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बोले कटिहार : फसलों पर है सूखे का संकट, बंद स्टेट बोरिंग फिर हो चालू

कटिहार जिले के फलका एवं कोढ़ा प्रखंड के किसान सिंचाई की समस्या से जूझ रहे हैं। स्टेट बोरिंग वर्षों से खराब पड़े हैं, जिससे किसान महंगे डीजल पंप से पानी लाने को मजबूर हैं। किसान चाहते हैं कि सरकार...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरThu, 17 April 2025 11:29 PM
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बोले कटिहार : फसलों पर है सूखे का संकट, बंद स्टेट बोरिंग फिर हो चालू

कटिहार जिले का फलका एवं कोढ़ा प्रखंड कृषि प्रधान क्षेत्र है। सैकड़ों किसान अपनी आजीविका के लिए सब्जी और अनाज की खेती पर निर्भर हैं। लेकिन विगत कुछ वर्षों से किसानों को सिंचाई के लिए गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिले के कई स्थानों पर लगे स्टेट बोरिंग वर्षों से खराब पड़े हैं और विभागीय लापरवाही के कारण अब तक इन्हें ठीक नहीं कराया गया। किसान निजी संसाधनों से महंगे दामों पर डीजल पंप से पानी लेकर सिंचाई करने को मजबूर हैं। खासकर टमाटर, भिंडी, करेला, मक्का, गेहूं जैसी फसलों की सिंचाई समय पर नहीं हो पाने से उपज पर भी असर पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि यदि स्टेट बोरिंग को दुरुस्त कर चालू किया जाए तो पटवन की समस्या दूर हो सकती है और वे बेहतर फसल उगा सकेंगे। सरकार और प्रशासन के सहयोग से किसानों का जीवन सुखद और आत्मनिर्भर बन सकता है।

30 पंचायतों के किसानों को खेतों की सिंचाई में होती है परेशानी

02 प्रखंडों के मक्का, गेहूं एवं सब्जी उत्पादकों को पंप सेट का सहारा

18 हजार हेक्टेयर में दो प्रखंडों के पांच हजार किसान करते हैं खेती

कटिहार जिले के फलका एवं कोढ़ा प्रखंड के अलावा कई प्रखंडों में लगे स्टेट बोरिंग किसानों के लिए कभी सिंचाई का मजबूत सहारा हुआ करते थे। लेकिन विभागीय लापरवाही और देखरेख के अभाव में ये बोरिंग अब सालों से बंद पड़े हैं। नतीजा यह है कि किसान फसल की पटवन के लिए भारी आर्थिक बोझ और कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि लगभग 15-20 साल पहले स्टेट बोरिंग की स्थापना हुई थी। शुरुआत में इसका लाभ सीधे-सीधे गांव के किसानों को मिला। सब्जी, मक्का, गेहूं और अन्य फसलों की सिंचाई समय पर हो जाती थी, जिससे उत्पादन अच्छा होता था और किसानों की आय भी बढ़ी थी। लेकिन पिछले पांच वर्षों से यह सुविधा लगभग ठप हो चुकी है। पहले मोटर खराब हुई, फिर कभी-कभार मरम्मत के बाद कुछ दिनों तक बोरिंग ने काम किया। लेकिन पिछले तीन-चार वर्षों से यह पूरी तरह से बंद पड़ा है।

अधिकारियों से लगाई गुहार:

ग्रामीण किसानों ने बताया कि वे कई बार स्थानीय विभागीय अधिकारियों से लेकर जिला प्रशासन तक आवेदन दे चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है। मजबूरन किसान प्राइवेट डीजल पंप से 200 रुपये प्रति घंटे की दर से सिंचाई करा रहे हैं। इस समय टमाटर, भिंडी, करेला, कद्दू, मक्का जैसी फसलें खेतों में लहलहा रही हैं, लेकिन समय पर पटवन नहीं होने से फसल सूखने का खतरा मंडरा रहा है। डीजल के बढ़ते दाम और बिजली आपूर्ति की अनियमितता ने किसानों की मुसीबत और बढ़ा दी है। कई किसानों ने बताया कि यदि स्टेट बोरिंग को दुरुस्त कर चालू कर दिया जाए तो क्षेत्र के सैकड़ों एकड़ में खेती करने वाले किसान लाभान्वित होंगे और उत्पादन में भी इजाफा होगा। किसानों की मांग है कि जिला प्रशासन और सरकार इस दिशा में जल्द ध्यान दे ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल सके। बोरिंग के चालू होने से ना सिर्फ सिंचाई की समस्या दूर होगी बल्कि किसान आत्मनिर्भर बन बेहतर जीवन यापन कर सकेंगे।

