सूर्य के धनु से मकर राशि में प्रवेश करने पर मनेगी संक्रांति (पेज चार की फ्लायर खबर)
मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेगा, जिससे सभी मांगलिक कार्य शुरू होंगे। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, तिल का दान करना शुभ है। इस दिन स्नान, दान और जप...
मकर संक्रांति से शुरू हो जाएंगे विवाह, मुंडन, सगाई, स्नान दान, जप, तर्पण, यज्ञोपवित जैसे सभी मांगलिक और शुभ कार्य मकर संक्रांति पर मंगलवार को भी तिल का किया जा सकता है दान बोले ज्यातिषाचार्य, मंगलवार की दोपहर 2:44 बजे राशि परिवर्तन होगी भभुआ, कार्यालय संवाददाता। मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी। मंगलवार की दोपहर 2:44 बजे सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेगी। इसी के साथ खरमास समाप्त हो जाएगा और सभी तरह के शुभ कार्य आरंभ हो जाएंगे। मकर संक्रांतिजन्य पुण्यकाल संक्रांति काल से 8 घंटा पूर्व से लेकर सूर्यास्त तक रहेगा। इस बीच स्नान दान, जप, तर्पण इत्यादि सभी कार्य संपन्न होंगे। इस आशय की जानकारी देते हुए ज्योतिषाचार्य पंडित वागीश्वरी प्रसाद द्विवेदी ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन मंगलवार होने के कारण कुछ लोगों में भ्रांति है कि तिल का दान नहीं करना चाहिए। लेकिन, संक्रांति होने की वजह से दिन गौण हो जाता है। इसलिए उस दिन का जो दान होगा, वह संक्रांति के दृष्टीकोण में होगा। संक्रांति के लिए तिल का दान किया जा सकता है। जिस प्रकार तिल और गुड़ के मिलने से मीठे, स्वादिष्ट और गुणकारी लड्डू बनते हैं, उसी प्रकार सभी चाहते हैं कि उनकी जिंदगी में विविध रंगों के साथ खुशियों की मिठास बनी रहे। जीवन में नित्य नई ऊर्जा का संचार हो और पतंग की तरह ही सभी सफलता के शिखर तक पहुंचे। कुछ ऐसी ही कामनाओं के साथ मकर संक्रांति पूरी श्रद्धा व उल्लास के साथ मनायी जाती है। मकर संक्रांति के पर गुड़ व तिल लगाकर गंगा स्नान करना लाभदायी होता है। इसके बाद गुड़, तेल, कंबल, फल, छाता दान से लाभ मिलेगा। पिता-पुत्रों की निकटता बढ़ाने का दिन पुराणों के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य अपने पुत्र शनि के घर एक महीने के लिए जाते हैं। क्योंकि मकर राशि का स्वामी शनि हैं। हालांकि ज्योतिषीय दृष्टि से सूर्य और शनि का तालमेल संभव नहीं, लेकिन इस दिन सूर्य खुद अपने पुत्र के घर जाते हैं। इसलिए पुराणों में यह दिन पिता-पुत्र के संबंधों में निकटता की शुरुआत के रूप में देखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु ने असुरों का अंत करके युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी। उन्होंने असुरों के सिरों को मंदार पर्वत में दबा दिया था। इसलिए यह दिन बुराइयों और नकारात्मकता को खत्म करने का दिन भी माना जाता है। नदी के रूप में आई थीं मां गंगा धार्मिक ग्रंथ गीता में कहा गया है कि उत्तरायण के छह मास के शुभ काल में सूर्य देव उत्तरायण होते हैं और पृथ्वी प्रकाशमय रहती है। इसी दिन भागीरथ के तप के कारण गंगा मां नदी के रूप में पृथ्वी पर आईं थीं और राजा सगर सहित भागीरथ के पूर्वजों को तृप्त किया था। मकर संक्रांति के समय नदियों में वाष्पन क्रिया होती है। इससे रोग दूर हो सकते हैं। इसलिए इस दिन नदियों में स्नान करने का महत्व बहुत है। मकर संक्रांति में ठंड का समय रहता है। ऐसे में तिल-गुड़ का सेवन करने के बारे में विज्ञान भी कहता है। इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है, जो सर्दी में शरीर की सुरक्षा के लिए मदद करती है। तामसिक भोजन व मदिरा से करें परहेज ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि मकर संक्रांति के दिन भूलकर भी तामसिक भोजन या मदिरा सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसी चीजों से परहेज करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा। बिना स्नान किए अनाज ग्रहण बिल्कुल नहीं करनी चाहिए। मकर संक्रांति के दिन अगर गरीब, ब्राह्मण या कोई असहाय आपके घर की चौखट पर आ जाए तो बिना कुछ दान किए उसे वापस नहीं लौटाना चाहिए। फोटो-11 जनवरी भभुआ- 2 कैप्शन- शहर के चौक बाजार जाने वाले पथ की एक दुकान पर शनिवार को पूजा व दान सामग्री खरीदते लोग।
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