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श्रीगणेश-लक्ष्मी पूजन के लिए वृष व सिंह लग्न सर्वोत्तम (पेज चार)

दीपावली पर गुरुवार को शाम 6:29 बजे वृष लग्न और रात 12:56 बजे सिंह लग्न का आरंभ होगा। गोधूली वेला और पूषा काल वेला पूजा के लिए श्रेष्ठ मानी गई है। पूजा सामग्री में लक्ष्मी और गणेश की मूर्तियां, फूल,...

Newswrap हिन्दुस्तान, भभुआWed, 30 Oct 2024 08:55 PM
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शाम 6:29 बजे वृष लग्न व रात्रि 12:56 बजे से सिंह लग्न शुरू होगा गोधूली वेला व पूषा काल वेला पूजा-अर्चना के लिए होगा उत्तम काल भभुआ, कार्यालय संवाददाता। ज्योतिषाचार्य पंडित वागीश्वरी प्रसाद द्विवेदी ने बताया कि दीपावली पर गुरुवार की शाम 6:29 बजे वृष लग्न का आरंभ होगा और रात्रि 12:56 बजे से सिंह लग्न शुरू होगा। यह दोनों स्थिर लग्न हैं। दीवापली पूजन के लिए यह सर्वोत्तम लग्न है। मिथुन लग्न रात्रि 8:25 बजे से व कन्या लग्न 3:10 बजे से शुभारंभ होगा। बावजूद इसके दीपावली में श्रीगणेश-लक्ष्मी के पूजन के लिए गोधूली वेला श्रेष्ठ है, जो सूर्यास्त से एक घंटा पहले से लेकर एक घंटा बाद तक रहेगी। अर्थात 4:33 से 6:33 बजे तक होगी। उन्होंने बताया कि इसके बाद उत्तम काल वेला पूषा काल है, जो सूर्योदय से एक घंटा पहले व एक घंटा बाद तक रहेगी। यह 5:27 बजे से 7:27 बजे तक रहेगी। इस दिन प्रीति योग भोग करेगी, जो सबके लिए प्रीतिकारक होगी। दीपावली की रात संपूर्ण काली रात होती है, जो सम्यक रूप से अराधना की काल वेला होती है। इस अवधि में की गई अराधना शीघ्र संकल्प की सिद्धी-रिद्धि है। इस दिन विपरीत मानसिकता के लोग जुआ खेलने, नशापान करने जैसी कुरीतियों में लिप्त रहते हैं। इसकी अनुमति शास्त्र कभी नहीं देता। दिवाली पूजन सामग्री लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति या प्रतिमा, सरस्वती जी की प्रतिमा, कमल व गुलाब के फूल, पान का पत्ता, रोली, केसर, चावल, सुपारी, फल, मिठाई, फूल, दूध, गंगाजल, इत्र, खील, बताशे, मेवे, शहद, दही, दीपक, रुई , कलावा, पानी वाला जटाधारी नारियल, तांबे का कलश, स्टील या चांदी का कलश, चांदी का सिक्का, आटा, तेल, लौंग, लाल या पीला कपड़ा, घी, चौकी और एक थाली। फोटो- 30 अक्टूबर भभुआ- 4 कैप्शन- दिवाली पर पूजा करने के लिए भभुआ हनुमान मंदिर के पास से बुधवार को माला की खरीदारी करते लोग। दिवाली पर मां लक्ष्मी व भगवान गणेश की पूजा विधि 1. दिवाली पूजा पर सफाई महत्वपूर्ण है। घर को अच्छी तरह से साफ कर गंगाजल छिड़कना चाहिए। घरों को दीपलरी, मोमबत्ती से रोशन तथा रंगोली, फूलों की माला, केला व अशोक के पत्तों से तोरण द्वार बनाते हैं। 2. पूजा स्थल पर लाल सूती कपड़ा बिछाएं। बीच में कुछ दाने रखें। चांदी या कांसे के कलश में पानी रखें। कलश में सुपारी, गेंदा का फूल, एक सिक्का और कुछ चावल के दाने डालें। कलश पर पांच आम के पत्ते एक घेरे में रखें। 3. कलश के दाहिनी ओर दक्षिण-पश्चिम दिशा में भगवान गणेश की मूर्ति या फोटो तथा बीच में देवी लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर रखें। छोटी थाली पर चावल का छोटी सी चपटी आकृति बनाएं। उस पर हल्दी से कमल का फूल डिजाइन करें, कुछ पैसे डालें तथा मूर्ति के सामने रख दें। 4. अपनी अकाउंट बुक, धन व बिजनेस से संबंधित अन्य वस्तुए मूर्ति के सामने रखें। तिलक लगाएं, फूल चढ़ाएं और मूर्तियों के सामने दीया जलाएं। अपनी हथेली में फूल रखें और आंखें बंद करके मंत्र का जाप करें। फूल को गणेश और लक्ष्मी को भेंट करें। 5. लक्ष्मी की मूर्ति को जल स्नान के रूप में पंचामृत अर्पित करें। देवी को मिठाई, हल्दी, कुमकुम चढ़ाएं और माला पहनाएं। अगरबत्ती या धूप जलाएं। फिर नारियल, सुपारी और पान का पत्ता चढ़ाएं। मां लक्ष्मी की आरती करें। घंटी बजाएं।

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