शहर व ग्रामीण क्षेत्र के हर बाजार में सजीं तिलकुट की दुकानें (पेज चार की लीड खबर)
गाँवों में मकर संक्रांति के पर्व के लिए तिलकुट, तिलवा और खोवा जैसी मिठाइयाँ बन रही हैं। तिल के सेवन से दिमागी ताकत बढ़ती है और नींद में सुधार होता है। तिलकुट की बिक्री में वृद्धि हो रही है, जिससे कई...
गुड़, चीनी, खोवा से तैयार किए जा रहे तिलकुट, तिलवा, गांव-मुहल्लों की गलियों व सड़कों पर ढूंढा की फैल रहीं सोंधी महक गया, नवादा, जहानाबाद, सासाराम के कारीगर तैयार कर रहे हैं तिलकुट तिलकुट की खरीदारी करने के लिए दुकानों पर लग रही है ग्राहकों की भीड़ इंट्रो तिल में प्रोटीन, कैल्शयिम, मिनरल्स, आयरन, मैगनीशियम, कॉपर समेत कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। सर्दियों में तिल का सेवन करने से दिमाग की ताकत बढ़ती है। रोजाना तिल का सेवन करने से याददाश्त कमजोर नहीं होती और बढ़ती उम्र का असर दिमाग पर जल्द नहीं होता। तिल में कुछ ऐसे तत्व और विटमिन्स भी पाए जाते हैं, जिससे नींद अच्छी आती है और तनाव को कम करने में भी मदद मिलती है। इसमें पाए जानेवाले खनिज नई हड्डियों को बनाने, हड्डियों को मजबूत करने और उनकी मरम्मत करने में मदद करते हैं। इसकी पुष्टि आयुर्वेदाचार्य अखंडानंद जी ने की है। तिलकुट की दर प्रति किलो तिलकुट मूल्य चीनी तिलकुट 180-240 रुपया गुड़ तिलकुट 180-240 रुपया खोवा तिलकुट 280-300 रुपया तिल का लड्डू 200 रुपया गुड़ लड्डू 80 रुपया ढूंढा 100 रुपया भभुआ, कार्यालय संवाददाता। मकर संक्रांति पर्व के चंद दिन रह गए हैं। पर्व की तैयारी हर स्तर पर की जा रही है। गांव की महिलाएं जहां ढूंढा (लाई) और तिलवा तैयार कर रही हैं, वहीं चूड़ा की मिल भी देर रात तक चल रही हैं। शहर में कारीगर द्वारा तिलकुट, ढूंढा, तिलवा, मूर्ही आदि तैयार किए जा रहे हैं। बहू-बेटियों के घर खिचड़ी भेजी जाने लगी है। उक्त चीजों को भट्ठी (चूल्हा) पर तैयार करने के दौरान उसकी सोंधी महक गलियों व सड़कों तक पहुंच रही है। बाजारों में तिलकुट की छोटी-बड़ी दुकानें सज गई हैं। स्वादिष्ट व खास्ता तिलकुट तैयार करने के लिए जिले के कई व्यवसाइयों ने गया, नवादा, जहानाबाद, सासाराम व अन्य जगहों के कारीगरों को बुलवाया है। कुछ कारोबारी कारीगरों से तैयार करा रहे हैं और कुछ तैयार तिलकुट की खरीदारी कर बेच रहे हैं। लेकिन, कुछ ऐसे भी कारोबारी हैं जो खुद तैयार कर बेचते हैं। तिलकुट के कारोबार से सैकड़ों लोग रोजगार पा रहे हैं। इनमें कुछ कारीगर हैं तो कुछ वर्कशॉप वाले और कुछ दुकानदार शामिल हैं। इनकी कमाई से घर का खर्च चलता है। बच्चे पढ़ते हैं। घर के बीमार सदस्यों का इलाज होता है। बेटियों की शादी होती है। गया के खस्ता तिलकुट के नाम और स्वाद से भला कौन ऐसा होगा जो अनजान हो। उसी तरह के तिलकुट की खुशबू भभुआ शहर में बिखरने लगी हैं। ठंड में इसकी बिक्री में वृद्धि हो गई है। लोगों को