अररिया। बहनों ने भाई की कलाई में रक्षा सूत्र बांधकर उनके सुख सम्रद्धि की कामना की
फारबिसगंज में माहेश्वरी समाज ने रविवार को ऋषि पंचमी समारोह मनाया। बहनों ने भाइयों की कलाई में राखी बांधकर सुख-समृद्धि की कामना की। यह परंपरा माहेश्वरी वंशोत्पत्ति से जुड़ी है। ऋषि पंचमी पर राखी बांधने...
फारबिसगंज,एक संवाददाता। माहेश्वरी समाज के द्वारा रविवार को ऋषि पंचमी समारोह धूमधाम के साथ मनाया गया। इस मौके पर माहेश्वरी समाज की बहनों ने अपने-अपने भाइयों की कलाई में राखी बांध कर उनके सुख समृद्धि की कामना की। इस मौके पर माहेश्वरी महिला मंडल की पूर्व अध्यक्ष व समाजसेविका सुनीता लड्ढा ने बताया की आमतौर पर भारत में रक्षाबंधन का त्योंहार श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाता है, लेकिन माहेश्वरी समाज माहेश्वरी गुरुओं के वंशज जिन्हे वर्तमान में छह न्याति समाज के नाम से भी जाना जाता है। अर्थात पारीक, दाधीच,सारस्वत,गौड़,गुर्जर, गौड़,सिखवाल आदि एवं डीडू माहेश्वरी,थारी माहेश्वरी,धाटी माहेश्वरी,खंडेलवाल माहेश्वरी समाज में रक्षा-बंधन का त्यौहार ऋषिपंचमी के दिन मनाने की परंपरा है। इस परंपरा का संबंध माहेश्वरी वंशोत्पत्ति से भी जुड़ा हुआ है। कहा की माहेश्वरी समाज में पीढ़ी दर पीढ़ी ऋषि पंचमी के दिन रक्षाबंधन (राखी) का त्योंहार मनाने की परंपरा चली आ रही है। मान्यता यह है की जब माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति हुई, तब जो माहेश्वरी समाज के गुरु थे,उन्हें ऋषि कहा जाता था। उनके द्वारा विशेष रूप से इसी दिन रक्षासूत्र बांधा जाता गया था। इसलिए इसे 'ऋषि पंचमी' कहा जाता है। वहीं माहेश्वरी समाज के श्याम सुंदर माहेश्वरी,पप्पू लड्ढा,प्रदीप राठी,संगीता बाहेती आदि ने बताया की ऋषि पंचमी को पूजा-अर्चना के उपरांत बहनें अपनी भाइयों की कलाई में राखी बांधकर उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करती है। खास बात यह है की ऋषि पंचमी और श्रावण पूर्णिमा रक्षाबंधन में एक खास फर्क है,श्रावण पूर्णिमा के दिन राखी बांधकर बहन अपने भाई से स्वयं की रक्षा करते रहने की प्रार्थना करती है। जबकि ऋषि पंचमी के दिन बहन उपवास कर भाई को राखी बांधकर भगवान से हमेशा अपने भाई की कुशल-मंगल की कामना करती है। ऋषि पंचमी को लेकर माहेश्वरी समाज के लोगों में खासा उत्साह देखा गया।
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