भाद्र मास में नेपाल से अत्यधिक आ रहे कांवरिया
नेपाल के बारा, परसा, सप्तरी जिलों से कांवरियों का जत्था पहुंच रहा अजगैवीनाथ खेती-बाड़ी का
सुल्तानगंज, निज संवाददाता। श्रावणी मेला समाप्ति के बाद भाद्र मास में इन दिनों नेपाल के कांवरियों की संख्या अत्यधिक बढ़ गई है। वे पवित्र उत्तरवाहिनी गंगा में स्नान करने के बाद भारी कुव्यवस्थाओं के बीच अपने कांवर में गंगाजल लेकर अजगैवीनाथ धाम से बाबाधाम जा रहे हैं। गंगा घाट पर मिले पंडितों के अनुसार इन दोनों गंगा घाटों पर कांवरियों की बढ़ती भीड़ में अधिक संख्या नेपाल के विभिन्न जिलों से आई कांवरियों की हो रही है। जबकि बिहार के विभिन्न जिलों और अन्य प्रदेशों से भी कांवरिया पहुंच रहे हैं, लेकिन नेपाल के कांवरियों की संख्या अधिक है। अजगैवीनाथ मंदिर घाट पर मिले सुंदनपुर, नेपाल के कांवरिया रूपलाल बम ने बताया कि नेपाल के बारा, परसा, सप्तरी जिलों से अत्यधिक कांवरिया आ रहे हैं। वे सावन में बैजनाथ धाम में अर्घ चढ़ाने के कारण यहां नहीं आते हैं। खेती-बाड़ी का काम निपटाने के बाद वे अजगैवीनाथ धाम पहुंचकर इस धर्म यात्रा में भाग लेते हैं और बाबाधाम जाकर जल अर्पित करते हैं। उन्होंने बताया कि सावन में न आने के कारण उन्हें कुव्यवस्थाओं का सामना भी करना पड़ता है। गंगा घाट पर बैरिकेडिंग ध्वस्त होने के कारण स्नान की सुविधा तो मिलती है, लेकिन बैरिकेडिंग के अभाव में खतरा बना रहता है। गंगा घाट पर प्रशासनिक व्यवस्था का कोई संकेत नहीं दिख रहा है। यहां तक कि कांवरियों को बंद बोतल पानी खरीदकर अपनी प्यास बुझानी पड़ रही है।
नेपाल के कांवरियों के साथ-साथ बिहार के सहरसा, सुपौल, मधुबनी, दरभंगा जिलों से भी काफी संख्या में कांवरिया पहुंच रहे हैं। दरभंगा के कांवरिया श्याम सुंदर बम ने कहा कि श्रावणी मेला में आने वाले कांवरियों से सुना था कि इस वर्ष प्रशासन द्वारा अच्छी व्यवस्था की गई है, लेकिन यहां पहुंचने पर ऐसा कुछ भी नहीं दिख रहा। हर जगह लूट हो रही है, दुकानदार मनमाना पैसा ले रहे हैं। प्रशासन की सारी व्यवस्था चरमरा गई है। न तो स्वास्थ्य सुविधा है और न ही सुरक्षा व्यवस्था।
सुपौल के कांवरिया सनी दयाल बम ने कहा कि यात्री सेड कांवरियों के आराम के लिए बनाया गया है, लेकिन वहां इतनी दुकानें खुल गई हैं कि कांवरियों को आराम करने की जगह ही नहीं मिल रही है। अधिकांश कांवरिया नई सीढ़ी घाट, अजगैवीनाथ घाट पर प्लास्टिक बिछाकर शीतल हवा में बैठकर रात बिताते हैं, लेकिन यहां भी दुकानें इतनी खुल गई हैं कि जगह के अभाव में कांवरिया आराम नहीं कर सकते।
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