चार बच्चियेां की मौत से बेहरार गांव में पसरा है सन्नाटा
फॉलोअपफॉलोअप बेहरार गांव में मातम के बीच दूसरे दिन भी लोगों का नहीं जला चुल्हा गांव के बच्चे भी हैं सहमे हुए चान्दन ( बांका )। निज प्रतिनिधि गत
चान्दन ( बांका )। निज प्रतिनिधि गत मंगलवार सुबह आनंदपुर थाना क्षेत्र के बेहरार गांव में हुई एक दर्दनाक घटना ने पूरे गांव को शोक में डुबो दिया है। गांव के एक तालाब में डूबने से चार मासूम बच्चियों की मौत हो गई थी जबकि एक बच्ची प्रीति कुमारी की जान बच गई। इस घटना से पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है। घटना के दूसरे दिन बुधवार को बेहरार गांव की गलियां सुनसान दिख रही थी। चारो तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था। गांव में किसी भी घर में चुल्हा नहीं जला था। गांव की महिलाएं घर से बाहर निकलकर रास्ते को निहार रही थी। गांव के अधिकांश बच्चे सहमे हुए थे तथा कुछ भी बोल नहीं पा रहे थे। गांव का हर परिवार इस अकल्पनीय घटना से स्तब्ध है। मृतक पुनम कुमारी निभा कुमारी, ज्योति कुमारी एवं पुष्पा कुमारी के घर पर लोगों का आनाजाना लगा हुआ था। मालूम हो कि यह हादसा तब हुआ जब बच्चियां प्रकृति पर्व करमा पूजा के अवसर पर तालाब में स्नान करने गई जहां गहरे पानी में डुबने से चारों बच्चियों की मौत हो गई। तालाब का पानी गहरा होने के कारण बच्चियों को तैरना नहीं आया, और वे डूब गईं। गांव वालों को जब इस हादसे की जानकारी हुई तो उन्होंने तुरंत उन्हें बचाने का प्रयास किया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
चारों मृतक बच्चियों को एक साथ हुआ अंतिम संस्कार
बुधवार को इस दर्दनाक घटना के बाद श्मशान घाट पर मृतक चारों बच्चियों का एक साथ अंतिम संस्कार किया गया। गांव के लोग भारी मन से वहां जमा हुए थे, परंतु बच्चियों के पिता और परिवार के सदस्यों का दुख असहनीय था। पुनम के पिता शंकर यादव, निभा के पिता संजय यादव, ज्योति के मामा गोपाल यादव और पुष्पा के पिता बिनोद यादव अपनी बेटियों के शव से लिपटकर बिलख रहे थे। उनके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। परिजनों ने कहा कि कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि ऐसा दिन देखना पड़ेगा। गांव के लोग इस घटना को लेकर सदमे में हैं और प्रशासन से इस तालाब के चारों ओर सुरक्षा उपाय करने की मांग कर रहे हैं ताकि भविष्य में ऐसी दुखद घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
गांव में नहीं मनाया जाएगा कमरा पर्व
चार बच्चियों की मौत के बाद बेहरार गांव में करमा पर्व इस साल नहीं मनाया जाएगा। पर्व का उल्लास आज गम में तब्दील हो चुका है। ग्रामीणों का कहना है कि हर साल इस गांव में बच्चियों के बीच करमा पर्व को लेकर उल्लास रहता था। पर्व धूमधाम से मनाया जाता था। इस साल भी गांव की छोटी छोटी बच्चियेां के बीच करमा पर्व के लिए उल्लास था लेकिन मंगलवार की घटना ने सभी को झकझोड़ कर रख दिया है। ग्रामीण अपने बच्चों को तालाब व नदी तक में जाने से रोक रहे हैं।
गांव के बच्चे नहीं गए स्कूल
चार बच्चियेां की मौत के बाद बेहरार गांव के बच्चों को भी गहरा सदमा लगा है। चारों बच्चियों पास के स्कूल में पढती थी। इन हादसे के बाद बुधवार को बेहरार गांव के बच्चे स्कूल नहीं जा सके। गांव में रह तरफ मातम दिख रहा है।
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