बोले सहरसा : समान काम के लिए दिया जाए समान वेतन
बोले सहरसा : समान काम के लिए दिया जाए समान वेतन जिले की 133
जिले की 133 पंचायतों में कार्यरत स्वच्छता पर्यवेक्षक कर्मी बगैर मानदेय भुगतान के पंचायत में कार्य करने को मजबूर हैं। स्वच्छता पर्यवेक्षक का चयन स्वच्छ भारत मिशन एवं लोहिया स्वच्छ अभियान के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन कार्य के लिए किया गया है। इन्हें 5 हजार से 75 सौ पर चयनित किया गया। लेकिन समय से मानदेय भुगतान नहीं किए जाने के कारण उनकी हालात दयनीय बनी हुई है। सामान काम के लिए इन लोगों ने सामान वेतन की सरकार से मांग की। हिन्दुस्तान संवाद के दौरान इन्होंने अपनी समस्या बयां की।
01 सौ 33 स्वच्छता पर्यवेक्षक सहरसा जिले में हैं कार्यरत जिन्हें पंचायतों में सफाई कार्य की मिली है पूरी जिम्मेदारी
05 हजार से 75 सौ रुपए प्रतिमाह वर्तमान में स्वच्छता पर्यवेक्षकों को दिया जाता है मानदेय
20 हजार कम से कम मानदेय दिए जाने की कई दिनों से पंचायत के स्वच्छता पर्यवेक्षकों द्वारा की जा रही है मांग
जिले के विभिन्न प्रखंडों की विभिन्न पंचायतों में कार्य कर रहे स्वच्छता पर्यवेक्षकों ने कहा कि सरकार हमलोगों को मानदेय भुगतान नहीं कर रही है। जो निर्धारित है उसका भुगतान भी सही समय पर नहीं किया जाता है। जबकि हमलोग अपने घर द्वार परिवार को छोड़कर काम करने के लिए सुबह 6 बजे से निलकते हैं। घर से डब्ल्यू पीयू सेंटर की दूरी 3 से 7 किलोमीटर है। वहां से फिर लोगों के घर-घर से सूखा-गीला कचरा का उठाव कर उसे डब्ल्यूपीयू सेंटर पर ले जाना और फिर विभिन्न प्रकार के कचरे को अलग-अलग करवाना होता है। इसके साथ ही लोगों से स्वच्छता शुल्क का संग्रह भी करना पड़ता है। सभी की रिपोर्ट विभाग को प्रत्येक दिन करना होता है लेकिन उसके अनुसार मानदेय नहीं दिया जाता है। साल में किसी को 3 महीने तो किसी को 6 महीने का मानदेय दिया जाता है। इसमें हमलोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि हमलोगों के मानदेय का भुगतान विभगा के निर्देशानुसार पहला एक वर्ष स्वच्छ भारत मिशन एवं15वीं वित्त से करना है। लेकिन नहीं किया जाता है।15 वीं वित्त में रुपया भी रहता है तो पंचायत सचिव द्वारा मानदेय भुगतान नहीं किया जाता है। हम लोग आर्थिक तंगी की स्थिति में जी रहे हैं। आसपास के लोगों से कर्ज लेकर महीने भर काम करते हैं। आस रहती है कि मानदेय मिलेगा तो सबको दे देंगे लेकिन मानदेय नहीं मिलने के कारण जिसका रुपया लेते हैं उसको भी नहीं दे पाते।
20 हजार रुपये मिले मानदेय: उन्होंने कहा कि अपने काम के साथ-साथ सरकार द्वारा संचालित सभी काम विभाग द्वारा लिया जा रहा है लेकिन सामान कान का समान वेतन हम लोगों को नहीं मिल रहा है। कम से कम 20 हजार का मानदेय हम लोगों को दिया जाना चाहिए ताकि हम लोग भी अपने परिवार को सही तरीके से चला सकें।
शिकायतें
1. समान काम का सामान वेतन मिलना चाहिए जो अभी नहीं मिल रहा है।
2. समय पर मानदेय का भुगतान विभाग द्वारा नहीं किया जाता।
3. सुबह से लेकर शाम तक काम कराया जाता है लेकिन सुविधा नहीं है।
4. पंचायत सचिव द्वारा हमलोगों के साथ मनमानी की जाती है।
सुझाव
1. न्यूनतम 20 हजार मानदेय विभाग द्वारा दिया जाए।
2. विभाग द्वारा ससमय मानदेय का भुगतान किया जाना चाहिए।
3. जिस हिसाब से मानदेय मिल रहा है उस हिसाब से काम लिया जाए।
4. पदाधिकारियों की मनमानी पर रोक लगाई जाए। हमारा शोषण नहीं किया जाए।
सुनें हमारी बात
जिस हिसाब से कम लिया जाता है उस हिसाब से मानदेय हम लोगों को नहीं मिल रहा है।
बम कुमार
इतने कम मानदेय में घर परिवार चलाना मुश्किल हो गया है। मानदेय को बढ़ाया जाए।
शैलेंद्र कुमार
कम से बीस हजार मानदेय दिया जाए ताकि हमारा परिवार भी सही से चल सके।
टूना यादव
स्वच्छता पर्यवेक्षक को 20 हजार मानदेय निश्चित हो ताकि परिवार भी सही से चल सके।
विकास कु. झा
हम सभी स्वच्छता पर्यवेक्षकों को ईपीएफ एवं ईएसआईसी आच्छादित किया जाना चाहिए।
सरोज कुमार
जिस हिसाब से काम लिया जाता है।उस किसाब से बीस हजार मानदेय दिया जाए।
रोहित कुमार
साल में किसी को तीन महीना तो किसी को पांच महीना का मानदेय दिया जाता है।
आलोक राज
स्वच्छता पर्यवेक्षक की 60 वर्ष की आयु तक सेवा नियमित किया जाना चाहिए।
प्रमोद प्र. यादव
संविदा कर्मी के तहत नियोजन हुआ लेकिन उसे हिसाब से हम लोगों को मानदेय नहीं मिलता है।
मो रिजवान
सुबह से लेकर शाम तक विभाग द्वारा काम लिया जाता है पर समय पर मानदेय नहीं दिया जाता।
दिनेश साह
विभाग निर्देशानुसार सभी काम करते हैं। लेकिन उस तरह का मानदेय नहीं मिल रहा है।
रामचरण साह
विभाग निर्देशानुसार सभी काम करते हैं। लेकिन उस तरह का मानदेय नहीं मिल रहा है।
रामचरण साह
स्वच्छता पर्यवेक्षक का मानदेय रूरल डेवलपमेंट सोसाइटी से भुगतान हो।
हेमंत कुमार
5 हजार से 75 सौ मानदेय में महीने का वाहन खर्च भी नहीं निकल पाता इससे घर कैसे चलेगा।
शिवम कुमार
इस मानदेय से हम लोगों का खर्च नहीं निकल पाता है।तो परिवार का भविष्य कैसे सवारेंगे।
धर्मवीर सिंह
5 से 6 किमी घर से डब्ल्यूपीयू सेंटर की दूरी है। मानदेय मिलता है उसी में खर्च हो जाता है।
सज्जन कुमार
बोले जिम्मेदार
स्वच्छता पर्यवेक्षक का जो भी मानदेय भुगतान लंबित है उसको मार्च तक क्लियर करवाया जाएगा। ग्राम पंचायत की 15वीं वित्त योजना से भी स्वच्छता पर्यवेक्षक को भुगतान करना है। जनवरी से अब मानदेय प्रत्येक माहीने मिलेगा।
- सचिन कुमार चौधरी, जिला समन्वयक स्वच्छता
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