कटनीहारों की तलाश व हार्वेस्टर की बुकिंग करने लगे किसान (पेज चार की बॉटम खबर)
झारखंड, यूपी और बिहार के विभिन्न जिलों से कटनी के लिए मजदूर कटनी की तैयारी कर रहे हैं। किसानों ने इस वर्ष धान की अच्छी उपज की है और कटनी के लिए हार्वेस्टर की बुकिंग शुरू कर दी है। कटनी में देरी से रबी...
झारखंड, यूपी व बिहार के विभिन्न जिलों से कटनी के लिए यहां आते हैं मजदूर धान की बालियां देख किसान खुश, पहले हलकन धान की कटाई कराएंगे किसान एक नजर इधर भी 2300 रुपए क्विंटल साधारण धान की होगी खरीद 2320 रुपए क्विंटल एक ग्रेड धान की होगी खरीद 141 हेक्टूयर भूमि में किसानों ने की है धान की खेती भभुआ, कार्यालय संवाददाता। खरीफ फसल की खेती की शुरुआत में सिंचाई संकट झेलने के बाद भी किसानों ने इस वर्ष धान की अच्छी उपज की है। धान की लंबी बालियां देख किसान खुश हो रहे हैं। कैमूर के किसानों ने धान की कई प्रजाति के धान की फसल लगाई है। अब फसल की कटनी चंद दिनों में शुरू होगी। इसके पहले किसान हलकन धान की कटनी कराएंगे। इसके लिए किसान कटनीहारों की तलाश व हार्वेस्टर की बुकिंग शुरू कर दिए हैं। हालांकि कुछ किसान कटनी संपन्न होने के बाद अगले साल के लिए कटनीहारों को पैसा दे देते हैं, ताकि उन्हें कोई दूसरे किसान बुक नहीं कर सकें। किसान बताते हैं कि धान की कटनी करने के लिए कैमूर में उत्तर प्रदेश के राबर्टसगंज, गाजीपुर, चंदौली, झारखंड के पलामू, डालटेनगंज, विश्रामपुर, बिहार के सीतामढ़ी, समस्तीपुर, अधौरा आदि जगहों के कटनीहार धान की कटनी करने आते हैं। कुछ किसान उक्त जगहों पर मजदूरों की बुकिंग करने के लिए निकल गए हैं। गुरुवार को मंुडेश्वरी सिनेमा के पास मिले किसान राजेंद्र सिंह, शिवाधार तिवारी ने बताया कि वह लोग पिछले वर्ष विश्रामपुर के मजदूर से धान की कटनी कराए थे। कुछ एडवांस पैसा दे दिए थे। बुधवार को उनसे बात हुई है। उनका कहना है कि जब आप कहेंगे वह लोग आ जाएंगे। मालूम हो कि उत्तरी बिहार के कटनीहार पटना के रास्ते ट्रेन या बस आते हैं, जबकि झारखंड व उत्तर प्रदेश के मजदूरों के लिए भी यह सुविधा उपलब्ध है। आसपास के मजदूर तो बस व मैजिक से आ जाते हैं। कटनी-दवनी करने के बाद यह मजदूर अपनी मजदूरी के साथ धान भी लेकर अपने गांव जाते हैं। आने-जाने के लिए वाहन या ट्रेन का किराया भी किसान ही देते हैं। इनके आवासन का प्रबंध भी किसानों को करना पड़ता है। जबकि लोकल मजदूर कटनी करने के बाद अपने गांव लौट जाते हैं। एक साथ कटनी शुरू होने पर परेशानी किसानों कामेश्वर सिंह व कुंवर सिंह ने बताया कि जब सभी किसानों का धान एक साथ तैयार होता है और कटनी शुरू होती है, तब कटनीहार व हार्वेस्टर मिलना मुश्किल हो जाता है। इस कारण हमलोग पहले से ही हार्वेस्टर की बुकिंग करा रहे हैं, ताकि जब धान पककर तैयार हो जाए तो फोन करने पर ऑपरेटर हार्वेस्टर के साथ चालक को धान की कटनी करने के लिए भेज दे। इसके लिए किसान अग्रिम पैसा भी ऑनलाइन दे रहे हैं। जिन किसानों को समय पर हार्वेस्टर या कटनीहार नहीं मिलते हैं, उन्हें कटनी कराने में देर हो जाती है। कटनी में देर होने पर पिछड़ेगी रबी की बुआई धान की कटनी कराने में देर होने पर गेहूं, दलहन व तेलहन की बुआई में देर होगी। इसलिए किसान ऐसा रिस्क लेना नहीं चाहते हैं। चैनपुर के किसान अयोध्या बिंद व अधौरा के रामबचन सिंह ने बताया कि वह लोकल मजदूर से ही धान की कटनी कराते हैं। रामबचन ने बताया कि कटनी करने के बाद खेत में गेहूं, चना, मटर की बुआई करा देते हैं। अरहर की भी खेती अच्छी हो जाती है। पूछने पर किसानों ने बताया कि बुआई देर से करने पर मिट्टी की नमी खत्म हो जाती है। सिंचाई के लिए अतिरिक्त राशि खर्च करनी पड़ती है, जिससे खच्र बढ़ जाता है। फोटो- 17 अक्टूबर भभुआ- 2 कैप्शन- सदर प्रखंड के सोनहन बाईपास रोड के बधार में गुरुवार को धान की फसल में लगी बालियां।
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