किसानों को कृषि तकनीकी में दक्ष बना रहा केवीके : निदेशक
बिहार झारखंड के 60 से ज्यादा केवीके ले रहे हिस्सा आज तीन दिवसीय कार्यशाला का
भाागलपुर, कार्यालय संवाददाता। बीएयू में आईसीएआर द्वारा आयोजित बिहार-झारखंड की तीन दिवसीय क्षेत्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन शुक्रवार को कई तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया। इसमें 60 से ज्यादा केवीके ने शिरकत की है। आईसीएआर की तकनीकों के द्वारा केवीके का प्रौद्योगिकी बैकस्टॉपिंग के लिए तकनीकी सत्र आयोजित किया गया। सत्र की अध्यक्षता करते हुए अटारी पटना के निदेशक डॉ. अंजनी कुमार ने कहा कि किसानों को कृषि तकनीकी में केवीके दक्ष बना रहा है। यही वजह है कि बिहार-झारखंड के किसानों की आय में वृद्धि हुई है।
बीएयू के निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. आरके सोहाने ने कृषि प्रसार के लिए प्रभावी आईसीटी मॉडल अपनाने की सलाह दी। निदेशक डॉ. अनूप दास ने संरक्षित कृषि के क्षेत्र में हुए नए शोध के संबंध में बताया, ताकि केवीके उन तकनीकों को अपनाकर किसानों के खेतों तक पहुंचा सके। मोतिहारी के डॉ. केजी मंडल ने कहा कि बिहार में 3. 97 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र बाढ़ प्रभावित है। जो कि देश में सबसे ज्यादा है। जल-जमाव वाले क्षेत्रों में मखाना की खेती को बढ़ावा देकर किसानों की आय में वृद्धि की जा सकती है। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान संस्थान, मुजफ्फरपुर के निदेशक डॉ. विकास दास ने लीची की खेती में किए गए नए अनुसंधान के विषय में जानकारी दी। कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर, हैदराबाद के पूर्व डीन डॉ. टीवीके सिंह ने रोग एवं कीट नियंत्रण हेतु मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से प्रभावी निदान के विषय में प्रस्तुतिकरण दिया। बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के उप निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. पंकज कुमार ने पशुधन प्रबंधन में नवीन शोधों के माध्यम से दुग्ध उत्पादन में वृद्धि विषय पर प्रस्तुति दी। सत्र का संयोजन डॉ. डीवी सिंह ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. मोनुरूबुल्लाह ने किया। शनिवार को कार्यशाला में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के उप महानिदेशक (कृषि प्रसार) डॉ. यूएस गौतम और पीपीवीएण्ड एफआरए, नई दिल्ली के अध्यक्ष डॉ. त्रिलोचन मोहापात्रा भाग लेंगे।
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