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बिहार की छोटी नदियों और नहरों को नई जिंदगी देने का बन गया प्लान, मनरेगा के तहत सफाई; मिलेगा रोजगार

एक तो 20 क्यूसेक से कम क्षमता वाली नहरों को चिह्नित करना और दूसरा इनमें किसमें गाद की समस्या अधिक है। इस क्रम में इस कैटेगरी में आने वाले सारी नहरों की उड़ाही की जाएगी। जल्द ही ग्रामीण विकास विभाग से समन्वय बनाकर उड़ाही का काम शुरू किया जाएगा।

Nishant Nandan हिन्दुस्तान, पटनाTue, 19 Nov 2024 05:51 AM
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बिहार में गाद की समस्या से जूझ रही नहरों को नया जीवन मिलेगा। राज्य सरकार ने इनकी गादों की सफाई को लेकर विस्तृत कार्ययोजना तैयार की है। फिलहाल छोटी नहरों के लिए बनी योजना पर अमल की तैयारी है। सरकार ने 20 क्यूसेक से कम क्षमता वाली नहरों की गाद की सफाई के लिए विशेष योजना बनायी है। इनकी गाद की सफाई मनरेगा से कराने का निर्णय लिया गया है।

जल संसाधन विभाग ने इस दिशा में पहल भी शुरू कर दी है। इन नहरों की उड़ाही के लिए ग्रामीण विकास विभाग को जिम्मेवारी सौंपी जाएगी। विभाग मनरेगा के तहत इनके तल की सफाई कराएगा। यह काम ऐसे तो मानसून के पहले पूरा कर लिया जाएगा, लेकिन सिंचाई अवधि को ध्यान में रखकर योजना का कार्यान्वयन होगा। खासकर खरीफ, रबी फसलों की खेती को ध्यान मे रखा जाएगा। जल संसाधन विभाग ने ऐसी नहरों की पहचान शुरू कर दी है। इसमें दो कैटेगरी बनाने की योजना है।

एक तो 20 क्यूसेक से कम क्षमता वाली नहरों को चिह्नित करना और दूसरा इनमें किसमें गाद की समस्या अधिक है। इस क्रम में इस कैटेगरी में आने वाले सारी नहरों की उड़ाही की जाएगी। जल्द ही ग्रामीण विकास विभाग से समन्वय बनाकर उड़ाही का काम शुरू किया जाएगा। पहले चरण में 20 क्यूसेक से कम क्षमता वाली नहरों को मनरेगा से सफाई कराने का निर्णय लिया गया है। यह पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा तो भविष्य में अन्य नहरों को भी इस योजना के दायरे में लाया जाएगा। तब सभी नहरों को गाद से मुक्ति मिल सकेगी।

क्यों लिया गया निर्णय

नहरों में गाद की समस्या बढ़ती जा रही है। इसके कारण जलस्राव प्रभावित होता जा रहा है। नहरों के अंतिम छोर तक पानी पहुंचाने में परेशानी हो रही है। अधिक पानी छोड़े जाने के बाद भी पानी का प्रवाह सीमित रह जा रहा है। इससे किसानों के बीच भी विवाद की स्थिति बनी रहती है। मनरेगा से इस योजना का क्रियान्वयन से संसाधन की भी बचत होगी। स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। मनरेगा के तहत 100 दिनों का रोजगार देना अनिवार्य है। रोजगार न दे पाने की स्थिति में सरकार को निबंधित मजदूरों को तय भत्ता देना पड़ता है।

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