पुल, सड़क और बांध पर नदियों के दबाव की होगी निगरानी, टूटने से बचाने के लिए बिहार सरकार का प्लान
दरअसल, पिछले दिनों बड़ी संख्या में पुल-पुलिये क्षतिग्रस्त हुए हैं। इनमें जल संसाधन, ग्रामीण कार्य विभाग, पथ निर्माण विभाग के अलावा जिला प्राशासन और अन्य विभागों द्वारा निर्मित संरचनाएं शामिल हैं। कई बार क्षतिग्रस्त छोटी संरचनाओं के बारे में काफी समय तक पता ही नहीं चल पाता है कि यह किसकी संरचना है।
बिहार के सभी पुल-पुलिया, सड़क, बांध व अन्य संरचनाओं पर नदियों के दबाव की कड़ी निगरानी होगी। जल संसाधन विभाग ने इस संबंध में विस्तृत कार्ययोजना तैयार की है। इसके तहत नदियों पर निर्मित तमाम संरचनाओं की सूक्ष्मता के साथ निगरानी की जाएगी। नदी के प्रवाह से संरचना पर पड़ने वाले प्रभाव की जानकारी ली जाएगी। इसमें न केवल जल संसाधन विभाग की संरचनाएं शामिल होंगी, बल्कि जिला प्रशासन की ओर से निर्मित संरचना, मनरेगा की ओर से निर्मित संरचना-बांध भी शामिल किए गए हैं।
किसी भी अन्य सरकारी विभागों की ओर से निर्मित संरचनाएं भी निगरानी व्यवस्था में शामिल की गई हैं। इन संरचनाओं पर नदी के पानी का कितना और कैसा दबाव पड़ रहा है, इसका अध्ययन किया जाएगा। उसके नकारात्मक प्रभाव का गंभीरता से मूल्यांकन किया जाएगा। यही नहीं, इसके तहत अन्य विभागों को जरूरत के अनुसार तकनीकी मदद दी जाएगी।
दरअसल, पिछले दिनों बड़ी संख्या में पुल-पुलिये क्षतिग्रस्त हुए हैं। इनमें जल संसाधन, ग्रामीण कार्य विभाग, पथ निर्माण विभाग के अलावा जिला प्राशासन और अन्य विभागों द्वारा निर्मित संरचनाएं शामिल हैं। कई बार क्षतिग्रस्त छोटी संरचनाओं के बारे में काफी समय तक पता ही नहीं चल पाता है कि यह किसकी संरचना है। ऐसे में बड़ी परेशानी खड़ी हो जाती है।
10 वर्षों में जारी एनओसी की पहले ही हो रही जांच
विभाग पहले ही पिछले 10 वर्षों में बने पुल-पुलियों को दी गई एनओसी की शर्तों की जांच कर रहा है। विभाग ने इस संबंध में अपने सारे क्षेत्रीय अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है। इसके तहत राज्य के अंदर पुल-पुलियों के साथ-साथ अन्य जितनी भी संरचनाओं का निर्माण किया गया है, सबकी जांच की जाएगी।
इसकी जिम्मेदारी विभाग के सभी क्षेत्रीय मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता के अलावा केन्द्रीय रूपांकण, शोध एवं गुणवत्ता नियंत्रण के मुख्य अभियंता को दी गयी है। उनसे कहा गया है कि क्षेत्रीय स्तर से एनओसी में निहित शर्तों के अनुपालन की रिपोर्ट लेकर मुख्यालय को समर्पित करें।
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