बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा को रोकने के लिए जागरूकता जरूरी
कानूनी सेवा इकाई को दी गई जानकारी, पैनल अधिवक्ता और पारा विधि स्वयंसेवकों से संबंधित कानूनी इकाई को दी गई जानकारी

जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तत्वावधान में गुरुवार को बाल अनुकूल कानूनी सेवाएं योजना-2024 के क्रियान्वयन के लिए आयोजित दो दिवसीय अभिविन्यास कार्यक्रम का समापन किया गया। पॉक्सो के विशेष न्यायाधीश लक्ष्मीकांत मिश्रा ने पॉक्सो अधिनियम से संबंधित विभिन्न प्रावधानों पर विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39 में राज्य के नीति निर्देशक तत्वों का संबंध है जिसमें बच्चों के हित के लिए राज्य द्वारा विशेष प्रबंध किए जाने का प्रावधान है। बच्चों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए राज्य का सर्वोपरि उद्देश्य बताया गया है। देश में निर्भया कांड के बाद आपराधिक कानून में कई बदलाव किए गए हैं। बच्चों से संबंधित होने वाले अपराध के प्रति गंभीर और कठोर दंड का प्रावधान किया गया है। इसके उदाहरण के रूप में पॉक्सो अधिनियम को लिया जा सकता है। बच्चों के विरुद्ध यौन हिंसा होने पर बच्चों की उम्र के अनुसार दंड का प्रावधान किया गया है। इसे तीन भागों में बांटा गया है। पहले भाग में 12 साल के बच्चों के विरुद्ध हुए अपराध के लिए दंड का प्रावधान अत्यधिक कठोर है। इसके बाद 12 से 16 साल के बच्चों के विरुद्ध हुए अपराध के लिए दंड का प्रावधान है और उसके बाद 16 से 18 साल के बच्चों के विरुद्ध हुए यौन अपराधों के लिए दंड का प्रावधान है। न्यायालय उक्त अधिनियम में अपराधी को दंड देते समय पीड़ित एवं पीड़िता की उम्र को देखते हुए दंड का निर्धारण करता है। न्यायाधीश ने कहा कि अन्य आपराधिक कानूनों से यह पॉक्सो अधिनियम अलग है। इसमें अपराधी अथवा बचाव पक्ष पर यह दायित्व होता है कि यदि उसने अपराध नहीं किया है वह साबित करे जबकि अन्य आपराधिक कानून में अभियोजन को यह साबित करना पड़ता है कि बचाव पक्ष के द्वारा अपराध किया गया है। पॉक्सो न्यायाधीश ने कहा कि बच्चों के विरुद्ध यौन हिंसा को रोकने में समाज को जागरूक करना उनका दायित्व है। इसके साथ ही बच्चों के विरुद्ध हिंसा की जानकारी प्राप्त होने पर शिकायत करें। पैनल अधिवक्ताओं और पारा विधिक स्वयंसेवकों से संबंधित गठित कानूनी सेवा इकाई के सदस्यों का प्रशिक्षण बड़े उद्देश्य के लिए किया गया है। इस मौके पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिन सुकूल राम सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।