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बोले कटिहार : दो परीक्षाओं के बाद भी वरीयता तय नहीं, स्कूलों में होता है विवाद

कटिहार जिले के 5000 से अधिक विशिष्ट शिक्षक तकनीकी गड़बड़ियों और प्रशासनिक लापरवाही के कारण समस्याओं का सामना कर रहे हैं। 1500 शिक्षकों का प्रान नंबर अब तक जनरेट नहीं हो पाया है, जिससे वेतन लंबित है।...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरTue, 15 April 2025 11:47 PM
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बोले कटिहार : दो परीक्षाओं के बाद भी वरीयता तय नहीं, स्कूलों में होता है विवाद

कटिहार जिले के पांच हजार से अधिक विशिष्ट शिक्षक इन दिनों कई स्तरों पर समस्याओं से जूझ रहे हैं। सक्षमता परीक्षा पास कर नियोजित से विशिष्ट श्रेणी में तो आ गए, मगर तकनीकी गड़बड़ी और प्रशासनिक लापरवाही के कारण आज भी सैकड़ों शिक्षकों की ऑनबोर्डिंग अधूरी है। करीब डेढ़ हजार शिक्षकों का प्रान जेनरेट नहीं हो पाने के कारण नियुक्ति के बाद से वेतन लंबित है, जिससे आर्थिक संकट गहराता जा रहा है। समय पर एडवाइस जमा न होने और प्रखंड स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार ने स्थिति और जटिल बना दी है। वहीं, स्कूलों में एफएलएन किट उपलब्ध होने के बावजूद प्रशिक्षित न होने से पढ़ाई की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।

15 सौ विशिष्ट शिक्षक कर रहे हैं वेतन मिलने का इंतजार

05 सौ विशिष्ट शिक्षकों की ऑन बोर्डिंग प्रक्रिया है अधूरी

50 फीसदी से कम शिक्षकों की वेतन एडवाइस होती है जमा

सक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण कर नियोजित से विशिष्ट शिक्षक का दर्जा पाने वाले जिले के पांच हजार से अधिक शिक्षकों की उम्मीदें आज भी अधूरी हैं। नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी तकनीकी गड़बड़ियों और प्रशासनिक लापरवाही ने इन शिक्षकों की परेशानियों को और गहरा कर दिया है। जिले में अब तक 500 से ज्यादा शिक्षकों की ऑनबोर्डिंग प्रक्रिया अधूरी पड़ी है। वहीं, करीब डेढ़ हजार शिक्षकों का प्रान नंबर भी अब तक जनरेट नहीं हो सका है, जिससे वे वेतन से वंचित हैं।

इन शिक्षकों का कहना है कि सक्षमता परीक्षा पास करने के बाद लगा था कि अब स्थायित्व के साथ वेतन और अन्य सुविधाएं समय पर मिलेंगी, लेकिन नियुक्ति के तीन माह बीत जाने के बाद भी वेतन नहीं मिलने से आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। शिक्षकों ने बताया कि वहीं पूर्व के सेवाकाल का गणना नहीं होकर योगदान तिथि के कारण बीएससी पास शिक्षकों से जूनियर हो गए हैं। संजय, ज्योति, अरुण और आलोक रंजन जैसे कई शिक्षकों ने बताया कि कुछ को फरवरी माह का वेतन तो मिला, लेकिन जनवरी का वेतन अब तक अटका हुआ है। जिले में करीब 1500 शिक्षक ऐसे हैं, जिन्हें अब तक वेतन का इंतजार है।

शिक्षक संघ के नेताओं में असंतोष :

प्रारंभिक शिक्षक संघ के रीतेश आनंद ने बताया कि बकाया भुगतान को लेकर शिक्षकों ने आवेदन भी दिया है, लेकिन प्रखंड स्तर पर भ्रष्टाचार और मनमानी के कारण समय पर एडवाइस जिला कार्यालय नहीं भेजी जाती। कई प्रखंडों में निर्धारित तिथि पर 50 फीसदी से भी कम शिक्षकों की वेतन एडवाइस जमा होती है। यहां तक कि जिन प्रखंडों में कथित रूप से नजराना दिया जाता है, वहां से एडवाइस समय पर पहुंच जाती है। बिहार एसटीईटी शिक्षक संघ के रमेश सिन्हा ने वरीयता निर्धारण की ओर इशारा करते हुए कहा कि नियोजित, विशिष्ट और बीपीएससी शिक्षकों के बीच वरीयता तय नहीं होने से रोज स्कूलों में विवाद की स्थिति बन रही है। इसके अलावा, स्कूलों में एफएलएन किट मिलने के बावजूद शिक्षकों को अब तक प्रशिक्षण नहीं दिया गया है, जिससे बच्चों की पढ़ाई गुणवत्ता से कोसों दूर है। प्राथमिक स्कूलों में आज भी बच्चे ज़मीन पर बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं। इन समस्याओं का समाधान अब ज़रूरी हो गया है।

