श्रावणी मेला: कष्टों को सहजता से सहते हुए कांवरियों की यात्रा जारी
पेज चार की लीडपेज चार की लीड कटोरिया (बांका) निज प्रतिनिधि। श्रावणी मेला शिवभक्ति, आस्था व समर्पण का महाकुंभ है। पैदल कांवर यात्रा कर
कटोरिया (बांका) निज प्रतिनिधि। श्रावणी मेला शिवभक्ति, आस्था व समर्पण का महाकुंभ है। पैदल कांवर यात्रा कर बाबाधाम पहुंचने वाले शिवभक्तों का एक ही लक्ष्य है, बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक करना। इसके लिए देश के कोने-कोने से पहुंचे कांवरिया लगभग 108 किलोमीटर की कठिन पदयात्रा कर तमाम बाधाओं को पार करते हुए बाबानगरी पहुंच रहे हैं। कांवर मार्ग पर कोई छोटा-बड़ा नहीं सिर्फ बम है- बड़ा बम, छोटा बम, मोटा बम, माता बम। न अमीर-न गरीब, न ऊंच न नीच, बस बम शंकर के भक्त बम, बोल बम। श्रावणी मेला का दो तिहाई समय पूरा हो चुका है। लेकिन कांवरिया पथ में कांवरियों की भीड़ में कोई कमी नहीं आई है। शुक्रवार को यात्रा कर रहे कांवरियों को आसमान में घिरे बादलों से राहत मिली। दिन भर मौसम में नरमी बनी रही। कभी कभार बारिश की बूंदों ने भी कांवरियों को भिंगाया। कांवरिया पथ पर कांवरियों के रैला का चलना अनवरत जारी है। बोल बम-बोल बम, हर हर महादेव का नारा लगाते हुए सभी अपनी यात्रा में तल्लीन दिख रहे हैं। इस विश्व प्रसिद्ध मेले में सेवा व मानवता की अनोखी मिशाल देखने को मिल रही है। कांवरिया पथ में इन कांवरियों की सेवा के लिए सैकडों किलोमीटर दूर से आकर स्वयं सेवी संस्था वाले लोग आकर कांवरियों की सेवा कर रहे हैं। इन शिविर वालों द्वारा कांवरियों की हर सुविधा का ख्याल रखा जा रहा है। इन कारसेवकों द्वारा भोजन, विश्राम, चिकित्सा, स्वच्छ पेयजल तथा शौचालय की व्यवस्था करना सब बाबा भोले नाथ की आस्था का रूप है। एक तरफ निजी सेवा शिविर वाले दूर -दराज से आकर इस रास्ते में कांवरियों की सेवा कर पुण्य बटोर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ श्रावणी मेला हजारों गरीबों एवं व्यवसायियों के लिए आजीविका का एक बहुत बड़ा साधन बना हुआ है।
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