जवां उम्र में होने लगी सठियापे वाली बीमारी
विश्व अल्जाइमर्स दिवस (21 सितंबर) पर विशेष मायागंज अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग में हर
भागलपुर, वरीय संवाददाता। अमूमन 60 साल या इससे अधिक उम्र यानी सठियापे में होने वाली बीमारी अल्जाइमर आजकल युवाओं को जवां उम्र में होने लगी है। परिवार संभालने की उम्र में युवा अल्जाइमर का शिकार होकर अपनों के भरोसे जीवन जीने को मजबूर होने लगे हैं। इस बीमारी से ग्रसित लोग न केवल बातों को भूलने लगे हैं, बल्कि इनका घर से बाहर अकेले निकलना या फिर घर में अकेले रहना तक मुहाल हो गया है। युवा उम्र में अल्जाइमर होने का रोग विशेषकर कोरोना के बाद ज्यादा बढ़ी है। जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (मायागंज अस्पताल) के न्यूरो सर्जरी विभाग में हर माह औसतन पांच से सात अल्जाइमर के मरीज चिह्नित होते हैं। इनमें से इनमें से दो से तीन अल्जाइमर के मरीजों की उम्र 40 से 50 साल के बीच होती है।
हिप्पोकैंपस को कमजोर कर रहा शराब का सेवन
न्यूरो सर्जरी विभाग के हेड डॉ. पंकज कुमार बताते हैं कि शराब का अत्यधिक सेवन मस्तिष्क की क्रियाशीलता को संतुलित करने वाले न्यूरॉन पर सीधा असर करता है। इससे न्यूरॉन का आकर कम हो जाता है। दिमाग में न्यूरॉन की संख्या में भी तेजी से कमी आ जाती है। वहीं शराब में मौजूद अल्कोहल और एथेनॉल का सीधा असर दिमाग पर पड़ता है। ज्यादा शराब पीने की वजह से दिमाग में हिप्पोकैंपस काम करना बंद कर देता है। हिप्पोकैंपस मस्तिष्क का वह छोटा हिस्सा है जो कि सीखने में सहायता करता है तो यादों को स्मृतियों में जिंदा रखता है।
अब स्वस्थ होने लगे हैं ब्रेन फॉग के मरीज
जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. पंकज कुमार ने बताया कि कोरोना संक्रमण का असर दिमाग की तंत्रिकाओं पर पड़ा था। दिमाग में प्रोटीन और दूसरे रसायन का संतुलन बिगड़ा गया था। इससे लोगों की याददाश्त कमजोर हुई थी। इसे ब्रेन फॉग कहते हैं। अब यह ठीक होने लगा हैं। ब्रेन फॉग से पीड़ित लोगों की याददाश्त बेहतर हो रही है।
न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है अल्जाइमर
मस्तिष्क रोग विशेषज्ञ डॉ. विकास कुमार ने बताया कि यह न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है। इस बीमारी में दिमाग की ऐसी कोशिकाएं जो याददाश्त को कंट्रोल करती हैं, वह सूखने लगती हैं। इसका असर याददाश्त पर सीधे पड़ता है। मरीज की निर्णय लेने की क्षमता घट जाती है। उम्र के साथ-साथ मरीजों की याददाश्त कमजोर हो जाती है।
मोटापे भी से हो सकता है अल्जाइमर
न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. विकास शर्मा बताते हैं कि शारीरिक रूप से सक्रिय न रहना, मोटापा, शुगर, सिर पर चोट लगना, सुनने की क्षमता का कमजोर होना, इस रोग की प्रमुख वजह है। यह रोग दिमाग में टाऊ टैंगल्स प्रोटीन को बनने से रोकता है। इससे दिमाग का संतुलन बिगड़ जाता है।
ये है अल्जाइमर का लक्षण
- मतिभ्रम होना
- बातें समझ नहीं आना
- दैनिक कार्यों को भूलना
- खाना खाकर भूल जाना
- चीजों को याद रखने में परेशानी होना
- नाम, पता आदि याद रखने में दिक्कत होना
अल्जाइमर से बचाव को इन बातों पर दें ध्यान
- अगर ड्रग्स लेने की आदत पड़ गई है तो इससे पूर्णत छुटकारा पाने का प्रयास तत्काल शुरू कर दें।
- अपनी दिनचर्या को नियमित रखें। रोजाना रात को समय से सोएं। सुबह जल्दी उठें। नाश्ता, लंच व डिनर समय से करें।
- रोजाना आधे से एक घंटे तक व्यायाम करें। प्राणायाम व ध्यान करना भी विशेष फायदेमंद है।
- अगर हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की समस्या से पीड़ित हैं तो बीपी व शुगर को नियंत्रित रखने का प्रयास करें।
- तनावपूर्ण वातावरण में रहने से बचें।
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