शिकायत

1. 500 से अधिक विशिष्ट शिक्षकों की ऑनबोर्डिंग तकनीकी त्रुटियों और विभागीय लापरवाही के कारण अब तक अधूरी है।

2. करीब 1500 शिक्षकों का प्रान नंबर अब तक जनरेट नहीं हो सका, जिससे वे वेतन से वंचित हैं।

3. प्रखंड स्तर पर नजराना देने वाले मामलों को छोड़कर समय पर एडवाइस जमा नहीं होती, जिससे वेतन भुगतान में अनावश्यक देरी होती है।

4. नियोजित, विशिष्ट और बीपीएससी शिक्षकों के बीच वरीयता का पत्र अब तक जारी नहीं हुआ, जिससे स्कूलों में आपसी विवाद की स्थिति बन रही है।

5. एफएलएन किट तो स्कूलों में भेज दी गई है, लेकिन शिक्षकों को इसका सही उपयोग सिखाने के लिए कोई प्रशिक्षण नहीं दिया गया।

सुझाव

1. जिले के सभी लंबित शिक्षकों की ऑनबोर्डिंग प्रक्रिया शीघ्र पूरा कर, तकनीकी खामियों को दूर करने के लिए एक अलग मॉनिटरिंग टीम बनाई जाए।

2. प्रान नंबर जनरेट करने के लिए ब्लॉक स्तर पर विशेष कैंप आयोजित किए जाएं, ताकि सभी शिक्षकों को समय पर वेतन मिल सके।

3. एडवाइस जमा की प्रक्रिया को ऑनलाइन और पारदर्शी बनाया जाए, ताकि भ्रष्टाचार और देरी पर रोक लग सके।

4. शिक्षकों की वरीयता संबंधी स्पष्ट आदेश जारी किया जाए ताकि आपसी विवाद और भ्रम की स्थिति खत्म हो।

5. सभी शिक्षकों के लिए एफएलएन किट का उपयोग सीखाने हेतु प्रशिक्षकों की नियुक्ति कर विशेष वर्कशॉप कराई जाए, ताकि बच्चों की पढ़ाई की गुणवत्ता सुधरे।

सुनें हमारी पीड़ा

नियुक्ति के बाद हम सभी ने सोचा था कि वेतन और सुविधाएं समय पर मिलेंगी, मगर तकनीकी समस्याओं और लापरवाही ने हालात बदतर कर दिए हैं। आर्थिक तंगी से गुज़रना पड़ रहा है। समय पर वेतन भुगतान हमारी बुनियादी जरूरत है। प्रशासन को शीघ्र समाधान करना चाहिए।

संजय कुमार

हर महीने वेतन की आस में हम परेशान हैं। सक्षमता परीक्षा पास करने के बाद भी नियमित वेतन नहीं मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है। प्रशासन की ढिलाई ने परिवार चलाना मुश्किल कर दिया है। शिक्षक सम्मान की बात करते हैं, पर जमीनी सच्चाई बेहद दर्दनाक है।

अरुण कुमार मिश्रा

तीन महीने हो गए हैं, वेतन की राह देख रहे हैं। तकनीकी गड़बड़ी और प्रखंड स्तर की अनदेखी से हम आर्थिक रूप से टूट चुके हैं। सरकार को चाहिए कि वह शिक्षकों की समस्याओं को प्राथमिकता दे और व्यवस्था को पारदर्शी बनाए।

अमित आलोक

हम शिक्षकों की स्थिति आज भी दयनीय है। वेतन के अभाव में घर चलाना और बच्चों की पढ़ाई दोनों प्रभावित हो रहे हैं। सक्षमता परीक्षा पास करने के बावजूद अधिकारों से वंचित रहना अपमानजनक है। सरकार और प्रशासन तत्काल समाधान निकाले।

निहारिका कुमारी

वेतन ना मिलने की वजह से मानसिक तनाव बढ़ता जा रहा है। स्कूल में पढ़ाने के साथ परिवार की ज़िम्मेदारी निभाना मुश्किल हो रहा है। प्रशासनिक लापरवाही ने हमारा आत्मविश्वास तोड़ दिया है। हम बस समाधान की उम्मीद में दिन गिन रहे हैं।

मंजू कुमारी

प्रशासनिक लापरवाही के चलते हम शिक्षकों का मनोबल टूट रहा है। हर माह वेतन को लेकर चिंता बनी रहती है। नियुक्ति के बाद भी अधिकार और सुविधाएं अधूरी हैं। समय पर वेतन और सम्मान मिलना शिक्षक के जीवन का बुनियादी हिस्सा होना चाहिए।

पूनम कुमारी

शिक्षक समाज का निर्माता होता है, लेकिन हमें ही अपने वेतन के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। न समय पर वेतन मिल रहा, न सुविधाएं। तकनीकी गड़बड़ियों का हवाला देकर हर बार टाल दिया जाता है। हमारी पीड़ा कोई नहीं समझता।

