बोले बेगूसराय: रेल कामगारों को मिले पेयजल और शौचालय की सुविधा
भारतीय रेलवे के कर्मचारी, जैसे ट्रैकमैन, लोको पायलट और इंजीनियर, कठिन परिस्थितियों में काम करते हैं लेकिन उन्हें बुनियादी सुविधाएं और समय पर वेतन नहीं मिलता। उनकी प्रमुख मांगें ओल्ड पेंशन स्कीम की...
भारतीय रेलवे की ताकत उसके कर्मचारी हैं-ट्रैकमैन, लोको पायलट और इंजीनियरिंग विभाग के कर्मचारी-जो कठिन परिस्थितियों में भी अपनी जिम्मेदारियां निभाते हैं। लेकिन बदले में उन्हें बुनियादी सुविधाएं, सुरक्षित कार्यस्थल और समय पर वेतन लाभ तक नहीं मिलते। ट्रैकमैन जोखिम भरे हालात में काम करते हैं, लोको पायलट लंबी शिफ्ट में बिना जरूरी सुविधाओं के ट्रेन चलाते हैं। इंजीनियरिंग कर्मचारी संसाधनों की कमी से जूझते हैं। उनकी प्रमुख मांगें हैं-बकाया डीए भत्ते का शीघ्र भुगतान, ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली और वेतन-सुविधाओं में सुधार, ताकि वे बेहतरी से अपना कर्तव्य निभा सकें। भारतीय रेलवे की नींव कहे जाने वाले लाखों कर्मचारी दिन-रात अपनी मेहनत से इस विशाल नेटवर्क को सुचारू रूप से चलाने में लगे रहते हैं। चाहे चिलचिलाती धूप हो, मूसलाधार बारिश हो या कड़ाके की ठंड, ये कर्मचारी हर परिस्थिति में अपना कर्तव्य निभाते हैं। मगर अफसोस की बात यह है कि रेलवे की सफलता में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होने के बावजूद इन्हें बुनियादी सुविधाएं तक नसीब नहीं होती।
ईस्ट सेंट्रल रेलवे इम्प्लॉयज यूनियन के जोनल उपाध्यक्ष घनश्याम पासवान कहते है कि ट्रैकमैन,लोको पायलट और इंजीनियरिंग विभाग सहित अन्य कर्मचारी रेलवे के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ हैं, लेकिन इनकी समस्याओं को हमेशा नजरअंदाज किया जाता रहा है। ट्रैकमैन की स्थिति सबसे दयनीय है। ये वे कर्मचारी हैं जो दिन-रात पटरियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कठिन परिस्थितियों में काम करते हैं। भीषण गर्मी, सर्दी हो या बरसात ये कर्मचारी बिना रुके ट्रैक पर काम करते हैं। पानी जैसी बुनियादी सुविधा तक इन्हें उपलब्ध नहीं होती। भूख लगने पर पटरी किनारे ही गंदगी में बैठकर खाना खाना पड़ता हैं। इसके अलावा रेलवे द्वारा मिलने वाले उपकरण भी अधिकारियों के भ्रष्टाचार के भेट चढ़ जाती है। रेलवे द्वारा ट्रैकमैन को साल में दो जोड़ी जूते दिए जाने का प्रावधान है, लेकिन भ्रष्टाचार के चलते ये जूते अक्सर उन तक पहुंचते ही नहीं। रेलवे प्रशासन को चाहिए कि इस तरह की अनियमितताओं पर सख्त कार्रवाई करे और सुनिश्चित करे कि ट्रैकमैन को उनके अधिकार मिलें। ट्रैकमैन को 42 सौ पे ग्रेड तक प्रमोशन दिया जाएं। इसके अलावा, ट्रैकमैन को प्रतिदिन 12 किलोमीटर तक की पेट्रोलिंग करनी पड़ती है, जो कि एक व्यक्ति के लिए अत्यधिक थकाने वाला कार्य है। इसे घटाकर 8 किलोमीटर किया जाना चाहिए ताकि वे बेहतर तरीके से अपने कार्यों का निर्वहन कर सकें। कई बार रात में ट्रैक की पेट्रोलिंग के दौरान पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था नहीं होती, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है। रेलवे को चाहिए कि हर ट्रैकमैन को पर्याप्त रोशनी वाले उपकरण और सुरक्षा जैकेट उपलब्ध कराए ताकि वे सुरक्षित रहकर अपना कार्य कर सकें। वहीं लोको पायलटों को लगातार 10-12 घंटे तक बिना रुके ट्रेन चलानी पड़ती है, और