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ग्रामीण मवेशी हाटों पर तस्करों की पैनी नजर, दलाल है सक्रिय

फारबिसगंज में पशु तस्करी के मामले बढ़ रहे हैं, जिससे भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। मवेशियों की कमी और उनकी आपूर्ति के लिए तस्करों का बढ़ता नेटवर्क चिंता का विषय है।...

Newswrap हिन्दुस्तान, अररियाSun, 22 Sep 2024 11:26 PM
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फारबिसगंज, निज संवाददाता। पशु तस्करी के बांग्लादेश कनेक्शन संबंधित हिदुस्तान में लगातार प्रकाशित खबर के बाद इसके विभिन्न प्रारूप नजर आने लगे हैं। जहां सूबे के विभिन्न जिलों सहित अन्य प्रदेशों से इन मवेशियों की आपूर्ति की जाती है वहीं जिले के कई मवेशी हाट भी इन मवेशी तस्करों के निशाने पर है । बताया जाता है कि यह तस्कर दलाल के माध्यम से मवेशी हाथों से मवेशी की खरीदारी कर अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित कर रहा है। इन मवेशी तस्कर एवं तस्करों की निगरानी में कार्यरत मवेशी दलाल के कारण अब गांव घर में भी मवेशियों की कमी दिखने लगी है । मनचाहा कीमत मिलने के कारण हल्की-हल्की जरूर में भी लोग दरवाजे से मवेशियों को सीधे हाट की तरफ मुखातिब कर देते हैं। इससे खासकर भारतीय अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित होता है। जानकार बताते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था मूलत कृषि पर निर्भर है। खेती के लिए यह मवेशी बेहद उपयोगी है। मवेशियों के 100 किलो गोबर से महज 80 से 90 दिनों में 3000 किलो कंपोस्ट खाद तैयार हो जाता है।इतना ही नहीं गोबर से निर्मित खाद का प्रभाव खेतों में दो से तीन महीने तक निरंतर प्रभावि रहता है ।पशु तस्करी के प्रकोप पशुपालन पद्धति को भी कमजोर करता है। इससे श्रमिकों को मिलने वाले कार्य और सुधरने वाले जीवन स्तर भी प्रभावित होता है। वही खेतीहर किसान की माने तो मवेशी के जगह ट्रैक्टर आदि के प्रयोग से खेती की नमी भी प्रभावित होती है ।वर्तमान समय में मवेशियों के द्वारा खेती की पद्धति लगभग समाप्ति की राह पर है जिसका प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष असर खेती पर पड़ता है । कारोबार से जुड़े लोगों की माने तो पशु तस्करों के संचालन में यह दलालों की जिले के नरपतगंज, सिमराहा, रघुनाथपुर के अलावा सीमा से सटे सुपौल जिला के प्रतापगढ़, छातापुर आदि क्षेत्रों के मवेशी हाटो पर काफी सक्रिय है। बड़े पैमाने पर इन हाटों से मवेशी की खरीदारी कर इन्हें या तो स्थानीय कत्ल खाना में भेज दिया जाता है या फिर बंगाल के रास्ते बांग्लादेश भेज दिया जाता है । यही वजह है कि इन मवेशी तस्करों से जहां एक तरफ राष्ट्र विरोधी अभियान को मजबूती मिल रहा है वहीं दूसरी ओर भारतीय अर्थव्यवस्था को तहस-नहस करने का प्रयास भी किया जाता है।

कहते हैं अधिकारी -

इस संबंध में जिला पशुपालन निवारण पदाधिकारी डॉ राजीव कुमार सिंह ने बताया कि हाट बाजारों से डायरी परपस से मवेशी की खरीदारी उचित है ।मगर कत्ल खाना भेजने या फिर तस्करी के लिए खरीदारी बेहद चिंताजनक है। यह एक गंभीर मामला है जिसके लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत है।

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