चौथी सोमवारी पर डाक कांवर चढ़ाने वाले डाक कांवरियों का उमड़ा सैलाब
बेलहर(बांका)/ निज प्रतिनिधिबेलहर(बांका)/ निज प्रतिनिधि सावन की चौथी सोमवारी पर बाबा धाम में डाक कांवर चढ़ाने वाले डाक कांवरियों का रविवार की शाम
बेलहर(बांका)/ निज प्रतिनिधि सावन की चौथी सोमवारी पर बाबा धाम में डाक कांवर चढ़ाने वाले डाक कांवरियों का रविवार की शाम कांवरिया पथ धौरी से जिलेबिया मोड़ तक डाक कांवरियों की बाद आ गई। दूसरी तरफ पक्की मार्ग पर कांवरिया वाहनों के सैलाब से दो दो किलो मीटर तक जाम की स्थिति उत्पन्न हो गई। बता दें की ज्यों ज्यों सावन बीतने लगा है त्यों त्यों अन्य कांवरियों के साथ साथ डाक कांवरियों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी है। एक पेंट, एक गंजी, कमर में गमछा, पीठ पर गंगा जल, एक हाथ में लाठी और दूसरे हाथ में टॉर्च माथे पर बोलबम की पट्टी बस यही है डाक कांवरियों का स्वरूप। हालाकि सुलतानगंज से गंगाजल भरने के पहले ही डाक कांवरिया अपनी गंजी पर डाक कांवरिया शब्द छपा लेते हैं। डाक कांवरियों की यही खासियत है की सुलतानगंज में संकल्प लेने के बाद जब चलते हैं तो वे बाबा भोले नाथ को जल चढ़ाकर ही विराम लेते हैं। इस बीच किसी भी कारण बस रुक जाने से विराम ले लेने से डाक कांवरिया का संकल्प टूट जाता है और वे वहां से सामान्य कांवरिया बन जाते हैं। खास बात यह की डाक कांवरियों में अब महिलाओं और लड़कियों की भी भागीदारी बढ़ने लगी है। डाक कांवरियों के बीच सबसे पहले बाबा दरबार पहुंचने की होड़ लगी रहती है। जिस कारण कोई 16 घंटे में भी जल चढ़ा देते हैं। जबकि कुछ हर साल डाक कांवर लेकर एक सीमित चाल में 20 - 22 घंटे में बाबा धाम पहुंचकर भोले नाथ को जल अर्पण करते हैं। भोले नाथ के प्रति अटूट श्रद्धा रखने वाले हजारों डाक कांवरिया ऐसे हैं जो डाक कांवर लेकर बाबा धाम देवघर जाने के बदले कैलाश नाथ धाम एयर अन्य प्रसिद्ध शिवालयों में डाक कांवर लेकर पहुंचकर भोले को जल अर्पित करते हैं। डाक कांवरियों की सेवा पूरे 105 किलो मीटर के कांवरिया पथ में हर जगह विभिन्न प्रकार के स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा की जाती है। जिनके सदस्य पाठ से गुजर रहे डाक कांवरियों को फल, शरबत, नींबू पानी, गरम पानी, ठंडा पानी, चाय आदि देते हैं। डाक कांवरिया खाते पीते दौड़ते बाबा धाम पहुंचकर बाबा भोले नाथ को जल अर्पित करते हैं।
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