बोले सहरसा : स्थानीय कलाकारों को मिले सरकारी मंच
शहर में नृत्य, नाटक और संगीत से जुड़े कलाकारों को सरकार और जिला प्रशासन से सहयोग नहीं मिल रहा है। मंच की कमी के कारण उनकी प्रतिभा नहीं उभर पा रही है। कलाकारों ने उचित प्रशिक्षण संस्थान और कार्यक्रमों...
शहर में नृत्य, नाटक और संगीत से जुड़े कलाकारों को सरकार एवं जिला प्रशासन द्वारा सहयोग नहीं मिल रहा। कलाकारों को सही मंच नहीं मिलता तो मंजिल भी नहीं मिल रही है। मंच नहीं मिलने के कारण उनकी प्रतिभा लोगों के सामाने नहीं आ पाती। स्थानीय स्तर पर हो रहे कार्यक्रमों में तरजीह नहीं मिलती। कलाकारों का कहना है कि प्रेक्षा गृह में कार्यक्रम की सुविधा मिलनी चाहिए। बंद कला भवन को ठीक कर नृत्य, संगीत, नाट्य विधा के प्रशिक्षण के लिए तैयार किया जाए तो जिले के कलाकारों को सहूलियत होगी। हिन्दुस्तान के साथ संवाद के दौरान कलाकारों ने अपना दर्द बयां किया।
06 सौ से सात सौ लोग जुड़े हैं नृत्य एवं संगीत नाट्य कला से
05 से अधिक हैं संस्थान जहां सिखाई जाती नृत्य नाट्य कला
01 हजार रुपए से अधिक है नृत्य और संगीत सीखने की फीस
नाट्य विधा, रंगकर्म, नृत्य, संगीत से जुड़े लोग समाज की कुरीतियों पर अपनी कला के माध्यम से प्रहार करते हैं। लोगों को सही रास्ते पर चलने का संदेश देते हैं। सरकार एवं जिला प्रशासन द्वारा सहयोग नहीं मिलने के कारण जिले के कलाकार निराश हैं। सरकार यदि कलाकारों की कला को निखारने में मदद करे, उन्हें मंच दे तो युवाओं को रोजगार के साथ-साथ उनकी मंजिल भी मिल सकेगी। हमारी संस्कृति सुदृढ़ होगी। लोग अश्लीलता से दूर होंगे। कलाकार भी अपने घर परिवार को ठीक ढंग से चला सकेंगे।
जिले के कलाकार को प्रशिक्षण देने के लिए कोई प्रशिक्षण संस्थान नहीं है। यदि कला संस्कृति विभाग द्वारा कार्यक्रम का आयोजन होता है तो अधिकतर कलाकारों को मंच नहीं मिल पाता। जिले में हो रहे महोत्सव सहित अन्य कार्यक्रमों में बाहरी कलाकारों को बुलाया जाता है, स्थानीय कलाकारों को मौका नहीं दिया जाता। ऐसे में रंगमंच पर प्रदर्शन का अवसर नहीं मिलने से कलाकारों की प्रतिभा खत्म कुंठित हो रही है। सही मंच नहीं मिलने का कारण अधिकतर कलाकार घर परिवार चलाने में हो रहे मुश्किल का सामना कर रहे हैं। अपनी कला से दूर होते जा रहे हैं। कला एक साधना है। एक व्यक्ति वषोंर् कड़ी मेहनत करने के बाद कलाकार बनता है। लेकिन सही मंच नहीं कर रहने के कारण आर्थिक रूप से सफल नहीं हो पाता। कलाकारों ने हर स्कूल में नृत्य, संगीत व कला के लिए शिक्षक नियुक्त करने की मांग की। उन्होंने कहा सरकार इस ओर ध्यान देगी तो हमें बढ़ावा होगा।
नृत्य संगीत सीखने के प्रति बढ़ी है ललक: आज भी गांव में कलाकार को हेय दृष्टि से देखते हैं। इसमें कुछ सुधार आया है। अभिभावक अपने बच्चों को नृत्य कला संगीत सीखने के लिए प्रशिक्षण केंद्र पर भेज रहे हैं लेकिन सरकारी प्रशिक्षण केंद्र नहीं रहने के कारण निम्न वर्ग के लोगों को अधिक राशि देनी पड़ती है। जिससे वे पीछे हट जाते हैं।