शिकायत

1. स्टेट बोरिंग पिछले तीन से चार वर्षों से खराब पड़ा है, लेकिन मरम्मत के लिए विभाग द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

2. सिंचाई के लिए डीजल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, जिससे किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा है।

3. खेतों तक बिजली की आपूर्ति अनियमित और कमजोर है, जिससे मोटर पंप भी सही से नहीं चल पाते।

4. कई बार आवेदन देने के बावजूद विभागीय अधिकारी किसानों की समस्याओं को अनदेखा कर रहे हैं।

5. समय पर पानी न मिलने के कारण फसल की पैदावार घट रही है और किसान घाटे में हैं।

सुझाव:

1. स्टेट बोरिंग की त्वरित मरम्मत की जाए और चालू हालत में लाएं।

2. सभी सिंचाई योजनाओं की नियमित मॉनिटरिंग और देखरेख के लिए विभागीय टीम गठित की जाए।

3. किसानों को कम दर पर डीजल व बिजली उपलब्ध कराई जाए ताकि निजी पंप से सिंचाई सस्ती हो सके।

4. स्टेट बोरिंग के संचालन के लिए स्थायी ऑपरेटर और मेंटेनेंस स्टाफ की नियुक्ति की जाए।

5. बारिश के मौसम से पहले सभी सिंचाई संसाधनों की मरम्मत सुनिश्चित की जाए, ताकि खेती प्रभावित न हो।

सुनें हमारी बात

स्टेट बोरिंग हमारे खेतों की जीवन रेखा है। यह बंद पड़ा है, जिससे हमें महंगे दाम पर डीजल पंप से सिंचाई करनी पड़ती है। समय पर पानी न मिलने से फसल सूख जाती है। प्रशासन अगर ध्यान दे तो हमारी परेशानी खत्म हो सकती है।

-मनोज कुमार उर्फ बबलू

कई बार आवेदन देकर थक चुके हैं लेकिन स्टेट बोरिंग की मरम्मत अब तक नहीं हुई। सिंचाई के बिना खेती बेकार हो रही है। फसल की लागत बढ़ती जा रही है और मुनाफा घट रहा है। सरकार से गुजारिश है कि जल्द समाधान हो।

-संजय कुमार मंडल उर्फ डब्लू

फसलों की बढ़िया उपज के लिए समय पर पानी जरूरी है। स्टेट बोरिंग चालू होने से हम सैकड़ों किसानों को राहत मिलेगी। प्राइवेट पंप से सिंचाई पर खर्चा ज्यादा हो रहा है। विभाग हमारी सुनवाई नहीं कर रहा है।

-सुनील कुमार मंडल

हम किसानों की कमाई खेती पर ही टिकी है। स्टेट बोरिंग खराब होने से फसल की सिंचाई रुक जाती है। हमारी मेहनत और लागत दोनों डूब रही है। विभाग से निवेदन है कि इसे शीघ्र मरम्मत कराए।

-कमलेश कुमार

हमारे इलाके में सिंचाई का यही एक सस्ता साधन था। अब इसके बंद होने से किसान आर्थिक तंगी में आ गए हैं। डीजल पंप से महंगा पानी लेकर खेती करना मुश्किल हो रहा है। सरकार से समाधान की उम्मीद है।

-अनंत कुमार

स्टेट बोरिंग ठीक होते ही खेतों में हरियाली लौट आएगी। किसान आज कर्ज लेकर डीजल से पटवन कर रहे हैं। विभागीय उदासीनता से हम सब परेशान हैं। समय रहते समाधान जरूरी है, नहीं तो फसलें बर्बाद हो जाएंगी।