इस दौरान उन्हें यूरिनल की कोई सुविधा तक नहीं मिलती। मजबूरी में कई बार उन्हें असुविधाजनक तरीकों से इस समस्या का हल निकालना पड़ता है। यह आश्चर्य की बात है कि जहां हवाई जहाज के पायलटों को हर प्रकार की सुविधा दी जाती है, वहीं लोको पायलटों को बुनियादी जरूरतों से भी वंचित रखा गया है। रेलवे प्रशासन को चाहिए कि प्रत्येक इंजन में यूरिनल की उचित व्यवस्था की जाए ताकि लोको पायलट अपने कर्तव्य का निर्वहन बिना किसी असुविधा के कर सकें। इसके अलावा, लंबे समय तक लगातार काम करने के कारण लोको पायलटों को अत्यधिक मानसिक तनाव झेलना पड़ता है। जो दुर्घटनाओं की बड़ी वजहों में से एक होती है। रेलवे को यह तय करना चाहिए किसी भी कर्मचारी से 8 घंटे से अधिक कार्य नहीं लिया जाए।ताकि यह कर्मचारी अपनी जिम्मेदारियों को बेहतर तरीके से निभा सकें। इंजीनियरिंग विभाग रेलवे का आधारभूत ढाँचा संभालने का कार्य करता है। रेलवे कोच की मरम्मत, पटरियों की देखरेख, नए ट्रैक बिछाने से लेकर संरचनात्मक विकास तक, इस विभाग के कर्मचारियों पर अनेक जिम्मेदारियां होती हैं। लेकिन सुविधाओं के नाम पर इन्हें कुछ भी नहीं मिलता। आवश्यक टूल्स और सुरक्षा उपकरण भी दोयम दर्जे के मिलते हैं। जिससे कई बार घटनाए घटित हो जाती हैं। इस विभाग में मेंटेनेंस के कार्य में ठेका प्रणाली के कारण ठेकेदारों की मनमानी चलती है। रेलवे के अंदर ठेकाकरण पर रोक लगनी चाहिए। इंजीनियरिंग विभाग के कर्मचारियों को आधुनिक उपकरण और प्रशिक्षण प्रदान किए जाने चाहिए ताकि वे अपनी दक्षता को और बढ़ा सकें। इसके अलावा, रेलवे कर्मचारियों की पदोन्नति की प्रक्रिया में भी पारदर्शिता लाने की आवश्यकता है। वर्षों तक मेहनत करने के बावजूद कई कर्मचारियों को उनके अधिकार नहीं मिलते और वरिष्ठता के बावजूद पदोन्नति से वंचित रखा जाता है। रेलवे को चाहिए कि वह निष्पक्ष और पारदर्शी पदोन्नति प्रणाली लागू करे ताकि कर्मचारियों को उनकी मेहनत का सही प्रतिफल मिल सके। लॉर्ड डिवीजन कंबाइन एग्जामिनेशन में भाग लेने के लिए सभी कर्मचारों को समान मौका मिले एवं 18 महीने से बकाया डीए भत्ता का अविलंब भुगतान किया जाए इसके अलावा, दुर्घटना होने की स्थिति में कर्मचारियों के लिए आपातकालीन चिकित्सा सुविधाएं और बीमा योजनाएं और अधिक प्रभावी बनाई जानी चाहिए ताकि वे मानसिक रूप से सुरक्षित महसूस कर सकें। भारतीय रेलवे की धड़कन माने जाने वाले लोको पायलट, ट्रैकमैन और इंजीनियरिंग विभाग के कर्मचारियों की समस्याओं को हल करना न केवल आवश्यक है, बल्कि अनिवार्य भी है।
मेहनतकश कर्मचारियों को मिले एक सुरक्षित भविष्य
ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन (एक्टू) के जिला प्रभारी चंद्रदेव वर्मा ने कहा कि रेलवे प्रशासन को चाहिए कि वह कर्मचारियों की इन समस्याओं को गंभीरता से ले और उनके कार्यस्थल को अधिक सुरक्षित और सुविधाजनक बनाए। अंततः, भारतीय रेलवे की सफलता इन्हीं मेहनतकश कर्मचारियों की बदौलत है, और जब तक इनकी समस्याओं का समाधान नहीं होगा, तब तक रेलवे का भविष्य सुरक्षित नहीं हो सकता। इसी के साथ, ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली भी रेलवे कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। इसके कारण सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारियों को पर्याप्त पेंशन नहीं मिल पाती, जिससे उनका आर्थिक भविष्य असुरक्षित हो जाता है। रेलवे के हजारों कर्मचारी वर्षों तक सेवा देने के बाद भी अपनी वृद्धावस्था में वित्तीय संकट का सामना करने को मजबूर हो जाते हैं। ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) के अंतर्गत कर्मचारियों को निश्चित पेंशन दी जाती थी, जिससे उन्हें आर्थिक सुरक्षा मिलती थी। रेलवे प्रशासन को चाहिए कि कर्मचारियों के हित में ओल्ड पेंशन स्कीम को फिर से लागू करे ताकि वे निश्चिंत होकर अपना कार्य कर सकें। जब तक ओल्ड पेंशन स्कीम बहाल नहीं होती, तब तक रेलवे कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर अनिश्चितता और चिंता में रहेंगे, जो उनकी कार्यक्षमता को भी प्रभावित करता है। यदि सरकार वाकई में रेलवे कर्मचारियों के कल्याण के प्रति गंभीर है, तो उसे ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल कर इन मेहनतकश कर्मचारियों को एक सुरक्षित भविष्य देना चाहिए, क्योंकि रेलवे की मजबूती तभी संभव है जब इसके कर्मचारी भी सुरक्षित और संतुष्ट हो।
सुझाव
ट्रैकमैन और लोको पायलट के लिए पानी, शौचालय और सुरक्षा उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित हो।
ट्रैकमैन की पेट्रोलिंग सीमा 8 किमी की जाए और लोको पायलट की ड्यूटी 8 घंटे से अधिक न हो।
कर्मचारियों को समय पर वेतन और भत्ते मिलें ताकि वे आर्थिक रूप से सुरक्षित रहें।
संसाधनों के दुरुपयोग और ठेकेदारी व्यवस्था पर रोक लगाकर पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।
कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए ओपीएस बहाल की जाए, जिससे उन्हें आर्थिक स्थिरता मिले।
शिकायत
पटरियों पर कम करने वाले ट्रैकमैन को पानी, शौचालय और सुरक्षा उपकरण जैसी जरूरी सुविधाएं नहीं मिलती।
ट्रैकमैन को रोज़ 12 किमी गश्त करनी पड़ती है, जबकि लोको पायलट 10-12 घंटे बिना ब्रेक के ट्रेन चलाते हैं।
बकाया डीए भत्ते का भुगतान समय पर नहीं होता, जिससे कर्मचारियों को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
सुरक्षा उपकरण और अन्य संसाधन भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाते हैं, जिससे कर्मचारियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
नई पेंशन योजना कर्मचारियों के लिए असुरक्षित है, जिससे सेवानिवृत्ति के बाद उनका भविष्य अनिश्चित बना रहता है।
उभरा दर्द
रेलवे को कर्मचारियों की मेहनत का सम्मान करना चाहिए और उन्हें बेहतर वेतन, भत्ते और सुविधाए देनी चाहिए ताकि हर रेलवे कर्मचारी निश्चिंत होकर बेहतर प्रदर्शन कर सकें।
-घनश्याम पासवान, जोनल उपाध्यक्ष, ईसीआरईयू
इन्ट्रा म्युचल ट्रान्सफर बंद है। हजारों आवेदन सोनपुर मंडल के फाइल में घूल फांक रहा है। दो जोड़ी जूता ट्रैकमैंन को देने का प्रावधान है लेकिन भ्रष्ट अधिकारी इसे गायब कर देते हैं।
-दिव्यांशु झा, शाखा मंत्री ईसीआरईयू, बरौनी
रेलवे कर्मचारियों के मांगों पर सरकार को विचार करना चाहिए। कठिन परिस्थितियों में भी अपनी जिम्मेदारियां निभाते हैं। लेकिन बदले में उन्हें बुनियादी सुविधाएं, सुरक्षित कार्यस्थल और समय पर वेतन तक नहीं मिलता।
-चंद्रदेव वर्मा, जिला प्रभारी , एक्टू
लोको पायलट को 10 से 12 घंटे लगातार काम करना पड़ता है। लोको पायलट के लिए 8 घंटे की ड्यूटी की गारंटी की जाए।
-मदन लाल कुमार, लोको पायलेट
पुरानी पेंशन योजना लागू की जानी चाहिए। जीवन भर रेलवे में सेवा देने के बाद रिटायरमेंट के बाद सम्मानजनक जीवन जीने के लिए यह बहुत जरूरी है।
