कावर परिक्षेत्र में सर्वे के खिलाफ सड़क पर उतरे किसान, रोड जाम
लीड... बंद के क्रम में सत्यारा चौक, नित्यानंद चौक एवं पुस्तकालय चौक पर लगभग 3-4 घंटे रोड जाम किया गया। कि
मंझौल, एक संवाददाता। कावर किसान महापंचायत के बेनर तले सोमवार को पूर्व घोषित मंझौल अनुमंडल समेत संपूर्ण कावर परिक्षेत्र में कांवर जीवी संघर्ष समिति के आह्वान पर पूर्ण बंद का आयोजन किया गया। बंद के क्रम में सत्यारा चौक, नित्यानंद चौक एवं पुस्तकालय चौक पर लगभग 3-4 घंटे रोड जाम किया गया। किसानों के द्वारा आहुत बंद को देखते हुए प्रशासन के द्वारा काफी संख्या में महिला, पुरुष पुलिसकर्मियों एवं पुलिस पदाधिकारियों की तैनाती की गई थी। किसानों ने शांतिपूर्वक रोड पर धरना दिया। किसानों के इस आंदोलन को विभिन्न वर्गों का समर्थन मिला। 8:30 बजे सुबह से लगभग 12 बजे दिन तक बेगूसराय-रोसड़ा स्टेट हाईवे समेत मंझौल-बखरी पथ एवं मंझौल-हसनपुर पथ पर अवरोध खड़ाकर किसान समूहों के द्वारा यातायात बाधित किया गया। बंद शांतिपूर्ण एवं सफल रहा। इस क्रम में मंझौल बाजार पूरी तरह बंद रहा। व्यावसायिक संघ मंझौल के अध्यक्ष अनिल साह ने बताया कि कृषि प्रधान क्षेत्र रहने के कारण उनका रोजगार पूरी तरह से किसान एवं मजदूरों पर ही निर्भर करता है। किसान आर्थिक रूप से अगर सशक्त रहेंगे तो उनका रोजगार भी फले फूलेगा। किसानों के इस आंदोलन में व्यवसायी एवं दुकानदारों का भी समर्थन रहा। मंझौल बाजार ही नहीं कई जगहों पर किसानों, मजदूरों, युवाओं ने इस आंदोलन में उत्साह पूर्वक भाग लिया। कावर परिक्षेत्र के किसानों के इस आंदोलन का असर संपूर्ण बेगूसराय जिला पर पड़ा। मांगों के समर्थन में आठ बजे ही किया रोड जाम सुबह 8 बजे से ही किसानों का जमघट जगह-जगह चौक चौराहे पर होते चला गया। मंझौल गांधी चौक पर सैकड़ों की संख्या में किसान इकठ्ठा हो गए। लगभग 10 बजे मंझौल अनुमंडल पदाधिकारी एवं एसडीपीओ मंझौल की गाड़ी सिउरी, मध्य विद्यालय के सामने बंद सड़क को चालू करवाने में सफलता मिली। सबसे पहले जगदंबी पुस्तकालय मंझौल के निकट सड़क जाम कर दिया गया और लोगों से निवेदन पूर्वक किसानों के हित में बंद को सफल बनाने का आह्वान किया गया। प्रतिनिधिमंडल ने एसडीओ से बातजीत कर मुद्दे को रखा अनुमंडल पदाधिकारी के नेतृत्व में प्रशासनिक दल जब गांधी चौक मंझौल पहुंचा तो किसानों में उग्र प्रदर्शन को देख प्रशासन ने संयम का परिचय देते हुए किसान प्रतिनिधि मंडल को बातचीत के लिए आमंत्रित किया। किसानों का जोश पूर्ण नारा जारी रहा। 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल एसडीओ एवं डीएसपी से कावर के मुद्दे पर बातचीत की। किसान प्रतिनिधि मंडल के सदस्य मनोज भारती, संजीव कुमार,संतोष कुमार ईश्वर, पुनीत कुमार,अरूण कुमार, हरे राम सिंह, देव निरंजन, गोपाल कुमार,बिजय कुमार, राजकिशोर सिंह, इत्यादि के समझाने बुझाने के बाद 12 बजे आंदोलन को स्थगित करने का फैसला लिया गया। एसडीओ मंझौल प्रमोद कुमार ने बताया कि किसानों को कवर परिक्षेत्र के सर्वे से संबंधी कानूनी बिंदुओं को बताया गया। कावर क्षेत्र के