Hindi Newsबिहार न्यूज़बांकाCenturies-Old Tradition Durga Puja in Amarpur Celebrated with Devotion

अमरपुर दुर्गा स्थान में एक सौ वर्षों से हो रही है वैष्णवी दुर्गा की पूजा

अमरपुर (बांका)| निज संवाददाताअमरपुर (बांका)| निज संवाददाता अमरपुर शहर के बड़ी दुर्गा स्थान में एक सौ वर्षों से ज्यादा समय से मां दुर्गा की पूजा अर्चना

Newswrap हिन्दुस्तान, बांकाMon, 7 Oct 2024 01:28 AM
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अमरपुर (बांका)| निज संवाददाता अमरपुर शहर के बड़ी दुर्गा स्थान में एक सौ वर्षों से ज्यादा समय से मां दुर्गा की पूजा अर्चना की जा रही है। अमरपुर कजरैली पथ पर अवस्थित दुर्गा मंदिर की ख्याति दूर दूर तक फैली हुई है। मान्यता है कि सच्चे मन से जो भी मां दुर्गा के दरबार में आते हैं मां उनकी मनोकामना अवश्य पूर्ण करतीं हैं। अमरपुर के पूर्व सरपंच हरेंद्र साह ने बताया कि शहर में दुर्गा पूजा की शुरुआत भूषण साह रंगढरा ने की थी तथा वह मेढ़पति भी बने। उन्होंने बताया कि दुर्गा पूजा में वह बिना किसी से चंदा लिए ही पूजा करते थे। इसके बाद उनके आने वाली पीढ़ी ने इस भार को संभाला। मेढपति भूषण साह रंगढरा के पौत्र कैलाश साह बताते हैं कि उनके दादा ने पूजा की शुरुआत की, वह खुद मूर्तिकार थे तो मां दुर्गा एवं अन्य देवी देवताओं की छोटी छोटी प्रतिमा भी खुद ही बनाते थे। उनके निधन के बाद उनके पुत्र लक्ष्मी साह ने मेढ़पति का भार संभाला। कई वर्षों तक मां दुर्गा की पूजा अर्चना करते रहे। अभी लक्ष्मी साह के पुत्र कैलाश साह मेढपति हैं तथा मां दुर्गा की पूजा करते हैं। कैलाश साह ने बताया कि शुरुआत में उनके दादा खुद ही मूर्तियां बनाते थे। लेकिन करीब पचास वर्ष से ज्यादा समय से शहर के ही प्रसिद्ध मूर्तिकार जगदीश कसेरा ने बड़ी दुर्गा स्थान की मूर्तियों का निर्माण शुरू किया। उनके बाद उनके पुत्र सुबल कसेरा तथा अरविंद कसेरा ने मूर्तियों को बनाने की परंपरा जारी रखी। अभी अरविंद कसेरा ही बड़ी दुर्गा स्थान में मूर्ति बना रहे हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि अमरपुर के बड़ी दुर्गा मंदिर में शुरू से ही वैष्णव विधि से पूजा की जाती है। पहले मंदिर एक झोपड़ीनुमा घर में था लेकिन अब भव्य मंदिर निर्माण कराया जा रहा है। दुर्गा मंदिर में पूजा के दौरान सर्व मंगल मांगल्ये का अखंड पाठ होता है तथा शाम में भव्य संध्या महाआरती की जाती है जिसमें शहर के सभी लोग मौजूद रहते हैं। सबसे आकर्षक होता है अमरपुर की दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन। शहर एवं आसपास के बच्चे, बड़े, बूढ़े एवं महिलाएं इस विसर्जन यात्रा में शामिल होते हैं। विसर्जन यात्रा सुबह में दुर्गा मंदिर से निकल कर पूरे शहर का भ्रमण करते हुए दोपहर बाद चंसार पोखर पंहुचती है जहां प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। प्रतिमा विसर्जन के बाद विसर्जन यात्रा में शामिल सभी श्रद्धालुओं को हलवा एवं खिचड़ी प्रसाद दिया जाता है। अमरपुर के दोनों ही दुर्गा मंदिर में श्रद्धा एवं भक्ति से पूजा की जाती है।

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