-लाल कुमार, लोको पायलेट
ट्रैकमैन को 12 किलोमीटर तक पटरी का निरीक्षण करना पड़ता है। जो बहुत लंबा और कष्टदायक होता है 8 किलोमीटर से अधिक के पेट्रोलिंग पर रोक लगे।
-विनीत चन्द्र झा, ट्रैकमैन
ट्रांसफर पोस्टिंग की नीति को सरल बाने की आवश्कता है।एवं कर्मचारियों के अधिकारों को सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
-मुकेश कुमार यादव, लोको पायलट
रेलवे क्वार्टर स्टेशन के 3 किलोमीटर के अंदर होना चाहिए रात को ड्यूटी करके घर लौटते वक्त चोर और बदमाशों का खतरा लगा रहता है।
-शशि भूषण, लोको पायलट
हमारे लिए पीने के पानी और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं। प्रशासन को जल्द से जल्द इन मुद्दों का समाधान करना चाहिए।
-अवधेश कुमार चौधरी, ट्रैकमैन
गर्मी में लंबी सफर के दौरान इंजन में यूरिनल का इंतजाम नहीं होने से काफी कठिनाई होती है। स्टॉपेज तक पेशाब रोक के रखना कई बार पीड़ादायक होता है।
-राहुल राय,सहायक लोको पायलट
सभी कार्यालय में शौचालय होना चाहिए काम के दौरान दूसरे जगह जाने में काफी परेशानी होती है। काउंटर पर पैसेंजरों की भीड़ भी बढ़ जाती है।
-रजनी कुमारी, टिकट क्लर्क
म्युचुअल ट्रांसफर की बहुत जरूरत है। लंबे समय से म्युचुअल ट्रांसफर बंद है। किस बड़ी संख्या में कर्मचारी प्रभावित हो रहे हैं। रेलवे कर्मचारियों के भी परिवार होते हैं।
-राधे कुमार मंडल, ट्रैकमैन
लगातार सेफ्टी के साथ खिलवाड़ हो रहा है मेंटेनेंस के काम में ठेकेदारी व्यवस्था आने के बाद ढंग से काम नहीं होता है। क्रेन का काम नहीं करने की शिकायत आती है।
-जितेंद्र कुमार आजाद, टेक्नीशियन
10-12 घंटे तक लगातार ड्यूटी करना मानसिक और शारीरिक रूप से बहुत थकाने वाला होता है। ड्यूटी 8 घंटे की होनी चाहिए ताकि हम सतर्क रह सकें।
-अमोल कुमार,इंजीनियर डिपार्मेंट
हमें उच्च गुणवत्ता वाले उपकरण और सुरक्षा साधन उपलब्ध कराए जाने चाहिए, ताकि हम सुरक्षित रहकर बेहतर तरीके से कार्य कर सकें।
-विपुल कुमार, इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट
जगह-जगह ट्रैकमैन को आराम करने और खाने-पीने की जगह की व्यवस्था होनी चाहिए ट्रैक किनारे भोजन करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
-चंद्रकांत झा, ट्रैक मेन
ट्रैकमैन के बिना रेलवे अधूरा है। ट्रैकमैन के प्रमोशन ग्रेड को 4200 पे ग्रेड तक बढ़ाना चाहिए ताकि हमें भी करियर ग्रोथ मिल सके और हम एक बेहतर जीवन जी सके।
-बंटी महतो, ट्रैकमैन
मेंटेनेंस का कार्य ठेकेदारों के भरोसे नहीं छोड़ा जाना चाहिए। ठेका प्रणाली पर रोक लगनी चाहिए ताकि कार्य गुणवत्ता में सुधार हो।
-दिगम्बर पासवान, इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट
वरिष्ठ कर्मचारियों को उनकी योग्यता के अनुसार प्रमोशन मिलना चाहिए, न कि सिफारिश के आधार पर। रेलवे को इस पर विचार करना चाहिए।
-कृष्ण कांत , इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट
कोच की मरम्मत, पटरियों की देखरेख, नए ट्रैक बिछाने से लेकर संरचनात्मक विकास तक हम कर्मचारियों पर अनेक जिम्मेदारियां होती हैं। लेकिन सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं मिलता।
-भीखारी राम, इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट
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