रोजगार मिलना शुरू हो गया है। मकर संक्रांति पर तो इसकी बिक्री काफी होती है। तब यहां दिन-रात वर्कशॉप में तिल कूटने की आवाज सुनी जाती है। वर्कशॉप के कारीगर चीनी, गुड़ और खोवा मिश्रित तिलकुट तैयार करते हैं। इनमें खोवा से निर्मित तिलकुट की विशेष मांग रहती है। कैमूर जिले में मकर संक्राति से एक माह पूर्व ही गया से तिलकुट बनाने वाले कारीगरों को बुला लिया गया है। कुछ कारीगर तो ऐसे भी हैं जो यहां अपना कारोबार करने चले आते हैं। इनके इस हुनर का स्वाद बिहारी समाज के अलावा अन्य समाज के लोग भी उठाने से नहीं चूकते। शहर के समाहरणालय पथ, कचहरी पथ, पटेल चौक के आसपास तिलकुट की दुकानें सज गई हैं। खरीदार भी पहुंचने लगे हैं। कहते हैं कि तिल में गर्मी होती है और इसे खाने से कई तरह के फ्लू का असर कम होता है। कैमूर के खोवा से तैयार कर रहे तिलकुट शहर के खादी भंडार की गली में तिवारी तिलकुट भंडार है। दुकानदार लोकनाथ तिवारी बताते हैं कि मकर संक्रांति पर तिलकुट की अच्छी बिक्री हो जाती है। वैसे तो ठंड का मौसम शुरू होते ही इसकी बिक्री होने लगती है। शहर के मुन्ना गुप्ता, श्याम गुप्ता, मोहन साह भी तिलकुट के कारोबार से वर्षों से जुड़े हुए हैं। मकर संक्रांति के समय में इनकी दुकानों पर ग्राहक तिलकुट की एडवांस बुकिंग कराते हैं। पूछने पर दुकानदारों ने बताया कि कानपुर, पटना व स्थानीय बाजार से तिल मंगाते हैं। खोवा तो भभुआ की मंडी में ही उपलब्ध हो जाती है। तिलकुट बना घर का चलाते हैं खर्च गया जिला के टिकारी के रहनेवाले प्रेम प्रकाश हलवाई, बाराचट्टी के नरेंद्र साह, शेरघाटी के ओमनरायण गुप्ता ने बताया कि तिलकुट बनाना उनका पुश्तैनी काम है। शहर में तिलकुट कारोबारी के बुलावा पर वह आए हैं। नरेंद्र ने बताया कि उनके वर्कशॉप में तैयार तिलकुट की आपूर्ति दूसरी जगह भी की जाती है। बाजार में मांग को देखते हुए और भी कारीगर बुलाए गए हैं। पूछने पर उसने बताया कि अच्छे कारीगर रोजाना एक हजार रुपए लेते हैं। वैसे तो पांच से आठ सौ रुपए में भी कारीगर मिल जाते हैं। करीब दो माह की कमाई से वह अच्छी आमदनी कर लेते हैं। क्या कहते हैं कारोबारी तिलकुट के कारोबारी कहते हैं कि ग्राहकों को गया के तिलकुट का स्वाद व खास्ता मिले इस प्रयास में वहां के कारीगर को बुलाते हैं। इसकी गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं किया जाता। मकर संक्रांति को ले तिलकुट तैयार करने के लिए कई कारीगर काम कर रहे हैं। बाजार में तिलकुट की मांग बढ़ती जा रही है। शहर के जयप्रकाश गुप्ता ने बताया कि वह खुद से तिलकुट तैयार कर बेच रहे हैं। कारोबारियों का कहना है कि यह व्यवसाय यहां कई लोगों के लिए रोजगार का प्रमुख साधन भी है। फोटो- 10 जनवरी भभुआ- 2 कैप्शन- शहर के कचहरी पथ स्थित खादी भंडार गली में शुक्रवार को तिलकुट की खरीदारी करते ग्राहक।
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