अररिया। जयंती पर याद किये गए डॉ.राही मासूम रजा
इंद्रधनुष साहित्य परिषद ने प्रोफेसर कॉलोनी, पीडब्लूडी परिसर में डॉ. राही मासूम रजा की जयंती मनाई। साहित्यकारों ने उनके साहित्यिक योगदान को सराहा और श्रद्धांजलि अर्पित की। डॉ. रजा को 'महाभारत' के संवाद...
फारबिसगंज, एक संवाददाता। इंद्रधनुष साहित्य परिषद के द्वारा सोमवार को स्थानीय प्रोफेसर कॉलोनी स्थित पीडब्लूडी परिसर में गंगा-जमुना संस्कृति के प्रतीक डॉ.राही मासूम रजा की जयंती मनाई गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता मांगन मिश्र मार्तंड ने एवं संचालन मनीष राज ने किया। इस मौके पर उपस्थित साहित्यकारों एवं साहित्य प्रेमियों द्वारा सर्वप्रथम डॉ.रजा की तस्वीर पर श्रद्धासुमन अर्पित किया गया।इसके बाद बाल साहित्यकार हेमंत यादव,मांगन मिश्र मार्तंड,विनोद कुमार तिवारी,हसमत सिद्यिकी,बेगाना सारनवी,सुरेंद्र प्रसाद मंडल, सुनील दास आदि वक्ताओं ने बताया कि गंगोली उत्तर प्रदेश में 1 सितंबर 1927 को जन्मे डॉ.राही मासूम रजा एक ऐसे रचनाकार के रूप में प्रतिष्ठित हुए जिनकी रचनात्मक पहुंच संस्कृत से उर्दू तक और महाकाव्य से गजलों तक की रही है। वे प्रसिद्ध लेखक,कवि,शायर और पटकथा लेखक थे। ग्यारह वर्ष की उम्र में इन्हें टीबी हो गया था। इसी दौरान इन्होंने भारतीय संस्कृति से संबंधित बहुत सारी साहित्य का अध्ययन कर लिया था। फिल्म 'मैं तुलसी तेरे आंगन की' के लिए इन्हें सर्वश्रेष्ठ फिल्म संवाद लेखन के लिए फिल्म फेयर अवार्ड मिला था। इन्हें प्रसिद्ध हिंदी टीवी धारावाहिक 'महाभारत' के संवाद लेखन के लिए भी जाना जाता है। भारतीय संस्कृति को गहराई से जानने और पहचानने वाले रजा साहब को लगभग हर क्षेत्र में बेशुमार शोहरत मिली। 15 मार्च 1992 को मुंबई में इनका निधन हो गया। इस अवसर पर शिवनारायण चौधरी,पलकधारी मंडल,रघुनंदन मंडल,शिवराम साह,हरिनंदन मेहता,सीताराम बिहारी आदि उपस्थित थे।
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