फैशन शो में दिखा भोजपुरी संस्कृति का जलवा
बेतिया में भोजपुरी कला उत्सव के दूसरे दिन एक फैशन शो का आयोजन हुआ। इसमें युवाओं और बच्चों ने छठ पूजा को लेकर पारंपरिक वेशभूषा में रैंप पर कैटवॉक किया। कार्यक्रम का उद्देश्य भारतीय सभ्यता और संस्कृति...
बेतिया, बेतिया कार्यालय। भोजपुरी कला उत्सव के दूसरे दिन रविववार को सिंघिया छापर स्थित एक विवाह भवन में विभिन्न प्रकार की वेशभूषा बनाएं युवक युवतियों और बच्चों का फैशन शो में जलवा देखने को मिला। लड़कियों द्वारा छठ पूजा को लेकर फैशन शो निकाल गया। इसमें बिहार और भोजपुरी भाषा से जुड़े साहित्य और संस्कृति को दिखाया गया। वही साहित्य उत्सव में बनाए गए रैंप पर कैटवॉक करती हुई लड़कियों ने अश्लीलता और फुहड़ता को छोड़ भारतीय सभ्यता संस्कृति की झलकी को दिखाया। भोजपुरी भूषाचार में पारंपरिक परिधान में राज्य भर से आए प्रतिभागियों ने अपनी वेशभूषा का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम के संयोजक अंबुज अनुपम ने बताया कि इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए बिहार के भोजपुरी भाषी जिलों से कई प्रतिभागी आए थे। उन्होंने बताया कि फैशन शो आधुनिकता का परिचायक हैं। संस्कार भारती के प्रदेश संगठन मंत्री वेद प्रकाश ने कहा कि संस्कार भारती का उद्देश्य यही है कि कला के माध्यम से समाज को कैसे जागृत किया जाए। फैशन शो पश्चिमी सभ्यता की देन है लेकिन उसको अपने अनुसार ढाल लेना हमें आता है।प्रसिद्ध लोक गायक भरत शर्मा व्यास ने प्रतिभागियों में प्रथम आयी राधा झा और द्वितीय आई सलोनी सिन्हा को सम्मानित किया। मौके पर बिहार विश्वविद्यालय के भोजपुरी विभागाध्यक्ष जयकांत सिंह जय, केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के प्रोफेसर डॉ परमात्मा कुमार मिश्रा, जानेमाने साहित्यकार साकेत बिहारी शर्मा, अंजनी कुमार सिन्हा कार्यक्रम के अध्यक्ष ज्ञानेंद्र शरण, अरविंद मिश्रा आदि थे।
धन्य भूमि हऽ चंपारण के....
कला उत्सव के पहले दिन रात्रि में धन्य भूमि हऽ चंपारण के... गीत गाया तो लोग वाह वाह कर उठे। चंदन तिवारी द्वारा गीत पर लोग झूमने को विवश हो गए। पहले दिन के अंतिम सत्र में सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान दर्जनों प्रतिभागियों ने अपनी प्रस्तुति दी। लोगगायिका चंदन तिवारी, सरिता साज और शिवांगी पाठक 'जूही' भी उपस्थित रहीं, जिन्होंने अपने लोकगीतों से सबको तालियां बजाने पर विवश कर दिया। गोदवा लऽ हो गोदनवा गाकर कार्यक्रम में समा बांध दिया। वही आठ वर्षीय कलाकार प्रज्ञान भारद्वाज ने चंपारण के गीतकार सुशांत शर्मा द्वारा लिखित बारहमासा सुनकर सभी को हैरत में डाल दिया। चंपारण की बेटी सरिता साज ने अपनी प्रस्तुति के दौरान भिखारी ठाकुर की रचनाएं सुनाई जिस पर लोगों ने खूब तालियां बजाई। लक्ष्मी ठाकुर ने इस क्रम में शारदा सिन्हा द्वारा गाये गीतों को प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन कर रहे उदय नारायण सिंह ने किया।
भोजपुरी चित्रकला में दिखाई सामाजिक समरसता की झलक:
भोजपुरी कला उत्सव के दौरान राज्य भर से आए चित्रकारों ने अपनी चित्रकला का प्रदर्शन किया। इस क्रम में आरा से आये संजीव कुमार सिंह ने भोजपुरी चित्रकला का प्रदर्शन किया। राजनंदिनी ने भोजपुरी की प्राचीन लिपि कैथी में अपनी कला प्रस्तुत की। सीवान से आए रजनीश कुमार और उनके समूह के सदस्यों ने अपने-अपने ढंग से पंच प्राण के विषयों पर चित्रकला की प्रदर्शनी में भाग लिया। काष्ठ शिल्पी लालबाबू शर्मा और युवा मूर्तिकार प्रियांशु ने अपनी कला प्रस्तुत की। प्रदर्शनी के क्रम में थरूहट से आए हस्तशिल्पियों ने ईश्वर शांति महाविद्यालय के माध्यम से अपने शिल्प कला का प्रदर्शन किया। चित्रकला विधा संयोजक नंदीश्वर द्विवेदी राजन ने बताया कि इस प्रदर्शनी में आरा में चलने वाले दिव्यांगजनों की संस्था द्वारा बने काष्ठ शिल्प कला को प्रदर्शित किया गया। इस क्रम में अविनाश गुप्ता, विकास, सुनील अरोरा, अर्पणा, श्रेया, नेहा, ज्योति, अमन अयांश आदि ने अपनी चित्रकला से सबका मन मोह लिया। कार्यक्रम के दौरान प्रसिद्ध लोकगायक भरत शर्मा व्यास ने सभी प्रतिभागियों को सम्मानित किया। प्रथम स्थान पर आरा के संजीव कुमार नेबाजी मारी।
कार्यक्रम के दौरान किया गया पौधरोपण:
भोजपुरी कला उत्सव के दौरान अतिथियों द्वारा प्रत्येक घर के पास फलदार वृक्ष रोपे गये। पौधरोपण कार्यक्रम के उद्घाटन के दौरान संस्कार भारती के अखिल भारतीय अधिकारी आशुतोष अडोनी ने कहा कि प्रकृति का संरक्षण सनातन संस्कृति का मूल भाव है। हमारे पूर्वज वृक्ष काटने के पहले सौ बार सोचते थे, प्रकृति के बहुत निकट रहते थे। निगम पार्षद संदीप कुमार राय ने बताया कि इन अतिथियों के रहने के लिए प्रत्येक घरों में बातचीत की गई थी, और लोगों ने बहुत उत्साह से इन अतिथियों का स्वागत किया। मौके पर शिक्षक संदीप कुमार राय, अमरेंद्र कुमार, प्रकाश कुमार, अश्विनी कुमार सिंह रजनीश कुमार समेत सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित रहे।
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