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बोले सहरसा : पांच सौ किसान खेती छोड़ने को हैं विवश, मिले सहायता

पतरघट प्रखंड के छह गांवों के 500 से अधिक किसान नीलगाय के आतंक से परेशान हैं। हर साल 25 लाख रुपये से अधिक की फसल बर्बाद हो रही है। किसान खेती छोड़ने को मजबूर हैं और प्रशासन से कार्रवाई की मांग कर रहे...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरSat, 22 Feb 2025 10:17 PM
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बोले सहरसा : पांच सौ किसान खेती छोड़ने को हैं विवश, मिले सहायता

पतरघट प्रखंड के आधा दर्जन गांवों के पांच सौ से अधिक किसान नीलगाय के आंतक से परेशान हैं। प्रत्येक साल 25 लाख रुपए से अधिक की फसल का नुकसान होता है। हालत इतनी खराब है कि किसान खेती छोड़ पलायन को मजबूर हैं। किसानों ने संवाद के दौरान समस्याएं रखीं।

06 गांवों के किसान नीलगाय के झुंड के आतंक से हैं परेशान

01 व्यक्ति की नीलगाय के झुंड की चपेट में आने से हो चुकी मौत

25 लाख रुपए से अधिक की फसल हर साल होती बर्बाद

तरघट प्रखंड क्षेत्र के कपसिया, कमलजड़ी, विशनपुर, कहरा एवं धबौली पश्चिमी, धबौली दक्षिणी एवं पामा पंचायत के हजारों किसान कई वर्षों से घोड़परास(नीलगाय) के आतंक से तंग आ चुके हैं। किसानों का फसल सहित बाग बगीचे को घोड़परास अपनी चपेट में लेकर बर्बाद कर रहा है। किसानों को अपनी फसल और बाग-बगीचे की रखवाली करना मसीबत बना हुआ है। लाखों का फसल हर साल बर्बाद हो रही है।

सरकारी स्तर से प्रदेश के कई जिलों में घोड़परास को शूट करने की कार्रवाई प्रक्रिया में है। घोड़परास की संख्या का सर्वेक्षण भी नहीं होने से किसान निराश हैं। घोड़परास (नीलगाय) के आतंक से सिर्फ किसान ही नहीं बल्कि आम राहगीर भी परेशान हैं। घोड़परास राहगीर की जान भी लेने लगा है। फसल की बर्बादी के साथ ही जानलेवा बना घोड़परास(नीलगाय ) धबौली, कहरा, विशनपुर, कमलजड़ी, कपसिया एवं पामा के बहियार में अपना शरणस्थली बनाते झुंड में चलता है। वहीं कई राहगीर और वाहन चालक इसके चपेट में आकर घायल हो चुका है। बीते दिनों मधेपुरा से अपने घर जा रहे पस्तपार निवासी बैंक के पूर्व कर्मचारी अरुण कुमार सिंह की स्कूटी पर घोड़परास ने हमला कर दिया। जिससे वे गंभीर रूप से जख्मी हो गए। इलाज के दौरान ही उसी शाम को उनकी मौत हो गई। कहरा धबौली पस्तपार मुख्य मार्ग के दोनों साइड के सैकड़ों एकड़ जमीन में लगी फसल को नीलगाय का झुंड बरबाद कर रहा है। घोड़परास के आतंक से मुक्ति के लिए स्थानीय किसान और आम लोगों ने जिला प्रशासन और वन विभाग के अधिकारी से आवेदन के साथ मिलकर मांग करते रहे लेकिन इन समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिये जाने से किसान आहत ही नहीं निराश भी हैं। इस इलाके के कई छोटे किसान तंग आकर खेती-बारी से मुंह मोड़ रहे हैं। किसानों की समस्या है कि काफी खर्च कर अपने खेत में सफल लगाते हैं। उस सफल को घोड़परास बर्बाद कर देता है। दूसरी तरफ फसल के आलावा किसानों का नया फलदार बाग बगीचा इसके आतंक से महफूज नहीं है। आम, कटहल, लीची और कीमती लकड़ी के नए वृक्ष का उपरी भाग तोड़ कर बर्बाद करने से वृक्ष सूख रहा है। किसानों द्वारा घोड़परास के झुंड को भगाने पर वे हमलावर हो जाते हैं।

कुसहा त्रासदी के बाद से क्षेत्र में दिखने लगी नीलगाय:

कपसिया, विशनपुर, कमलजड़ी, कहरा, धबौली के बहियार में घोड़परास का आतंक है। धबौली पश्चिमी के कहरा, टेमाटोला एवं कमलजड़ी कपसिया का बहियार में अपना कब्जा जमा रखा है। इस इलाके में कुशहा त्रासदी से पहले लोगों को नीलगाय का दर्शन दुर्लभ था। वर्ष 2008 के कुसहा त्रासदी में आयी प्रयलंकारी बाढ़ में नेपाल क्षेत्र से भटककर पानी के सहारे इस इलाके में कम संख्या में नीलगाय का आना हुआ था। धबौली, कपसिया, विशनपुर के बहियार स्थित बगीचा में शरण ली। बीते 17 वर्ष में घोड़परास(नीलगाय) की संख्या में इतनी बढ़ोतरी हुई है। अब ये परेशानी का सबब बन गए हैं।

