोसी नदी में जलस्तर में वृद्धि को लेकर जिला प्रशासन ने अलर्ट जारी किया है।
निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को ऊंचे स्थानों पर आने का निर्देश जारी किया है। जलसंसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता कृपाल चौधरी ने कहा कि संवेदनशील जगहों पर सैंड बैग पर्याप्त मात्रा में है। एडीएम आरती ने बताया कि कोसी नदी में जलवृद्धि की संभावना को देखते हुए बचाव कार्य के लिए निर्देश दिए गए हैं।
पूर्णिया- लोग ऊंचे स्थान की ओर पलायन कर रहे
कोसी नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी को देखते हुए पूर्णिया में भी अलर्ट जारी किया गया है। लोग ऊंचे स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं। कोसी में बाढ़ की सूचना मिलते ही रूपौली अंचल कार्यालय से एक पत्र जारी कर निचले इलाकों में बाढ़ का पानी प्रवेश करने की संभावना व्यक्त की गई है। नाविक को मछली मारने के लिए नाव को नदी में नहीं ले जाने की सलाह दी गई है।
इस बीच देर शात तक कोसी नदी के बढ़े जलस्तर से भौआ परवल, कोयली सिमरा पूरब और पश्चिम, विजय लालगंज, विजय मोहनपुर, कांप आदि पंचायत फिर से प्रभावित हो गई है। सीओ शिवानी सुरभि ने बताया कि अंचल प्रशासन अलर्ट मोड पर है। वहीं तीन-चार दिनों से नेपाल के जल अधिग्रहण क्षेत्र में मूसलाधार बारिश के कारण अररिया क्षेत्र में बकरा, भलुआ, लोहंदरा, परमान, सिंहिया, बरजान, मशना आदि नदियां उफना गई हैं। किशनगंज में भी कनकई उफान पर है। दीघलबैंक प्रखंड का कई हिस्सा बाढ़ के पानी से घिर गया है।
अनुमान से एक लाख कम
पूर्वानुमान था कि शनिवार दोपहर तक 6.81 लाख क्यूसेक पानी डिस्चार्ज होगा। शाम तक 5.67 लाख क्यूसेक पानी ही आया है। यही वजह रही कि अभी तक सभी बांध सुरक्षित हैं। बता दें कि इससे पहले 5 अक्टूबर 1968 को कोसी नदी का जलस्तर 7 लाख 88 हजार 200 क्यूसेक तक जा पहुंचा था।
इस साल 14 अगस्त को 4 लाख 62 हजार 345 क्यूसेक जलस्तर रिकॉर्ड किया गया था। राहत की बात है कि नेपाल क्षेत्र में पानी की रफ्तार थमने की सूचना है। नेपाल के बराह क्षेत्र में पानी स्थिर हो गया है।
आपको बता दें गंडक, कोसी, बागमती, महानंदा एवं अन्य नदियों के जलस्तर में वृद्धि होने से राज्य के 13 जिले प्रभावित हुए हैं। 20 प्रखंडों की 140 पंचायतों के गांवों में बाढ़ का पानी फैल गया है। करीब 1.41 लाख आबादी प्रभावित हुई है।
आपदा प्रबंधन विभाग ने बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत-बचाव कार्य शुरू कर दिया है। इन नदियों के जलस्तर में वृद्धि जारी रहने की आशंका को देखते हुए संबंधित जिलाधिकारी को अलर्ट रहने को कहा है। तीन राहत शिविर और एक सामुदायिक रसोई केंद्र का संचालन किया जा रहा है। शिविर में करीब 1200 बाढ़ शरणार्थी शरण लिए हुए हैं।