काजवलीचक बम कांड की एनजीटी फिर से करेगी सुनवाई
मृतक के आश्रितों व घायलों को फिलहाल नहीं मिलेगा मुआवजा सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2022

भागलपुर, वरीय संवाददाता। काजवलीचक बम विस्फोट कांड में सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) स्वीकार कर ली है। सुप्रीम कोर्ट ने मृतक के आश्रितों व घायलों को मुआवजा देने के नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के फैसले को पलट दिया है। जस्टिस अभय एस ओखा और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने एनजीटी के 27 मई, 2022 के आदेश को रद्द करने वाली एसएलपी पर सुनवाई के दौरान पाया कि ट्रिब्यूनल मुआवजा निर्धारण करने से पहले उल्लंघनकर्ताओं को नोटिस जारी करने या मृतकों और घायलों के परिवारों से जवाब मांगने में विफल रहा। एनजीटी को पुनर्मूल्यांकन के लिए कहा, 28 मार्च की तारीख
पीठ ने मामले को पुनर्मूल्यांकन के लिए एनजीटी को वापस भेज दिया है। साथ ही भागलपुर के डीएम को उचित रूप से सूचित करने और 28 मार्च को निर्धारित मामले पर अधिक गहन विचार के लिए पीड़ितों के परिवारों के पते प्राप्त करने का निर्देश दिया है। गौरतलब है कि तीन मार्च 2022 की मध्य रात कोतवाली थानाक्षेत्र के काजवलीचक मोहल्ला में अवैध रूप से भंडारित पटाखा में विस्फोट से 15 लोगों की मौत हो गई थी। जबकि आठ लोग जख्मी हो गए थे। विस्फोट की घटना जब ‘हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी तो एनजीटी ने स्वत: संज्ञान ले लिया। एनजीटी ने प्रत्येक मृत्यु के लिए 20 लाख रुपये और प्रत्येक घायल के लिए 15 लाख रुपये बतौर मुआवजा देने का आदेश जिला प्रशासन को दिया था। एनजीटी का तर्क था कि यह घटना कई पर्यावरण और सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करते हुए हुई है। आदेश के बाद विधि विभाग की सहमति के बाद इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई।
घटना में इनकी हुई थी मौत : लीलावती देवी, पिंकी देवी, प्रियांशु कुमार, अयांश कुमार, महेंद्र मंडल, शीला देवी, नंदिनी देवी, सुनील उर्फ गोरे मंडल, राज कुमार साह, राहुल कुमार उर्फ रोहित, आरती देवी, मून, गणेश सिंह, उर्मिला देवी, आयशा मंसूर।
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