अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सिमुलतला में इमरजेंसी सेवा नहीं होने के कारण तालाब में डूबे चार अचेत बच्चियों की हुई
सिमुलतला में एकमात्र प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कोई एमबीबीएस डॉक्टर नहीं है और एंबुलेंस की सुविधा भी नहीं है। हाल ही में, चार बच्चियों की पानी में डूबने के बाद अस्पताल में लाते समय जान चली गई।...
सिमुलतला। निज संवाददाता जमुई व बांका जिले के 20 किलोमीटर के परिधि में स्थित एकमात्र अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सह हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर सिमुलतला एक मात्र आयुष चिकित्सक के भरोसे संचालित किया जा रहा है l जहां इमरजेंसी सेवा के नाम पर कोई भी व्यवस्था नहीं हैl उक्त अस्पताल में एक भी एमबीबीएस डॉक्टर नहीं हैं l और ना ही एंबुलेंस की सुविधा हैl उक्त अस्पताल ट्रेन टाइम से खुलती और बंद होती हैl जिसका समय सुबह 10:00 बजे से 2:00 बजे तक हैl या यूं कहे कि 10:00 बजे लेट नहीं और 2:00 बजे भेंट नहीं l यदि यह अस्पताल 24 घंटा मरीजों के सुविधा के लिए खुली रहती तो आज शायद चार बच्चियों की जान बच जाती। आज का ताज़ा घटना है कि सिमुलतला से सटा बांका जिला के अनंदपुर ओपी क्षेत्र के बेहरार गांव के चार बच्ची पानी में डूब जाने से परिजनों द्वारा आनंद फानन्द में सिमुलतला अस्पताल लाया जहां कोई सुविधा नहीं रहने के कारण तीन बच्ची को बाइक से झाझा रेफरल अस्पताल ले जाने के दौरान रास्ते में ही तीनों बच्ची ने दम तोड़ दिया। वही एक बच्ची सिमुलतला में ही दम तोड़ दी। चारों बच्ची का पहचान बेहरार गांव निवासी संजय यादव का 12 वर्षीय पुत्री निसा कुमारी, शंकर यादव का 11 वर्षीय पुत्री पूनम कुमारी, विनोद यादव का 13 वर्षीय पुत्री पुष्पा कुमारी और अपने मामा घर आए चंद्रमंडी थाना क्षेत्र के मोहनपुर गांव निवासी बजरंगी यादव का 11 वर्षीय पुत्री ज्योति कुमारी के रूप में हुआ। इस घटना के बाद सिमुलतला क्षेत्र के लोगों में अस्पताल के प्रति काफी आक्रोश देखा जा रहा है। कनौदी सरपंच मनोरंजन प्रसाद ने कि ऐसी घटना का मुख्य कारण है यहां का अस्पताल जहां एक भी डॉक्टर नहीं।नहीं एम्बुलेंस की व्यवस्था है। आज यहां के अस्पताल में डॉक्टर होते तो शायद इन चार मासूम बच्ची की जान बच जाती। बाकी लोगों ने एक स्वर में कहा कि यदि अस्पताल में ऑक्सीजन व एम्बुलेंस की सुविधा होती तो शायद चारों बच्चियों की जान बच जाती। यह कोई पहली घटना नहीं है इसके पूर्व इस तरह की कई घटना है जो कि अस्पताल में सुविधा नहीं रहने के कारण कई लोगो ने दम तोड़ चुके हैं।
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