सदर अस्पताल का टीबी जांच लैब बढ़िया
सेंट्रल टीबी डिवीजन की टीम ने किया टीबी जांच केंद्रों का निरीक्षण कल्चर एंड डीएसटी
भागलपुर, वरीय संवाददाता केंद्रीय टीबी डिवीजन की टीम ने गुरुवार को सदर अस्पताल और मायागंज अस्पताल में संचालित टीबी जांच केंद्रों का निरीक्षण किया। इस दौरान टीम ने पाया कि जहां सदर अस्पताल का टीबी जांच केंद्र का प्रदर्शन बढ़िया है तो वहीं दूसरी तरफ मायागंज अस्पताल के कल्चर एंड डीएसटी लैब में जांच की रफ्तार को मानव संसाधनों की कमी ने धीमा कर दिया है।
सेंट्रल टीबी डिवीजन के रीजनल टेक्निकल एक्सपर्ट डॉ. हिमांशु झा अपनी सहयोगी टीबी डीसी पटना की आईआरएल (इंटरमीडिएट रेफरेंस लैब) माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट डॉ. रश्मि कुमारी के साथ गुरुवार को दोपहर करीब एक बजे सदर अस्पताल पहुंचे। यहां पर टीम ने टीबी जांच के तरीका, सैंपल लेने व इसके रखरखाव के बारे में जानकारी ली। टीम ने पाया कि दो साल पहले इस लैब की जो हालत थी, उसकी तुलना में ये लैब बेहतर है। यहां पर ट्रूनेट व माइक्रोस्कोपी दोनों तरह की विधियों से टीबी जांच की जा रही है। इस केंद्र पर निर्धारित लक्ष्य की तुलना में 65 प्रतिशत लोगों का टीबी जांच किया जा चुका है, जो कि बेहतरीन है।
आज अधीक्षक से मिलेगी टीम
इसके बाद टीम मायागंज अस्पताल के कल्चर एंड डीएसटी लैब में पहुंची। यहां पर टीम ने डीएसटी (ड्रग सेंसिटिविटी टेस्ट) के बाबत पाया कि इस जांच की सुविधा तो साल 2023 से ही बंद है। जबकि एलपीए (एमडीआर टीबी) जांच की धीमी रफ्तार है। जिसका कारण यहां पर मानव संसाधन की कमी है। यहां पर चार की तुलना में दो लैब टेक्नीशियन तैनात मिले तो वहीं माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट का पद तो बीते एक साल से भरा नहीं गया। इसको लेकर टीम ने निर्णय लिया कि टीबी एंड चेस्ट विभाग के एचओडी डॉ. अविलेष कुमार के साथ शुक्रवार को अस्पताल अधीक्षक डॉ. केके सिन्हा से मुलाकात करेगी। वहीं निरीक्षण के क्रम में टीम ने बीते चार दिन से लैब का यूपीएस खराब पाया। वहीं साल 2025 में लैब के लाइसेंस की वैलिडिटी खत्म होने के बाबत रिन्युअल के लिए अभी से ही तैयारी करने का निर्देश दिया। इस दौरान टीम के साथ जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कुमार अमरेश व लैब के पर्यवेक्षक सुभाष कुमार आदि की मौजूदगी रही।
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