नदियां बदल रही दिशा, नक्शे से गायब हुए खेत-मकान
भागलपुर में बह रही गंगा व कोसी पुरानी राह की ओर वापस हो रही है
भागलपुर, वरीय संवाददाता। भागलपुर में बहने वाली नदियां हर साल दिशा बदल रही हैं। जिससे जिले का भूगोल बदलता जा रहा है। जिले के नक्शे से कई खेत-मकान गायब हो गए। जो पिछले साल दिख रहा था, वह अब नदी के गर्भ में समा चुका है। जल विशेषज्ञ बताते हैं कि जिले में बहने वाली गंगा और कोसी पुरानी राह की ओर वापस हो रही है। सबौर के आधा दर्जन टोले के अस्तित्व पर संकट
बताते हैं कि सबौर में गंगा दक्षिण की ओर लौट रही है। दक्षिण की ओर नदी के मुड़ने से धीरे-धीरे बाबूपुर, रजंदीपुर, इंग्लिश फरका, घोषपुर, ममलखा आदि गांव के नदी से सटे टोले के अस्तित्व पर संकट गहराता दिख रहा है। कटाव के चलते खेती योग्य भूमि नदी में विलीन हो रही है। दर्जन भर झोपड़ी भी जलसमाधि ले चुकी है। ग्रामीण बताते हैं कि यदि कटाव का यही हाल रहा तो करीब 10 साल बाद इस अंचल की कई बस्तियां वीरान हो जाएंगी। गंगा से कटाव का दंश कहलगांव और पीरपैंती भी भुगत रहा है। इन प्रखंडों में हरेक साल गंगा नए स्थल की ओर बढ़ रही है। खरीक और नवगछिया में कोसी पांच दशक पहले की अवस्था में लौट रही है। कोसी किनारे के कई टोले में बने मकान नदी में दफन हो चुके हैं।
50 साल बाद नदियां पुरानी धारा में लौटती हैं
जल संसाधन विभाग से सेवानिवृत्त अभियंता वरुण कुमार बताते हैं, नदियों का मिजाज हमेशा से बदलता रहा है। इसकी फितरत है कि 50-60 साल बाद वह पुरानी दिशा में बहेंगी। जब गंगा में लबालब पानी होता था तब सबौर में दक्षिण की ओर धारा बहती थी। पानी घटने के बाद नदी क्षेत्र टापू बन गया, फिर मैदान। 10-20 साल पानी नहीं आने पर लोग यह मान बैठे कि गंगा ने दिशा बदल ली है। इसलिए बेखौफ कुछ ग्रामीणों ने नदी प्रवण क्षेत्र में ही घर-मकान बना लिए। शहरी क्षेत्र में बरारी से लेकर चंपानदी तक यही हाल है। यही वजह है कि गंगा में उफान आने पर नदी से सटे मकानों में पानी घुस रहा है। यदि मुख्यधारा किनारे से बहेगी तो कटाव की जद में कई मकान जमींदोज हो सकते हैं।
कोट
सबौर क्षेत्र में कटाव रोकने के लिए गार्ड वॉल बनाने की योजना है। सीओ ने अमीन मापी रिपोर्ट भेजी है।
- महेश्वर प्रसाद सिंह, एडीएम।
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