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बोले सहरसा : लकड़ी कारीगरों को चाहिए संसाधन, बेचने लिए बाजार

जिले के हजारों फर्नीचर कारीगर संसाधन की कमी और बाजार की अनुपलब्धता के कारण पलायन कर रहे हैं। कड़ी मेहनत करने के बावजूद, उनकी आय 12 हजार रुपये से कम हो जाती है। कारीगरों ने सरकार से संसाधन, बाजार और ऋण...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरTue, 18 Feb 2025 10:51 PM
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बोले सहरसा : लकड़ी कारीगरों को चाहिए संसाधन, बेचने लिए बाजार

जिले के हजारों फर्नीचर कारीगर संसाधन की कमी और बाजार की अनुपलब्धता के कारण पलायन को मजबूर है। दिन-रात कड़ी मेहनत के बावजूद उन्हें परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है। ना तो सरकारी स्तर पर संसाधन मुहैया कराये जा रहे हैं और ना ही बेहतर बाजार। इनकी परेशानी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। हिन्दुस्तान के साथ संवाद के दौरान फर्नीचर कारीगरों ने अपना दर्द बयां किया।

25 हजार से अधिक लकड़ी फर्नीचर कारीगर हैं जिले के विभिन्न जगहों पर कार्यरत

15 से 25 किलोमीटर सफर कर प्रतिदिन शहर आते हैं रोजगार के लिए

12 हजार रुपये से कम हो जाती है कई महीने कमाई, घर चलाने में होती परेशानी

श्तों से लकड़ी का सामान बनाकर लोगों की घरों का शोभा बढ़ाने वाले कारीगर समाज आज भी उपेक्षा के शिकार हैं। हालात यह है कि फर्नीचर कारीगर अब इस पेशे को छोड़ परदेस जाकर मजदूरी कर रहे हैं। जिले में हजारों कारीगर आज कुर्सी चौकी सहित अन्य सामान बनाना छोड़ दूसरे तरह के काम की तलाश में हैं।

पहले लोग स्थानीय लकड़ी का उपयोग कर फर्नीचर का सामान तैयार कराते थे लेकिन अब बाहर से मशीन से तैयार सामान खरीदने लगे हैं। स्थानीय स्तर पर लकड़ी खरीदना काफी महंगा है ऐसे में कीमत को देख लोग रेडीमेड पर फोकस करने लगे हैं। हालांकि सामान टिकाउ नहीं होने के बाद भी कीमत के कारण लोग खरीददारी करते हैं। ऐसे में कारीगरों के लिए रोजी रोटी की समस्या उत्पन्न हो जाती है। बड़े पूंजीपति अब अन्य प्रदेश से मशीन द्वारा बनाए गए लड़की के फर्नीचर को लाकर यहां बेचता ऐसे में हम लोगों का धंधा बंद होने के कगार पर है।हमलोगों के पास सही संसाधन नहीं है। जो अपने पुस्तैनी काम को आगे बढ़ाए।अभी सही से काम नहीं मिल पाता है।यदि हमलोग लकड़ी लाते हैं तो वन विभाग द्वारा परेशान किया जाता है।सरकार हम बढई समाज को योजनाओं का लाभ देकर हमारे समाज के उत्थान के लिए सोचे।

हिन्दुस्तान से दर्द बयां करते उन्होंने कहा कि यदि हमलोग किसी तरह परेशानी का सामना करके यदि लकड़ी का सामना भी बना लेते हैं।तो उसे बेचने के लिए सही जगह नहीं मिल पाता है।जिसके कारण महीनों में एक दो समाना ही बिक पाता है।ऐसे में उन्होंने सरकार से मांग किया है।कि हमलोगों द्वारा बनाए गए लकड़ी के समान को सरकारी दफ्तर एवं अन्य जगहों पर इसका उपयोग के लिए बढ़ावा पर जोर दिया जाए।साथ ही हमलोगों द्वारा बनाए गए समान को बेचने के लिए मार्केट का व्यवस्था कराया जाए।

जिससे की हमारा भी घर परिवार सही से चल सके।सही आमदनी नही होने के कारण घर परिवार चलाना मुश्किल हो गया है।बच्चे को उच्च शिक्षा नहीं दिला पाते हैं।लकड़ी का बिजनेस बढ़ाने के लिए सरकार हमलोगों को अनुदान के रूप में ऋण उपलब्धता के साथ साथ विभाग द्वारा लाइसेंस निर्गत कराया जाए।ताकि हमलोग सही से काम कर सके। उन्होंने कहा कि वन विभाग द्वारा वृक्ष काटने पर लगे प्रतिबंध को लकड़ी कारोबारियों के लिए सुलभ किया जाए नहीं तो आने वाले समय में कारीगरों के कारीगर बेरोजगारी का शिकार हो जाएंगे और अन्य प्रदेश काम करने के लिए जाने को मजबूर हो जाएंगे। साथ ही अशिक्षित कारीगर को सरकार द्वारा रोजगार के लिए बैंक से ऋण बिना किसी कागजात का मुहैया करने का प्रावधान किया जाए इससे हम लोगों का काम बढ़ सकेगा और रोजगार भी मिल सके सरकार द्वारा आयोग का गठन करवाया जाए। इससे हम लोगों को लाभ होगा और हमारे कारोबार से जुड़े लोगों उत्थान के लिए यह बहुत जरूरी भी है। नई मशीन का लाइसेंस बढ़ई समाज को विशेष रूप से निर्गत किया जाए ताकि हम कारोबार कर नई ऊर्जा से जीवन-यापन कर सकें।