ज्योति कुमारी

वेतन अटकने से घर की आर्थिक स्थिति बिगड़ चुकी है। स्कूल में बच्चों को पढ़ाना जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी है खुद का परिवार संभालना। सरकार से विनती है कि शिक्षकों की वेतन संबंधी समस्याओं का जल्द से जल्द स्थायी समाधान करे।

रंजन

सक्षमता परीक्षा पास करने के बाद भी हमें अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। वेतन नहीं मिलने से परिवार की ज़रूरतें अधूरी रह जाती हैं। प्रशासन से मांग है कि शिक्षकों के वेतन भुगतान में हो रही देरी को गंभीरता से लें।

राकेश कुमार सिंह

चार महीने से वेतन नहीं मिला है। घर का खर्च चलाना असंभव हो गया है। सक्षमता परीक्षा पास करने के बावजूद यह हालत दुर्भाग्यपूर्ण है। हम शिक्षक होने के नाते अपने फर्ज निभा रहे हैं, लेकिन सरकार से हमें हमारा हक नहीं मिल रहा।

अमित कुमार ठाकुर

शिक्षकों की उपेक्षा निंदनीय है। वेतन ना मिलने से परिवार पर आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा है। शिक्षा व्यवस्था सुधारने के दावे खोखले हैं जब तक शिक्षकों की समस्याओं का समाधान नहीं होता। हम उम्मीद करते हैं कि जल्द ही समाधान मिलेगा।

दामोदर हरि पांडे

वेतन के लिए महीने दर महीने इंतजार करना बेहद अपमानजनक अनुभव है। शिक्षक समाज का आधार होते हैं, लेकिन आर्थिक असुरक्षा हमें कमजोर बना रही है। सरकार और प्रशासन को शिक्षकों की समस्याओं पर संवेदनशील होकर तत्काल कदम उठाना चाहिए।

विनोद चौधरी

हमारी नियोजित स्थिति और आर्थिक दिक्कतें दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। वेतन में देरी और सुविधाओं की कमी ने मनोबल गिरा दिया है। सरकार शिक्षकों से बेहतर शिक्षा की अपेक्षा रखती है तो हमें भी समय पर वेतन और सम्मान मिलना चाहिए।

संजय कुमार

वेतन न मिलने से हम शिक्षकों का मनोबल लगातार गिरता जा रहा है। परिवार की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है। तकनीकी समस्याओं और लापरवाही ने शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है। सरकार से मांग है कि स्थिति सुधारने के ठोस कदम उठाए जाएं।

शिक्षकों की अनदेखी शिक्षा व्यवस्था पर सीधा असर डालती है। आर्थिक तंगी से जूझते हुए भी हम शिक्षण में अपना योगदान दे रहे हैं। लेकिन सरकार और प्रशासन को हमारी परेशानियों पर ध्यान देना चाहिए। हमें हमारा हक मिलना बेहद जरूरी है।

ब्यूटी कुमारी

वेतन अटकने से जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। हम शिक्षक हैं, सम्मान चाहते हैं, लेकिन आर्थिक तंगी में जीना मजबूरी बन गया है। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि समस्याओं को गंभीरता से लें और शिक्षकों की बकाया राशि शीघ्र जारी करें।

कुमारी अनुराधा

शिक्षक होने के नाते बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना हमारा कर्तव्य है, लेकिन आर्थिक समस्याएं मनोबल तोड़ रही हैं। कई माह से वेतन लंबित है, जिससे परिवार की स्थिति बिगड़ती जा रही है। हम सरकार से जल्द समाधान की मांग करते हैं।

आलोक रंजन

सरकार ने पहले दक्षता परीक्षा ली और उसके आधार पर शिक्षकों को योग्य समझा। बाद में साक्षमता परीक्षा पास कर विशिष्ट शिक्षक बनाया। बावजूद पूर्वकालीन सेवा को दरकिनार कर पीछे योगदान करने वाले शिक्षकों से विशिष्ट शिक्षकों को जूनियर बना दिया गया।

जामुन पासवान

बोले जिम्मेदार

शिक्षकों की ऑनबोर्डिंग और प्रान नंबर जनरेट की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। तकनीकी कारणों से कुछ विलंब हुआ है, जिसे शीघ्र दूर किया जा रहा है। सभी प्रखंडों को निर्देश दिया गया है कि वेतन एडवाइस समय पर जिला कार्यालय भेजें। जहां अनियमितता की शिकायत मिली है, वहां जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। शिक्षकों को समय पर वेतन और सुविधाएं सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता है। साथ ही, एफएलएन किट पर प्रशिक्षण जल्द आयोजित होगा ताकि शिक्षण की गुणवत्ता बेहतर हो सके। समस्याओं का समाधान शीघ्र सुनिश्चित किया जाएगा।

-अमित कुमार, जिला शिक्षा पदाधिकारी, कटिहार

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