किसानों को सर्वे के क्रम में अभियुक्ति कॉलम में नाम दर्ज करने का आश्वासन दिया गया। कानूनी तरीके से प्रशासन किसानों को सहयोग करेगा। कावर की समस्या पर सांसद गिरिराज सिंह ने डीएम बेगूसराय से बातचीत करने के बाद किसानों को साथ सकारात्मक सहयोग का आश्वासन दिया है। किसान प्रतिनिधि मंडल ने बताया कि दस सितंबर को को दिन के 11 बजे जगदंबी पुस्तकालय मंझौल पर पुनः बैठक होगी। जइसमें आंदोलन के स्वरूप और आगे के रणनीति पर चर्चा करेंगे जिसमें सभी इच्छुक किसान उपस्थित रहेंगे। किसानों की मांग रही है कि पक्षी आश्रयिणी क्षेत्र को कम किया जाए विदित हो कि वर्ष 1989 में सरकार के द्वारा कावर झील पक्षी आश्रयणी के लिए 6311.83 हेक्टेयर या 15780 एकड़ भूमि को अधिसूचित किया गया था। स्थानीय लोगों की पुरानी मांग थी कि पक्षी आश्रयिणी के क्षेत्रफल को कम करते हुए 3000 एकड़ किया जाए। किसानों ने अपनी इस मांग को राज्य सरकार के माध्यम से केंद्र सरकार को भेजा था। किसानों की मांग थी कि अधिक गहरी कावर झील के क्षेत्र को पक्षी अभयारण्य बनाया जाए तथा ऊपरी जमीन को डी नोटिफाई करते हुए किसानों को खेती के लिए सौंप दी जाए। किसानों का कहना है कि उनका घर द्वार,स्कूल आदि कावर पक्षी अभयारण्य के अधिसूचित क्षेत्र में आ गया है जो बिल्कुल व अव्यवहारिक एवं गैरकानूनी है। वर्ष 2013 में बेगूसराय के तत्कालीन डीएम ने कावर परिक्षेत्र के जमीन के खरीद बिक्री पर रोक लगा दी थी। डीएफओ बेगूसराय अभिषेक कुमार ने बताया कि पक्षी अभ्यारण के क्षेत्रफल को कम कर 3000 एकड़ करने के किसानों के मांग को केंद्र सरकार ने खारिज कर दिया है। अभी इस महीने वन प्रमंडल पदाधिकारी का पत्र आया है जिसमें रैयत को भू सर्वेक्षण में आवेदन करने से मना कर दिया गया जिससे किसान मर्माहत हैं। सर्वे के दौरान जमीन के कागजात लेने से किया मना वर्तमान में जारी सर्वे के क्रम में कावर परिक्षेत्र के किसान जब सर्वे कार्यालय पहुंचे तो सर्व पदाधिकारी ने उनके कागजात लेने से मना कर दिया और कहा कि वर्ष 1989 में पक्षी अभ्यारण के लिए अधिसूचित 15780 एकड़ जमीन के सर्वे में वन विभाग के नाम से बंदोबस्त करने का प्रशासनिक पत्र के द्वारा निर्देश दिया गया है। किसान आंदोलन का तात्कालिक कारण वन विभाग के नाम से कावर क्षेत्र के जमीन का सर्वे है। किसानों का कहना है कि कावर की जमीन उनके हाथ से चले जाने के बाद वह कंगाल हो जाएंगे और उन्हें रोजी-रोटी के लाले पड़ जाएंगे। बंदी से जनजीवन रहा अस्त-व्यस्त पूर्ण बंदी के कारण जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया। इस क्रम में मंझौल बाजार पूरी तरह बंद रहा। स्टेट हाईवे के दोनों तरफ गाड़ियों की लंबी कतार लग गई। यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। एम्बुलेंस,शव यात्रा एवं दूध के वाहन को बंद से मुक्त रखा गया। स्कूल एवं कार्यालयों में ड्यूटी करने वाले लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। तीन-चार घंटे के बंद के कारण संपूर्ण जिले में इसका असर पड़ा।
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