कैमूर में कड़ी सुरक्षा के बीच शांतिपूर्ण मना चेहल्लुम-
मुहर्रम के 40 दिन बाद शहीद हजरत इमाम हुसैन की याद में मनाया जाता है चेहल्लुम मुहर्रम के 40 दिन बाद शहीद हजरत इमाम हुसैन की याद में मनाया जाता है चेहल्लुम
मुहर्रम के 40 दिन बाद शहीद हजरत इमाम हुसैन की याद में मनाया जाता है चेहल्लुम चेहल्लुम पर अकीदतमंदों ने घरों में फातेहाखानी व कुरानखानी का किया आयोजन भभुआ, हिन्दुस्तान संवाददाता। कैमूर जिले में चेहल्लुम कड़ी सुरक्षा के बीच शांतिपूर्ण माहौल में रविवार को मनाया गया। चेहल्लुम को लेकर जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षा व्यवस्था का पुख्ता इंतजाम किया गया था। चेहल्लुम पर प्रशासन द्वारा विभिन्न स्थानों पर दंडाधिकारी पुलिस अफसर एवं जवानों की तैनाती की गई थी। चेहल्लुम पर अकीदतमंद अपने घरों में कुरानखानी व फातेहाखानी का आयोजन किया। इस अवसर पर अकिदतमनदो ने गरीबों व मजलूमों को भोजन भी कराया। बता दें कि मुहर्रम के 40 दिन बाद चेहल्लुम शहीद हजरत इमाम हुसैन की याद में मनाया जाता है। बताया जाता है कि चेहलुम असत्य पर सत्य की जीत के रूप में भी मनाया जाता है। बताया जाता है कि चेहल्लुम इस्लाम धर्म के लिए हजरत मुहम्मद के नवासे इमाम हुसैन की सेवाओं और उनके बलिदानों को स्वीकार करना है। इमाम हुसैन का व्यक्तित्व हमेशा से बलिदान का आदर्श रहा है। मोहनियां मदरसा के हाफिज अकबर अली बताते हैं कि हर साल चेहल्लुम शहीद-ए-कर्बला की बाद में मनाया जाता है। मान्यता है कि दसवीं मुहर्रम को हजरत इमाम हुसैन और कर्बला के शहीदों की शहादत के 40 वें दिन पर चेहल्लुम आता है। मोहर्रम कमेटी के परवेज आलम व आफताभ आलम कहते हैं' कि इमाम हुसैन ने यजीद की बुराइयों के खिलाफ जंग लड़ी थी। इमाम हुसैन मोहम्मद सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम के नवासे थे। मान्यता है कि चेहल्लुम साहस, त्याग और बलिदान का प्रतीक है। इमाम हुसैन की शहादत, जीवन और शिक्षा से प्रेरणा लेने और एक बेहतर इंसान बनने का संदेश देता है। चेहल्लुम इमाम हुसैन और कर्बला के शहीदों को श्रद्धांजलि देने का अवसर है, जिन्होंने न्याय, समानता और सत्य के लिए अपना बलिदान दिया था। फ़ोटो- 25 अगस्त भभुआ -03 कैप्शन- भभुआ शहर के राजेन्द्र सरोवर के पास स्थित मजार
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