सुपर मार्केट में बना कला भवन हो चालू, बने प्रशिक्षण केंद्र:
सुपर बाजार में बंद पड़े संत लक्ष्मीनाथ गोसाईं कला भवन में जिला प्रशासन द्वारा स्थानीय कलाकारों के लिए नृत्य, संगीत, नाट्य विधा सीखने के लिए प्रशिक्षण केंद्र खोला जाए। इसका जीर्णोद्धार कर संबंधित संस्थान को उपलब्ध कराया जाए।
शिकायतें
1. रंगकर्म एवं नृत्य के लिए जिले में नहीं है प्रशिक्षण संस्थान।
2. सरकार के असहयोग से करना पड़ता है समस्या का सामना।
3. जिला प्रशासन द्वारा महोत्सव में कई रंगकर्मियों को नहीं दिया जाता है मंच।
4. जिला प्रशासन द्वारा कहीं भी प्रशिक्षण केंद्र नहीं खोला गया है इससे परेशानी होती है।
सुझाव
1. सरकार को रंगकर्मी एवं नृत्य के लिए एक प्रशिक्षण संस्थान खोलना चाहिए।
2. रंगकर्म व नृत्य से जुड़े लोगों को सरकारी अनुदान मिले।
3. जिले के महोत्सव में रंगकर्मी को जगह मिलनी चाहिए।
4. शहर के कला भवन का जीर्णोद्धार करते हुए उसमें प्रशिक्षण केंद्र खुलना चाहिए।
इनकी भी सुनिए
जिला महोत्सव सहित अन्य कार्यक्रम में जिला प्रशासन द्वारा बाहरी कलाकार को बुलाया जाता है।
अदिति
संसाधन के अभाव में प्रतिभा कुंठित हो रही है।कलाकारों के लिए ओपन थिएटर चाहिए।
मेघा
सहरसा के कलाकार दूसरे राज्यों में प्रतिभा दिखा आते हैं। पर अपने ही जिले में महत्व नहीं देते।
रितिका
सरकार के बढ़ावा देने से जिला के प्रतिभावान कलाकार राज्य एवं देश का नाम रोशन करेंगे।
अग्रिमा
नृत्य सीखने के लिए योग्य संस्थाओं की कमी है। सिखाने वाले प्रशिक्षक की कमी से परेशानी है।
मुस्कान
सहरसा सुपर बाजार में बने कला भवन का जीर्णोद्धार करने के साथ-साथ भवन बनाया जाए।
शालिनी
सरकारी स्तर पर आयोजन में स्थानीय कलाकारों को मौका मिलना चाहिए।
आकांक्षा
कला के क्षेत्र से लोगों को जोड़ने के लिए योजनाएं सरकार द्वारा बनाई जाएं। इससे लाभ उठा सकेंग।
नैंसी
सरकार कलाकारों को अनुदान उपलब्ध कराए इससे फायदा मिलेगा। लोग जागरूक होंगे।
तरुलता
प्रशासन स्थानीय कलाकारों को अधिक मौका दे जिससे कलाकार अपने हुनर प्रदर्शित कर सकें।
खुशी
संगीत के अभ्यास के लिए जिले के निजी संस्थानों में वाद्य यंत्र उन्नत कोटि का नहीं हैं।
पूजा कुमारी
कलाकारों को चिन्हित करने में भेदभाव किया जाता है, जिला प्रशासन इस पर ध्यान दे।
कृतिका झा मिष्टी
आर्थिक रूप से कमजोर कलाकारों को मेहनत के समय में बेरोजगारी भत्ता मिले।
कुंदन वर्मा
सरकारी कार्यक्रम में ग्रामीण कलाकारों को जिला प्रशासन दरकिनार कर देता है।
पुरुषोत्तम
प्राथमिक एवं माध्यमिक स्तर पर नृत्य संगीत प्रशिक्षण संस्थान खोला जाए।
वंदन वर्मा
बोले जिम्मेदार
कला संस्कृति एवं युवा विभाग बिहार सरकार द्वारा आम्रपाली केंद्र की स्थापना की जा रही है जहां पर रंगकर्मी, नृत्य, एवं संगीतकार प्रशिक्षण ले सकेंगे। स्थानीय कलाकारों को जिले के महोत्सव में मौका दिया जाता है।
- स्नेहा झा, जिला कला संस्कृति पदाधिकारी, सहरसा
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