सदर अस्पताल में आयुर्वेदिक इलाज प्रतिनियुक्ति भरोसे
31 जनवरी को इकलौते आयुर्वेदिक चिकित्सा पदाधिकारी हुए रिटायर आयुर्वेद पद्धति से इलाज कराने वाले
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भागलपुर, वरीय संवाददाता कोरोना आने के बाद से आयुर्वेद के प्रति लोगों का रुझान तेजी से बढ़ा है। बीते पांच सालों में सदर अस्पताल में संचालित संयुक्त देसी चिकित्सालय में आयुर्वेद पद्धति से इलाज कराने वाले मरीजों की संख्या में तकरीबन दोगुने की वृद्धि हो चली है। ऐसे में यहां पर आयुर्वेदिक चिकित्सक की संख्या बढ़ने के बजाय खत्म ही हो गई। आलम ये है कि रोजाना दर्जनों की संख्या में इलाज के लिए आने वाले आयुर्वेदिक मरीजों का इलाज प्रतिनियुक्त पर तैनात चिकित्सक के भरोसे सप्ताह में तीन दिन ही हो रहा है। ऐसे में आलम ये है कि सप्ताह में तीन दिन आयुर्वेदिक मरीजों को या तो बिन इलाज वापस लौटना पड़ रहा है या फिर उनका इलाज यूनानी या होम्योपैथ पद्धति से हो रहा है।
साल 2015 से सदर अस्पताल के संयुक्त देसी चिकित्सालय में तीन (आयुर्वेद, यूनानी व होम्योपैथ) के बजाय सिर्फ दो ही विधा आयुर्वेद व होम्योपैथ विधा से मरीजों का इलाज किया जा रहा था। करीब एक साल पहले डॉ. नगनी फिरदौस के रूप में यूनानी चिकित्सक की तैनाती हुई तो इस विधा से भी मरीजों का इलाज चलने लगा। लेकिन 31 जनवरी को आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. राधेश्याम अग्रहरि रिटायर होने की बारी आई तो आयुर्वेदिक ओपीडी एक फरवरी से बंद होने का संकट गहराने लगा। फिर गोपालपुर में तैनात आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. वंदना कुमारी की तैनाती आयुर्वेदिक ओपीडी में सप्ताह में तीन दिन के लिए की गई। ऐसे में एक फरवरी से जहां यूनानी व होम्योपैथिक ओपीडी सप्ताह में छह दिन (सोमवार से शनिवार के बीच) चल रही है तो वहीं आयुर्वेदिक ओपीडी सप्ताह में तीन दिन (सोमवार, मंगलवार व बुधवार) चल रही है।
तीन दिनों में 65 से 70 मरीज बिन इलाज लौटने को हो रहे मजबूर
सदर अस्पताल परिसर में संचालित संयुक्त देसी चिकित्सालय में संचालित आयुर्वेदिक ओपीडी सप्ताह में तीन दिन यानी गुरुवार, शुक्रवार एवं शनिवार को बंद रह रहा है। ऐसे में इन तीनों दिन आयुर्वेदिक इलाज कराने के लिए आ रहे रोजाना 65 से 70 मरीजों को बिन इलाज वापस लौटने को मजबूर होना पड़ रहा है। जिला देसी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अविनाश कुमार कहते हैं कि नियमित रूप से आयुर्वेदिक चिकित्सक की तैनाती के लिए पूर्व जिला देसी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. राधेश्याम अग्रहरि ने शासन को पत्र लिखा था। लेकिन तैनाती नहीं हुई तो प्रतिनियुक्ति के जरिए उन्होंने सप्ताह में तीन दिन (सोमवार से बुधवार) आयुर्वेदिक ओपीडी के संचालन की व्यवस्था सुनिश्चित कर दी थी। ऐसे में इन तीनों दिन आने वाले मरीजों को बताया जा रहा है कि वे सोमवार से बुधवार के बीच ही इलाज के लिए आएं। अगर कोई चाहता है तो गुरुवार से शनिवार के बीच उनका इलाज आयुर्वेदिक के बजाय यूनानी या फिर होम्योपैथिक चिकित्सक के जरिए करा दिया जाता है। यूनानी ओपीडी रोजाना की जहां 30 से 35 मरीज का है तो वहीं होम्योपैथिक ओपीडी 60 से 65 मरीज और आयुर्वेदिक ओपीडी रोजाना 65 से 70 मरीज का है।
आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज के ओपीडी में रोजाना 100 से 110 मरीजों का इलाज
श्री यतींद्र नारायण अष्टांग राजकीय आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के प्राचार्य डॉ. सीबी सिंह बताते हैं कि मेडिकल कॉलेज के ओपीडी में रोजाना 100 से 110 मरीजों का इलाज किया जा रहा है। इन मरीजों का इलाज करने के लिए नौ आयुर्वेदिक चिकित्सक-शिक्षकों की तैनाती है। यहां आने वाले मरीजों में ज्यादातर गैस, कब्जियत, जोड़ों में दर्द, महिलाओं व बुजुर्गों में होने वाली बीमारियों से ग्रसित मरीज होते हैं। यहां पर आयुर्वेद से जुड़ी एक से बढ़कर एक बेहतरीन दवाएं उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि पहले दो चिकित्सक थे तो ओपीडी में मरीजों की संख्या कम थी। लेकिन जबसे सात नए चिकित्सक बढ़े हैं, तब से ओपीडी के मरीजों की संख्या में दोगुने की वृद्धि हो चुकी है।
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