-नीरज कुमार

सरकार किसानों की बात सुनती है, पर अमल नहीं करती। वर्षों से स्टेट बोरिंग बंद पड़ा है। हम महंगे दाम पर सिंचाई कर रहे हैं। विभाग को अब किसानों की मजबूरी समझनी चाहिए।

-धीरज कुमार

स्टेट बोरिंग हमारे लिए बड़ी राहत थी। अब खेतों में पानी की कमी से फसलें सूख रही हैं। बार-बार विभागीय अफसरों को शिकायत दी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। जल्द समाधान हो तभी खेती बचेगी।

-मोहित लाल मंडल

खेती से ही हमारा घर चलता है। बोरिंग के खराब होने से पटवन की समस्या बढ़ गई है। महंगे डीजल और प्राइवेट पंप से सिंचाई संभव नहीं। विभाग को जल्द कदम उठाना चाहिए, नहीं तो किसान बर्बाद हो जाएंगे।

-लक्ष्मण मंडल

सरकार ने बोरिंग तो लगाया लेकिन देखरेख नहीं की। अब यह बंद पड़ा है और किसान बेबस हैं। अगर सही समय पर सिंचाई नहीं हो तो फसलें बर्बाद हो जाती हैं। विभाग को इस ओर ध्यान देना चाहिए।

-छत्तीस मंडल

फसलें तैयार हैं लेकिन सिंचाई के लिए पानी नहीं। स्टेट बोरिंग खराब पड़ा है और विभाग कोई ध्यान नहीं दे रहा। किसान बहुत मुश्किल हालात से गुजर रहे हैं। प्रशासन से अनुरोध है जल्द मरम्मत कराए।

-बुधो मंडल

खेती किसानी से ही हम सबका जीवन चलता है। स्टेट बोरिंग खराब होने से सिंचाई रुक गई है। किसानों को महंगे दाम पर प्राइवेट पंप का सहारा लेना पड़ रहा है। सरकार अगर ध्यान दे तो हालात सुधर सकते हैं।

-शंकर मंडल

सिंचाई की व्यवस्था सही हो तो खेती में लाभ होता है। स्टेट बोरिंग वर्षों से बंद पड़ा है और किसान परेशान हैं। सरकारी उदासीनता के कारण हमारा भविष्य अंधेरे में है। फसल बचाने के लिए समाधान जरूरी है।

-जागेश्वर ऋषि

खेती अब घाटे का सौदा बनता जा रहा है। सिंचाई के लिए स्टेट बोरिंग का सहारा था, जो बंद पड़ा है। प्राइवेट पंप से पटवन करना बहुत महंगा है। सरकार से गुजारिश है कि जल्द इसका समाधान निकाले।

-धीरेंद्र ऋषि

हमारा जीवन खेती पर निर्भर है। सिंचाई के लिए स्टेट बोरिंग की जरूरत है जो बंद पड़ा है। बार-बार शिकायत के बावजूद समाधान नहीं हुआ। सरकार किसानों की सुध ले, ताकि फसलें बर्बाद न हों।

-सीताराम मंडल

स्टेट बोरिंग बंद होने से सिंचाई करना बेहद मुश्किल हो गया है। डीजल पंप का खर्च बहुत बढ़ गया है। फसल की लागत वसूल नहीं हो रही। प्रशासन से मांग है कि बोरिंग जल्द से जल्द चालू कराया जाए।

-उत्तम लाल मंडल

बोले जिम्मेदार

किसानों की समस्या हमारे संज्ञान में है। स्टेट बोरिंग की मरम्मत और सुचारू संचालन के लिए विभाग लगातार प्रयासरत है। तकनीकी जांच के बाद खराब मोटर और अन्य उपकरणों की सूची तैयार की जा चुकी है। जल्द ही टेंडर प्रक्रिया पूरी कर मरम्मत शुरू की जाएगी। हमारा लक्ष्य है कि किसानों को समय पर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो, ताकि उनकी फसलें सुरक्षित रहें और उपज प्रभावित न हो। किसानों से अपील है कि धैर्य बनाए रखें, विभाग पूरी संवेदनशीलता के साथ इस दिशा में तेजी से काम कर रहा है।

-तारकिशोर प्रसाद, पूर्व डिप्टी सीएम सह सदर विधायक, कटिहार

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