फसल एवं जानमाल की सुरक्षा के लिए हो कार्रवाई

किसानों ने कहा कि घोड़परास के आतंक पर रोक के लिए प्रशासनिक स्तर से ठोस कार्रवाई की जरूरत है। प्रदेश के कई जिलों में वन विभाग एवं प्रशासनिक स्तर से घोड़परासों को लाइसेंसी शूटरों द्वारा मारे जाने प्रक्रिया की जा रही है। इन इलाकों में घोड़परास के आतंक से छुटकारा के लिए बीडीओ, वन पदाधिकारी एवं जिलाधिकारी को किसानों द्वारा आवेदन दिया गया। सरकारी स्तर पर घोड़परास की संख्या का सर्वेक्षण कर लाइसेंसी शूटरों द्वारा मारे जाने की मांग की। ग्रामीण इलाके में किसान अपनी बर्बाद हो रही फसल से जहां निराश हैं वहीं घोड़परास के हमले से भयभीत हैं। कहरा से धबौली जाने वाली सुनसान मार्ग पर झुंड में घोड़परास के निकलने पर उसकी चपेट में राहगीर आने से चोटिल होते हैं।

शिकायतें

1. घोड़परास की संख्या में दिनोदिन हो रही बढ़ोतरी।

2. झुंड में घोड़परास के चलने से खेतों में लगी फसल आए दिन हो रही बर्बाद ।

3. किसान अब बाग बगीचा लगाने से भी कर रहे परहेज।

4. किसानों पर घोड़परास (नीलगाय) होता है हमलावर जिससे हो चुके हैं जख्मी।

सुझाव

1. घोड़परासों की संख्या में हो रही वृद्धि के सर्वेक्षण की जरूरत।

2. घोड़परास को भगाने या लाइसेंसी शूटरों द्वारा मरवाने की हो कार्रवाई।

3. प्रशासनिक स्तर से कार्रवाई होने पर किसानों की समस्या का होगा समाधान।

4. इलाके से घोड़परास खत्म होने से किसानों की होगी उन्नति।

सुनें हमारी बात

बीडीओ, जिला वन पदाधिकारी को आवेदन दिया। लेकिन कोई निदान नहीं हुआ।

अजय कु. झा

जानलेवा हमले से किसान भयभीत हैं। प्रशासनिक स्तर से कार्रवाई की आवश्यकता है।

रंजीत सिंह

जिला प्रशासन, वन अधिकारी फसल एवं बगीचा क्षति का आकलन करें।

भीम यादव

घोड़परास के आतंक से किसान केला मकई की खेती छोड़ चुके हैं।

बैद्यनाथ प्रसाद सिंह

फसल बर्बाद होने से आजीविका पर संकट है व पेट पालना समस्या बनी है।

राजेन्द्र यादव

घोड़परास के आतंक से वे सभी किसान तेलहन और दलहन खेती छोड़ चुके हैं।

कपल सादा

आवेदन के बावजूद कार्रवाई नहीं होना किसानों के लिए चिंता का विषय है।

चन्द्रभानु पिंकू

बर्बाद हो रही फसल व बगीचे की रखवाली करने पर हमला करते हैं।

सज्जन सिंह

बर्बाद हो रही फसल व बगीचा से चिंता बढ़ गई है। नया लगाने की हिम्मत नहीं हैं।

सूर्य प्रताप सूरज

बर्बाद हो रही फसल देख खेती छोड़ मजदूरी के लिए बाहर जाना विवशता है।

कृष्ण वल्लभ सिंह

घोड़परास के आतंक से खेती छोड़ रहे हंै। भुखमरी की समस्या हो चुकी है।

दीप ना. यादव

उतरवड़िया बहियार में फसल और बाग बगीचा को बर्बाद करने से सभी परेशान हैं।

संतोष सिंह

फसल बर्बाद कर रहे घोड़परास पर अंकुश लगाने के लिए कार्रवाई हो।

नवल किशोर चौधरी

घोड़परास के कारण किसानों का भरण-पोषण करना मुसीबत बना है।

दिनेश साह

घोड़परास से मुक्ति के लिए कार्रवाई नहीं होने पर खेती छोड़ना विवशता होगी।

संदीप चिंटू

बोले जिम्मेदार

क्षेत्रीय भ्रमण के दौरान किसानों ने घोड़परास के आतंक से फसल बर्बाद होने के साथ जानलेवा हमले की उन्हें जानकारी दी है। किसानों एवं राहगीरों की समस्या का समाधान के लिए उन्होंने वन पर्यावरण मंत्री, जिला पदाधिकारी सहरसा सहित वन विभाग के अधिकारियों को इस दिशा में विधिसंम्मत कार्रवाई करने के लिए जानकारी दिया है।

-रत्नेश सादा, क्षेत्रीय विधायक सह मद्यनिषेध उत्पाद एवं निबंधन मंत्री बिहार सरकार

घोड़परास के आतंक से किसान परेशान हैं। घोड़परास किसानों की फसल बर्बाद करने के आलावा जानलेवा हमला पर भी उतारू हो रहे हैं। जिसकी शिकायत पूर्व में स्थानीय मुखिया सहित किसानों ने आवेदन देते की थी। पत्र एवं अभ्यावेदन पर उनके स्तर से वन प्रमंडल पदाधिकारी सहरसा को कार्रवाई हेतु पत्र प्रेषित किया गया था। जो प्रक्रिया में है।

- पुलक कुमार, प्रखंड विकास पदाधिकारी, पतरघट

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