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नौ जिलों के 100 से अधिक टीबी मरीजों के सैंपल जांच के इंतजार में

डीएसटी लैब तो करीब दो साल से बंद तीन हजार सैंपल हो गए खराब

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरThu, 19 Sep 2024 07:38 PM
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भागलपुर, वरीय संवाददाता। मायागंज अस्पताल के कल्चर एंड डीएसटी लैब की गुणवत्ता को लापरवाही का ग्रहण लगा हुआ है। करीब डेढ़ साल से मानव संसाधन की कमी से जूझ रहे इस लैब जांच की रफ्तार प्रभावित है। इस साल के शुरुआत में यहां पर जांच के लिए आये नौ जिलों के तीन हजार सैंपल खराब हो गये तो वहीं दूसरी तरफ लैब में रखे 100 से अधिक जांच सैंपल पेडिंग पड़े हुए हैं।

वर्ष 2016 में भागलपुर के तत्कालीन कमिश्नर आरएल चोंग्थू द्वारा उद्घाटित इस कल्चर एंड डीएसटी लैब को शुरू किया गया था। इस लैब में टीबी का इलाज करा रहे भागलपुर, बांका, बेगूसराय, मुंगेर, खगड़िया, कटिहार, पूर्णिया, अररिया, किशनगंज के मरीजों का कल्चर, डीएसटी व एलपीए (एमडीआर टीबी) जांच की सुविधा थी। करीब सवा दो साल पहले यहां पर तैनात चार में से दो लैब टेक्नीशियन व लैब का इकलौते माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट ने नौकरी छोड़ी तो यहां पर डीएसटी यानी ड्रग सेंसिटिविटी जांच पूरी तरह से बंद हो गई। वहीं एमडीआर जांच की रफ्तार धीमी हो गई। मार्च 2024 तक यहां पर करीब तीन हजार एलपीए जांच को आए सैंपल जांच के अभाव व एसी की खराबी के कारण खराब हो गये। इसके बाद हंगामा मचा तो आनन-फानन में इस लैब में माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग में कार्यरत ईआरसीपी-2 (इमरजेंसी कोविड रिस्पांस प्रोग्राम) के तहत तैनात दो लैब टेक्नीशियन की तैनाती कर दी गई। लेकिन जून में इनकी सेवा पर रोक लगी तो इस लैब में फिर से दो लैब टेक्नीशियन रह गये।

अभी 25 से 30 सैंपल आ रहे रोजाना, जांच महज 15 से 16 का

इस लैब में रोजाना 25 से 30 सैंपल एलपीए जांच के लिए आ रहे हैं। इनमें से दो लैब टेक्नीशियन 15 से 16 सैंपल ही जांच पा रहे हैं। एलपीए की जो रिपोर्ट तीन दिन यानी 72 घंटे में जारी हो जानी चाहिए, उसे जारी करने में 15 से 20-20 दिन तक लग जा रहा है। इस बाबत मायागंज अस्पताल के अधीक्षक डॉ. केके सिन्हा ने बताया कि लैब में टेक्नीशियन की कमी को तत्काल दूर किया जाएगा। इसको लेकर जो भी पहल होगी, उसे किया जाएगा।

ये है डीएसटी की खासियत, जो कि दो साल है बंद

वरीय फिजिशियन डॉ. विनय कुमार झा बताते हैं कि अगर टीबी की फर्स्ट ड्रग लाइन की दवा अगर रजिस्टेंस कर जाती है तो इस जांच के जरिए ये जाना जा सकता है कि सेकेंड ड्रग लाइन की कौन सी दवा चलाई जाये। वहीं अगर सेकेंड ड्रग लाइन की दवा रजिस्टेंस (काम न करना) कर जाती है तो इस जांच के लिए जाना जा सकता है कि सेकेंड ड्रग लाइन में कौन सी दवा ने रजिस्टेंस किया।

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