Hindi Newsबिहार न्यूज़भागलपुरInfection Risk Looms Over 1000 Patients at Mayaganj Hospital Due to Dirty Sheets

मायागंज अस्पताल में संक्रमण के खौफ के बीच हो रहा इलाज

गंदे और बिन चादर बिछे बेड पर मरीज करा रहे इलाज ज्यादातर मरीजों को उपलब्ध

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरMon, 30 Sep 2024 01:41 AM
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भागलपुर, वरीय संवाददाता मायागंज अस्पताल में भर्ती करीब एक हजार मरीजों पर संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है। यहां मरीजों के बेड पर हर रोज चादर बदलने की योजना को अमल में लाने की बात तो दूर, ज्यादातर मरीजों को चादर ही मयस्सर नहीं हो रही है। ऐसे में गंदी चादर पर लेटकर इलाज करा रहे मरीजों को संक्रमण होने का खतरा हर समय मंडराता रहता है। जबकि मायागंज अस्पताल के आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि हर साल बड़ी संख्या में मरीजों की मौत संक्रमण के कारण हो रही है।

केस नंबर 1: अगरपुर निवासी मनीष यादव 27 सितंबर को सड़क दुर्घटना में घायल होने के बाद मायागंज अस्पताल में भर्ती हुआ। वह करीब सवा 11 बजे से लेकर दोपहर बाद एक बजे तक इमरजेंसी में स्ट्रेचर पर पड़ा रहा। इस दौरान डॉक्टर आए और उसका इलाज हुआ और पीएमसीएच रेफर भी कर दिया, लेकिन इस दौरान स्ट्रेचर पर लेटे मनीष को चादर तक मयस्सर नहीं हुई।

केस नंबर 2: इमरजेंसी स्थित मेडिसिन वार्ड में निस्ब अंबे निवासी राजू 25 सितंबर को इलाज के लिए इमरजेंसी में भर्ती हुए थे। इनके बेटे श्याम ने बताया कि पिताजी 25 सितंबर से यहां पर भर्ती थे। पहले दिन जो चादर मिली, उसे आज तक नहीं बदला गया। ऐसे में शनिवार को पिता को मिली चादर को बाहर ले जाकर धुलवाया। सुखाने के बाद उसे फिर बिछाकर इस्तेमाल किया जा रहा है।

सात दिन अलग-अलग रंग की चादर योजना फेल

मायागंज अस्पताल में सात दिन अलग-अलग चादर बिछाने की योजना साल 2016 से लागू है। चादर कम पड़े तो साल 2018 में तत्कालीन अस्पताल अधीक्षक की पहल पर पटना से दो खेप में ढाई हजार चादर खरीदकर मंगाई गई। यही नहीं, बीते चार सालों में विभिन्न खेपों में पांच हजार से ज्यादा नई चादरों की खरीद हो चुकी है। इतने के बावजूद यह योजना आज तक इस अस्पताल में लागू नहीं है। अलग-अलग मरीजों को उपलब्ध चादरों में से किसी एक रंग की चादर मांगने पर दे दी जाती है। कारण, वार्ड में तैनात नर्सों को नहीं मालूम है कि यहां पर किस दिन कौन रंग की चादर देनी है।

साढ़े सात प्रतिशत मरीजों की मौत का कारण संक्रमण

मायागंज अस्पताल के आंकड़े बताते हैं कि यहां पर हर साल औसतन 3200 मरीजों की मौत इलाज के दौरान हो जाती है। मायागंज अस्पताल के सर्जरी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. पंकज कुमार बताते हैं कि अस्पताल में कुल होने वाली मौतों का साढ़े सात प्रतिशत मौत का कारण संक्रमण होता है। ऐसे में एक्सीडेंटल, झुलसे, ऑपरेशन एवं सिजेरियन-प्रसव कराने वाली महिलाओं-मरीजों को संक्रमण से बचाने के लिए उन्हें साफ-सुथरे वातावरण की जरूरत होती है। यहां तक इनके बेड पर हर रोज चादर बदली जानी चाहिए।

कोट

अस्पताल में मरीजों को भर्ती होने के समय ही चादर उनके बेड पर बिछाई जानी चाहिए। मरीजों को भर्ती के वक्त चादर मिले और हर रोज उसके बेड की चादर बदली जाए, इसकी जिम्मेदारी विभाग में तैनात नर्स की है।

डॉ. केके सिन्हा, अधीक्षक, मायागंज अस्पताल, भागलपुर

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