★गिद्धौर। अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई का निर्माण कर गांव टोलों को स्वच्छ बनाने की सरकार का था प्रयास
गिद्धौर प्रखंड में राज्य सरकार की स्वच्छता योजना विभागीय उदासीनता के कारण बंद पड़ी है। पंचायतों में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई स्थापित की गई थी, लेकिन अब कचरा प्रबंधन ठप है। योजना का उद्देश्य...
गिद्धौर निज संवाददाता। राज्य सरकार जिले के प्रखंड में मनरेगा एवं पंचायत के पन्द्रवीं वित्त योजना के तहत स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान फेज 02 के तहत स्वच्छता योजना की शुरुआत की थी। ताकि पंचायत में वार्ड स्तर पर ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई के माध्यम से कचरा का उठाव कर स्वच्छ गांव में स्वच्छ्ता की एक बेहतर मिशाल पेश की जा सके। इसके लिए जिले के वरीय अधिकारियों के देख रेख में लाखों रुपये खर्च कर स्थानीय स्तर पर ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई के डंपिग यार्ड का मनरेगा एवं पन्द्रवीं वित्त अंतर्गत इस योजना का निर्माण कर इसकी शुरुआत की गयी थी। वहीं इसे लेकर पंचायत स्तर पर प्रत्येक वार्ड में कचरा निस्तारण को लेकर स्वच्छता कर्मी, सुरवाईजर की बहाली सहित वार्ड स्तर पर कचरा उठाव को लेकर रिक्शा एवं पंचायत स्तर पर बैट्री चलित टोटो रिक्शा की भी व्यवस्था की गयी थी। साथ ही प्रत्येक पंचायत के हर वार्ड में हर एक घर में गिला कचरा एवं सूखा कचरा के निस्तारण को लेकर डस्टबिन भी उपलब्ध कराया गया था। सरकार के इस योजना का एक मात्र उद्देश्य यह था कि लोग स्वच्छता के प्रति अपने जिम्मेवारी को समझते हुए जहां तहां कचरा न फेंकें एवं कचरों को स्वच्छता कर्मियों द्वारा डंपिंग यार्ड में अलग अलग वर्गीकृत कर उन्हें आवश्यकता के हिसाब से उनका रिसाइकल कर खाद एवं अन्य जरूरी सामग्री निर्माण में उनका उपयोग लाया जा सके। लेकिन इन दिनों गिद्धौर प्रखंड में यह योजना विभागीय उदासीनता की भेंट चढ़ गया। नतीजतन यहां विभिन्न पंचायतों में वार्ड स्तर पर कचरा प्रबंधन से जुड़ी यह महत्वाकांक्षी योजना प्रखंड पदाधिकारियों के उदासीनता एवं मुखिया तथा पंचायत सचिव के लापरवाही के कारण महीनों से बंद पड़ा है। जिसकी सुधि लेने वाला कोई नही।
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