हाथ से बने लकड़ी के सामान बेचने की हो व्यवस्था

लकड़ी का फर्नीचर व सामान तैयार करने वाले कारीगरों ने कहा कि हमलोग लकड़ी के पलंग, चौकी, कुर्सी, बेंच डेस्क बनाते हैं, लेकिन सही समय पर नहीं बिक पाता है। इस कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यदि हमलोगों को हाथ से बनी सामग्री को बेचने के लिए बाजार का व्यवस्था हो तो सही समय पर समान बिक सकेगा और हमलोग खुशहाल जीवन जी सकेंगे। उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रशासन को इस दिशा में आवश्यक पहल करने की जरूरत है। हमलोग जो समान बनाते हैं उसे सरकारी कार्यालयों के उपयोग में लाया जाए।

शिकायतें

1. फर्नीचर बनाने के लिए सही औजार नहीं रहने से परेशानी होती है। ऋण नहीं मिलता।

2. फर्नीचर बेचने के लिए मार्केट नहीं रहने से दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

3. फर्नीचर बनाने वाले लोग काफी पिछड़े और अशिक्षित हैं।

4. रोजगार को बढ़ावा देने के लिए कोई सहयोग नहीं मिलता है।

सुझाव

1. सरकार हमलोगों को पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए।

2. फर्नीचर को बेचने के लिए मार्केट की व्यवस्था कराई जाए तो सुविधा होगी।

3. सरकार बिना किसी कागजात के ऋण उपलब्ध कराए।

4. हमलोगों के रोजगार को बढ़ावा देने के लिए बढई जाति आयोग का गठन किया जाए।

सुनें हमारी बात

हाथ से काम करने वाले बढ़ई समाज को सरकार ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराए।

उत्तम कुमार

सरकार हम लोगों के रोजगार को बढ़ावा देने में सहयोग करे जिससे स्थिति सुधरे।

योगेंद्र शर्मा

अन्य प्रदेश से आने वाले फर्नीचर के सामान पर सरकार द्वारा रोक लगनी चाहिए।

सदानंद शर्मा

60 वर्ष से अधिक उम्र के बढ़ई कामगारों को पेंशन योजना का लाभ सरकार दे।

विनोद शर्मा

बढ़ई को सुनिश्चित आरक्षण की व्यवस्था की जाए ताकि समाज का उत्थान हो।

गणेश शर्मा

सरकार हमें लकड़ी का सामान बनाने के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए

अजय विश्वकर्मा

बढ़ई जाति आयोग का गठन होना चाहिए ताकि हमारे समाज का उत्थान हो सके।

रतन शर्मा

बढई समाज के हित में काष्ठ शिल्पी विकास निगम की स्थापना होनी चाहिए।

अश्वनी शर्मा

हम लोगों की बनाई सामग्री को बेचने के लिए सरकार जिले में कोई जगह निर्धारित करे।

प्रदीप बढ़ईर्

अशिक्षित बढ़ई कारीगर को सरकार द्वारा स्वरोजगार के लिए अनुदान दिया जाए।

-धर्मवीर कुमार

सरकार द्वारा आर्थिक मदद मिलने के बाद हमारे समाज का आर्थिक विकास होगा।

अजित कुमार

हम लोगों के द्वारा बनाए गए बेंच डेस्क को सरकारी विद्यालयों में दिया जाए।

दुलारचंद बढ़ई

वन विभाग द्वारा वृक्ष काटने पर लगे प्रतिबंध में बढ़ई के लिए सुलभ नियम बनाएं।

दिलीप कुमार

आरा मशीन का लाइसेंस फर्नीचर कारीगरों के लिए विशेष रूप से निर्गत हो।

धीरेंद्र कुमार

अभी भी हमारे बढई समाज को देखने वाला कोई नहीं है नेता राजनीतिक बातें करते हैं।

रामप्रवेश शर्मा

बोले जिम्मेदार

जो व्यक्ति सरकार द्वारा प्रतिबंधित लकड़ी काटता है और अगर वह उनकी अपनी लकड़ी है तो ऐसे में वो स्थानीय मुखिया से लिखवा लें। उसे वन विभाग से नहीं रोका जाएगा। ना ही उन्हें परेशानी होगी। साथ ही18 इंच का आरा मशीन रख कर काम कर सकते है। इसमें किसी लाइसेंस का जरूरी नहीं है। लेकिन गोल लकड़ी लाइसेंसी दुकान पर चिरवा कर अपने यहां काम कर सकते हैं।

- नीरज कुमार सिंह, वन विभाग रेंजर

बढ़ई समाज के लिए प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम एवं प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना चलाई जा रही है। वो आवेदन करेंगे तो उन्हें बैंक से ऋण उपलब्ध कराया जाएगा ताकि वो अपने रोजगार को आगे बढ़ाकर अपने परिवार का भरण पोषण सही से कर सके। कोई दिक्कत होती है तो उद्योग विभाग कार्यालय में आकर जानकारी ले सकते हैं। पूरा सहयोग मिलेगा।

-मुकेश कुमार, जीएम, उद्योग विभाग केंद्र

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