बौधू सिंह उच्चतर माध्यमिक विद्यालय परिसर बना है जानवरों का चरागाह
नावकोठी के बौधू सिंह उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की चहारदीवारी अधूरी है, जिससे स्कूल परिसर में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा हो रहा है। 2018 में चहारदीवारी का निर्माण शुरू हुआ था, लेकिन रास्ते के विवाद के...
नावकोठी,निज संवाददाता। एक ओर विद्यालयों को चहारदीवारी, भव्य द्वार, आकर्षक रंगों से सुसज्जित करने का अभियान चलाया गया है। इसके कारण विद्यालय आकर्षक और परिसर सुन्दर लगने लगा है और सरकारी स्कूल अब निजी विद्यालय को भी मात दे रहा है। वहीं, बौधू सिंह उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पहसारा वभनगामा में चढ़े न दूजा रंग वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। यहां चहारदीवारी आधी अधूरी पड़ी है। मंझौल-बखरी पथ किनारे अवस्थित यह विद्यालय चहारदीवारी के अभाव में उजड़ा उपवन बना हुआ है। आकर्षक विद्यालय परिसर के लिए किया गया प्रयास पिछले पांच वर्षों से अधर में लटका हुआ है। चहारदीवारी तो पिछले 2018 में बनना शुरू हुआ किन्तु आज तक पूरा नहीं हो पाया। पश्चिम तरफ यह नहीं बन सका है। वहीं पूरब में भी अधूरा पड़ा है। गेट भी नहीं बन पाया है। इससे स्कूल परिसर जानवरों का चारागाह बना हुआ है। विद्यालय अवधि में भी गाय, भैंस, बकरी इस परिसर में स्वच्छंद विचरण करती रहती हैं। इतना ही नहीं, यह कभी खेल का मैदान तो कभी खानाबदोश लोगों का आश्रयस्थल बना रहता है। इस स्कूल का अपना खेल मैदान भी है किन्तु वहां युवक खेलते नहीं है। इसी शैक्षणिक परिसर को ही खेल का मैदान बनाये रखते हैं। विडम्बना यह है कि स्कूल में हो रही पढ़ाई के वक्त भी खेल शुरु हो जाता है। शिक्षक मूकदर्शक बने रहते हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि इस विद्यालय की चहारदीवारी निर्माण का शिलान्यास जिला पार्षद इंदु देवी ने दिनांक 24/03/2018 को किया था। मनरेगा योजना से लगभग 39.30 लाख रुपये की लागत से सोलह सौ फीट चहारदीवारी बननी थी। कार्य शुरु भी हुआ। कुछ दूर तक चहारदीवारी भी बनी। फिर रास्ते के विवाद को लेकर कार्य अवरुद्ध हो गया। ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल के पीछे बसे लोग विद्यालय की जमीन होकर रास्ता की मांग कर रहे हैं। रास्ता नहीं मिलने के कारण कार्य अवरुद्ध है। इसी विवाद को लेकर अभी तक कार्य पूरा नहीं हो पाया है। ग्रामीणों का कहना है कि स्कूल प्रशासन रास्ता दे जबकि स्कूल की ओर से सरकारी जमीन देने में बाध्यता की बात कही गयी। किसी प्रकार से तीन फीट रास्ता देने की बात हुई। इस गतिरोध को दूर करने के लिए 14 सितंबर 2020 को ग्रामीणों, जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक अधिकारियों और स्कूल प्रबंधन की बैठक हुई। दस सदस्यीय कमेटी बनी। ग्रामीणों में एक सुझाव बना कि स्कूल के पीछे चार बीघे जमीन में खेल मैदान है। खेल मैदान तक जाने के लिए पांच फीट का रास्ता मिल जाय तो इधर भी रास्ते की समस्या हल हो जाएगी। दस दिनों में यह समस्या सुलझाने पर भी चर्चा हुई किन्तु दस दिन के बदले लगभग चार वर्ष बीत गये और काम शुरू नहीं हो सका। पहसारा पश्चिम के पूर्व मुखिया रवीन्द्र सिंह, युवा लोजपा नेता घनश्याम कुमार,जदयू के प्रखंड अध्यक्ष मुकेश कुमार ने बताया कि चहारदीवारी के बिना स्कूल मैदान में असामाजिक तत्वों का भी जमावड़ा होता है। मैदान में गाय-भैंस का गोबर जमा रहता है। मैदान में वन विभाग के द्वारा लगाये गये 100 पौधे को भी असामाजिक तत्त्वों ने उखाड़ कर फेंक दिया। इधर, प्रभारी प्रधानाध्यापिका अभिनव प्रिया ने बताया कि प्रबंधकारिणी समिति द्वारा भी चहारदीवारी के लिए पहल की जा रही है।
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