Hindi Newsबिहार न्यूज़Bihar by election How interesting mathematics of the assembly will decide the results PK jan suraaj party litmus test

नतीजे तय करेंगे विधानसभा का गणित, दांव पर PK की पार्टी; कितना दिलचस्प होगा बिहार उप-चुनाव

  • ये चुनाव न केवल सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी इंडिय गठबंधन के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर और उनकी जन सुराज पार्टी के लिए भी एक कठिन परीक्षा है।

Himanshu Tiwari हिन्दुस्तान टाइम्स, अरुण कुमार, पटनाWed, 23 Oct 2024 05:51 PM
share Share

बिहार में चार विधानसभा सीटों के लिए हो रहे उप-चुनाव राज्य की राजनीति में नया मोड़ ला सकते हैं। ये चुनाव न केवल सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी इंडिय गठबंधन के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर और उनकी जन सुराज पार्टी के लिए भी एक कठिन परीक्षा है। ये उप-चुनाव जहां मौजूदा सत्ता समीकरणों को प्रभावित कर सकते हैं, वहीं जन सुराज पार्टी के राजनीतिक भविष्य की दिशा भी तय कर सकते हैं।

क्या होगा उप-चुनाव के परिणामों का प्रभाव

जिन सीटों पर उप-चुनाव होने हैं उनमें इन चार सीटों में से तीन सीटें इंडिय गठबंधन के पास हैं। इनमें दो राजद के पास (रामगढ़ और बेलागंज) और एक सीपीआई-एमएल की सीट है। वहीं, एनडीए की घटक हम पार्टी की एक सीट है। मौजूदा समय में भाजपा 78 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है, जबकि राजद 77 सीटों पर है। यदि राजद बेलागंज और रामगढ़ सीटों को बनाए रखने में सफल रहती है, तो उसकी सीटों की संख्या 79 हो जाएगी, जो भाजपा से एक अधिक होगी। ऐसे में भाजपा और राजद के बीच की यह सीटों की खींचतान बेहद रोमांचक बनती जा रही है।

दाव पर प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी

बिहार की राजनीति में पहली बार चुनावी रण में उतरी जन सुराज पार्टी पर सबकी नजरें टिकी हैं। प्रशांत किशोर, जो अब तक रणनीतिकार के रूप में कई पार्टियों के लिए काम कर चुके हैं, इस बार खुद अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतार रहे हैं। हालांकि, जन सुराज के लिए यह चुनाव आसान नहीं होगा। पार्टी ने पूर्व उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एसके सिंह को उम्मीदवार के रूप में खड़ा किया था, लेकिन तकनीकी कारणों से उन्हें अयोग्य ठहराए जाने के बाद किरन सिंह को उम्मीदवार बनाया गया।

स्थानीय समीकरणों के लिहाज से यह एक चुनौतीपूर्ण कदम है क्योंकि बिहार की राजनीति में स्थानीय उम्मीदवारों को खासा महत्व दिया जाता है। हालांकि, प्रशांत किशोर की रणनीतिक क्षमताओं पर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि उनकी पार्टी यहां कैसा प्रदर्शन करती है।

क्या है एनडीए और विपक्ष की रणनीतियां

एनडीए के लिए यह उप-चुनाव अपनी सत्ता को मजबूत करने का मौका है। केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की बहू दीपा मांझी इमामगंज सीट से चुनाव लड़ रही हैं, जबकि रामगढ़ सीट पर राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे अजीत कुमार सिंह मैदान में हैं। इन बड़े चेहरों के बीच जन सुराज पार्टी का दांव लगाना प्रशांत किशोर के लिए एक जोखिमपूर्ण प्रयास है।

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि जन सुराज पार्टी को अभी काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। सामाजिक विश्लेषक प्रोफेसर एनके चौधरी कहते हैं, "बिहार की राजनीति में घटनाएं तेजी से बदलती हैं, और यह कभी भी अनुमानित नहीं होती। जन सुराज के लिए यह रास्ता आसान नहीं है, लेकिन किशोर कोशिश कर रहे हैं।"

इस उप-चुनाव के परिणाम भविष्य के चुनावों के लिए राजनीतिक समीकरणों को तय करेंगे। एनडीए जहां अपनी सीटें बढ़ाने के लिए प्रयासरत है, वहीं इंडिया गठबंधन की राजद और सीपीआई-एमएल अपनी सीटों को बरकरार रखने की उम्मीद कर रहे हैं। इस चुनाव के परिणाम का सीधा असर राज्य की राजनीति पर पड़ेगा, जो अगले विधानसभा चुनावों की दिशा तय करेगा।

अगला लेखऐप पर पढ़ें