दो बहादुर बेटों की शहादत से भोजपुर में गम और गुस्सा, बेटे के वियोग में मां बेहाल
बिहार का भोजपुर जिला हमेशा से वीरों की धरती रहा है। यहां के लोग देश के लिए हमेशा खून बहाते रहे हैं। चाहे अंग्रेजों को छक्के छुड़ाने हो या पाक समर्थित आतंकियों या चीनी फौज की। देश के लिए प्राण न्योछावर...
बिहार का भोजपुर जिला हमेशा से वीरों की धरती रहा है। यहां के लोग देश के लिए हमेशा खून बहाते रहे हैं। चाहे अंग्रेजों को छक्के छुड़ाने हो या पाक समर्थित आतंकियों या चीनी फौज की। देश के लिए प्राण न्योछावर करने की बात आती है, तो उसमें हमेशा आगे रहते हैं। सैकड़ों सपूत अबतक देश के लिए बलिदान हो चुके हैं। चंदन व कुंदन ने शहादत देकर इसी शौर्य, वीरता व पराक्रम की परंपरा कायम रखी है। दोनों देश के लिए मर-मिटने व अमर होने वालों में शामिल हो गये। इनकी शहादत हमेशा याद की जायेगी, लेकिन एक साथ दो-दो बहादुर बेटों की शहादत से पूरे भोजपुर में उबाल है।
एक साथ दो-दो बहादुर बेटों की शहादत से पूरे भोजपुर में उबाल है। लोग जगह-जगह चीन के खिलाफ आक्रोश जता रहे हैं। चीन विरोधी नारे लगाये जा रहे हैं। पाक की तरह चीन को सबक सिखाने की भारत सरकार से मांग की जा रही है। ज्ञानपुर व पहरपुर गांव में भी लोग काफी आक्रोशित हैं। पहरपुर गांव में तो चीनी मुर्दाबाद के नारे लगाये गये। साथ ही लोग तिरंगा लेकर सड़क पर उतर गये। चीन के खिलाफ की नारेबाजी व पीएम से करारा जवाब देने की अपील की गयी। चीन के राष्ट्रपति का विरोध जता विश्वासघाती की संज्ञादी गयी। लोगों ने कहा जिस तरह पीएम ने पाक को सबक सिखाया है। उसी तरह चीन को सबक सिखाये, तभी सुकून मिलेगा। कुंदन ओझा व चंदन सहित देश के जवानों की शहादत से आहत ग्रामीणों ने कहा कि चीन से सभी व्यापारिक रिश्तों को तोड़ने और चीन के सामानों को बहिष्कार करना चाहिए।
बेटे के वियोग में मां बेहाल
चंदन की शहादत की खबर मिलते ही घर में चीख-पुकार मच गयी। मां, भाभी व बहनों की चीत्कार से माहौल पूरी तरह गमगीन हो उठा था। घर की महिलाओं की हालत देख सबका कलेजा दहला जा रहा था। छोटे व लाडले बेटे के वियोग में मां बार-बार अचेत हो जा रही थी। रोते-रोते यही कह रही थी कि बबुआ अभी ताहर उमर ना रहे। काहे चल गईलअ। घरवा में आवत रहल तअ माई - माई कहत रहलअ, कवनो बतिया पुछत रहलअ। इ बतिया काहे ना पूछलअ। चार में दो पहुंची बहनें भी दहाड़ मार रो रही थी।
मंगलवार की रात 12 बजे आयी थी तीन कॉल, पर नहीं हो सकी थी बात
पिता हृदयानंद सिंह रूंधते आवाज में कहते हैं कि चंदन की कंपनी से मंगलवार की रात करीब 12 बजे तीन कॉल आयी थी, लेकिन तब बात नहीं हो सकी थी। बुधवार की सुबह उसी नंबर पर कॉल की गयी, लेकिन कुछ क्लीयर नहीं हुआ। इसके बाद सेना में ही तैनात बड़े बेटे ने बात की। तब शहादत की खबर मिली। उसके बाद व्हाट्एएप से फोटो का भी मिलान किया। इस खबर के बाद तीनों भाई छुट्टी लेकर लद्दाख के लिये निकल गये हैं।
शहादत की खबर मिलते ही घर पर उमड़ पड़े लोग
चंदन की शहादत की खबर मिलते ही उनके घर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। गांव सहित आसपास के काफी लोग भी पहुंच गये। सभी पूरी घटना की जानकारी लेने का प्रयास कर रहे थे। शहादत से सभी के चेहरे मायूस व उदास थे। लेकिन गर्व भी महसूस कर रहे थे। इस दौरान चंदन अमर रहे जैसे नारे भी लगे। सूचना मिलने पर एसडीओ व थाना इंचार्ज ईश्वरानंद पाल भी गांव पहुंचे और जानकारी ली। इधर, चंदन के पिता का कहना है कि देश की रक्षा करते बेटा वीरगति को प्राप्त हुआ है। बेटा अमर हो गया है। हालांकि इतना कह वह फफक पड़ते हैं।
गांव के रास्ते को ले हमेशा चिंतित रहते थे चंदन
भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर संघर्ष में शहादत देने वाले चंदन गांव के रास्ते को लेकर हमेर्शा ंचतित रहते थे। उनके दोस्त व परिवार के लोग बताते हैं कि चंदन जब उनके बीच बैठते थे, तो गांव व समाज के बारे र्में ंर्चंतत रहते थे। गांव के रास्ते को लेकर अक्सर चर्चा करते थे कि गांव का रास्ता टूट गया है, कैसे बनेगा।
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